पुणे, 22 जुलाई (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क)
पुणे के मावल तालुका स्थित कुंडमळा गांव में पिछले महीने लोहे का पुल ढहने से हुए दर्दनाक हादसे की जांच में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है. जांच में यह सामने आया है कि दुर्घटनाग्रस्त पुल की मालिकाना जिम्मेदारी न तो सार्वजनिक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) की है और न ही पुणे जिला परिषद की. यानी इस पुल का कोई स्पष्ट मालिक ही नहीं है. गौरतलब है कि 15 जून को दोपहर करीब साढ़े तीन बजे यह पुल गिर गया था, जिसमें चार लोगों की मौत हो गई थी और 38 अन्य लोग घायल हुए थे. घटना की गंभीरता को देखते हुए पुणे जिलाधिकारी जीतेंद्र डूडी ने अपर जिलाधिकारी सुहास मापारी की अध्यक्षता में एक छह सदस्यीय जांच समिति गठित की थी.
इस समिति में पीडब्ल्यूडी के अधीक्षण अभियंता, उपवन संरक्षक, निवासी उप जिलाधिकारी समेत कुल छह वरिष्ठ अधिकारी शामिल थे. समिति को 15 दिनों में रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया गया था, जो अब जिलाधिकारी को सौंपी जा चुकी है और राज्य सरकार को भेज दी गई है. सूत्रों के अनुसार, 1992 में यह पुल सार्वजनिक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) ने बनाया था, लेकिन विभाग ने इस पुल का हस्तांतरण कभी जिला परिषद को नहीं किया. 2017 में जिला परिषद ने इस पुल को खतरनाक बताकर जिला योजना समिति के समक्ष मरम्मत के लिए प्रस्ताव रखा, लेकिन परिषद के रिकॉर्ड में इस पुल की कोई आधिकारिक एंट्री ही नहीं है. पीडब्ल्यूडी को मरम्मत का जिम्मा सौंपा गया था, लेकिन दोनों विभागों ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की, जिसके चलते पुल की मरम्मत नहीं हो सकी.
इसके अलावा, 2004 में पीडब्ल्यूडी ने इस पुल का विस्तार किया था, लेकिन उस वक्त भी इसका अधिकारिक हस्तांतरण जिला परिषद को नहीं हुआ. पुल की एक ओर की जमीन सेना के अधीन है और दूसरी ओर जिला परिषद की. बावजूद इसके, पुल न तो पीडब्ल्यूडी की संपत्ति में दर्ज है और न ही जिला परिषद की. यह बात भी जांच रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से कही गई है. 2017 में जिला परिषद ने तीन करोड़ रुपये की मरम्मत राशि की मांग जिला प्रशासन से की थी, और यह प्रस्ताव आगे चलकर पीडब्ल्यूडी को भेज दिया गया. लेकिन पीडब्ल्यूडी और जिला प्रशासन दोनों ने इस प्रस्ताव को आगे नहीं बढ़ाया, जिसके चलते न तो मरम्मत हुई और न ही पुल की स्थिति में सुधार आया.
इस बारे में जब जिलाधिकारी जीतेंद्र डूडी से संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा, हमने समिति की रिपोर्ट राज्य सरकार को भेज दी है. लेकिन उन्होंने इस विषय में और जानकारी देने से इंकार कर दिया. आपदा प्रबंधन विभाग की तारीफ रिपोर्ट में आपदा प्रबंधन विभाग की तत्परता की सराहना की गई है. घटना के मात्र 15 मिनट के भीतर बचाव दल मौके पर पहुंच गया और राहत कार्य शुरू कर दिए गए. समिति ने टिप्पणी की है कि यदि तत्काल मदद शुरू नहीं होती, तो नुकसान और भी बड़ा हो सकता था.