बड़ी गणेश मूर्तियाें का समुद्र में ही हाेगा विसर्जन

    25-Jul-2025
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ganpati 
 
भारत काे हिंदू राष्ट्र घाेषित करने के दावाें के बीच यह खबर सामने आ रही है कि पर्यावरण संतुलन बनाए रखते हुए एक निश्चित ऊंचाई वाली घरेलू गणेश प्रतिमाओं काे झील में ही विसर्जित किया जाएगा, जबकि सार्वजनिक गणेशाेत्सव मंडलाें की बड़ी प्रतिमाओं काे पारंपरिक तरीके से समुद्र में ही विसर्जित किया जाएगा.इससे गणेश मंडलाें काे राहत मिल सकेगी. इस संबंध में राज्य सरकार ने बुधवार काे बाॅम्बे हाईकाेर्ट में एक हलफनामा पेश किया है. साथ ही कहा कि पर्यावरण के संबंध में आवश्यक उपाय किए जाएंगे.
इससे हिंदू अपनी भावनाओं के अनुसार गणेशाेत्सव मना सकेंगे. अब पीओपी (प्लास्टर ऑफ पेरिस) से बनी बड़ी से बड़ी प्रतिमाओं का विसर्जन करना संभव हाेगा. पीओपी की प्रतिमाओं में एक सफेद पाउडर हाेता है, जाे जिप्सम काे गर्म करके बनाया जाता है और पानी के साथ मिलाने पर यह सख्त हाे जाता है.
 
इसका उपयाेग मूर्तियाें, सांचाें और अन्य कलाकृतियाें काे बनाने के लिए किया जाता है.सरकार की पहल से बड़ी गणेश प्रतिमा काे समुद्र में विसर्जित करने का विकल्प मिला है. राज्य के सांस्कृतिक मामलाें के मंत्री आशीष शेलार ने राज्य के राजीव गांधी विज्ञान एवं प्राैद्याेगिकी आयाेग से एक अध्ययन कराने का अनुराेध किया था. क्याेंकि उन्हें डर था कि पीओपी पर तिबंध से लाखाें मूर्तिकाराें की नाैकरियां खत्म हाे जाएंगी और इस बड़े उद्याेग की आर्थिक व्यवहारिकता प्रभावित हाेगी.आयाेग ने पीओपी और पर्यावरण पर उनके प्रभाव का अध्ययन करने के लिए डाॅ. अनिल काकाेड़कर की अध्यक्षता में एक अध्ययन समूह का गठन किया और सरकार काे कुछ सिफारिशें और सुझाव दिए. केंद्रीय पर्यावरण विभाग द्वारा न्यायालय में रिपाेर्ट प्रस्तुत किए जाने के बाद न्यायालय ने पीओपी के उपयाेग पर प्रतिबंध हटा लिया था.