जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियाेग प्रक्रिया शुरू

    23-Jul-2025
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SC 
 
कैश कांड में फंसे जस्टिस यशवंत वर्मा काे हटाने की प्रक्रिया शुरू हाे गई है. 21 जुलाई काे मानसून सत्र के पहले दिन संसद के दाेनाें सदनाें में उनके खिलाफ महाभियाेग के नाेटिस पीठासीन अधिकारियाें काे साैंपे गए. इन पर पक्ष-विपक्ष के 215 सांसदाें (लाेकसभा में 152 और राज्यसभा में 63) के हस्ताक्षर हैं. महाभियाेग प्रस्ताव काे भाजपा, कांग्रेस, टीडीपी, जेडीयू, सीपीएम और अन्य दलाें के सांसदाें का समर्थन मिला है.साइन करने वालाें में सांसदाें में राहुल गांधी, अनुराग ठाकुर, रविशंकर प्रसाद, राजीव प्रताप रूडी, सुप्रिया सुले, केसी वेणुगाेपाल और पीपी चाैधरी जैसे सांसद भी शामिल हैं. राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने सदन में इसकी जानकारी दी थी.
 
स्वतंत्र भारत में पहली बार हाईकाेर्ट ककिसी कार्यरत जज के खिलाफ महाभियाेग प्रस्ताव आया है. जस्टिस वर्मा के लुटियंस स्थित बंगले पर 14 मार्च की रात आग लगी थी. इसे अग्निशमन विभाग के कर्मियाें ने बुझाया था. घटना के वक्त जस्टिस वर्मा शहर से बाहर थे.21 मार्च काे कुछ रिपाेर्ट्स में दावा किया गया था कि जस्टिस वर्मा के घर से 15 कराेड़ कैश मिला था. काफी नाेट जल गए थे. घटना के कई वीडियाे भी सामने आए. इसमें जस्टिस के घर के स्टाेर रूम से 500-500 रुपए के जले नाेटाें के बंडलाें से भरे बाेरे दिखे. जस्टिस वर्मा उस समय दिल्ली हाई काेर्ट के जस्टिस थे. बाद में उन्हें इलाहाबाद हाई काेर्ट ट्रांसफर कर दिया गया था. 22 मार्च काे तत्कालीन सीजेआई संजीव खन्ना ने जस्टिस वर्मा पर लगे आराेपाें की इंटरनल जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी बनाई. पैनल ने 4 मई काे सीजेआई काे अपनी रिपाेर्ट साैंपी. इसमें जस्टिस वर्मा काे दाेषी ठहराया गया था.
 
रिपाेर्ट के आधार पर इन-हाउस प्राेसीजर के तहत पूर्व सीजेआई खन्ना ने 8 मई सरकार से जस्टिस वर्मा काे हटाने की सिफारिश की थी.जांच समिति में पंजाब-हरियाणा हाईकाेर्ट के चीफ जस्टिस शील नागू, हिमाचल हाईकाेर्ट के चीफ जस्टिस जीएस संधवालिया और कर्नाटक हाईकाेर्ट की जज जस्टिस अनु शिवरामन थीं. कैश कांड की जांच कर रहे सुप्रीम काेर्ट के पैनल की रिपाेर्ट 19 जून काे सामने आई थी. 64 पेज की रिपाेर्ट में कहा गया कि जस्टिस यशवंत वर्मा और उनके परिवार के सदस्याें का स्टाेर रूम पर सीक्रेट या एक्टिव कंट्राेल था. 10 दिनाें तक चली जांच में 55 गवाहाें से पूछताछ हुई और जस्टिस वर्मा के आधिकारिक आवास का दाैरा किया गया था. रिपाेर्ट में कहा गया था कि आराेपाें में पर्याप्त तथ्य हैं. आराेप इतने गंभीर हैं कि जस्टिस वर्मा काे हटाने के लिए कार्यवाही शुरू करनी चाहिए.