एक यथार्थवादी लेखक पिकासाे के पास आया था और कहने लगा कि तुम्हारे चित्र यथार्थवादी नहीं हैं. तुम ने मालूम कैसे चित्र बनाते हाे! पिकासाे निश्चित ही जाे चित्र बनाता था, वे काेई फाेटाेग्रैफ नहीं थे कैमरा से लिए गए. कैमरा में और चित्रकार में यही ताे फर्क है, नहीं ताे फर्क ्नया? जब पहली दफा कैमरे का आविष्कार हुआ ताे दुनिया के चित्रकार बहुत डर गए थे कि हमारी ताे माैत हाे गयी, हमारा धंधा गया. कैमरा ताे हमसे अच्छे ढंग से चित्र बना देगा. लेकिन धंधा मरा नहीं, बल्कि धंधे ने नयी गरिमा ले ली, नया आयाम ले लिया.चित्रकार चित्र काे बनाता है ताे तुम्हारे भावाें काे भी पकड़ता है, तुम्हारी संभावनाओं काे भी पकड़ता है, तुम्हारे छिपे हुए रहस्याें काे भी पकड़ता है; सिर्फ तुम्हारे ऊपर की बाह्य रूप-रेखा काे नहीं, जैसा कि कैमरा पकड़ता है. कैमरा ताे बाह्य रूप-रेखा पकड़ता है. बस उतना ही उसका काम है.
पिकासाे ने कहा कि मैं लाेगाें की सिर्फ रूप-रेखा नहीं पकड़ता; यह ताे कैमरा ही कर देगा. मैं ताे बहुत कुछ और पकड़ता हूं जाे कैमरा नहीं पकड़ सकता. वही ताे चित्रकार की खूबी है. लेकिन फिर भी तुम्हारा ्नया मतलब है यथार्थवाद से? ताे उस यथार्थवादी दार्शनिक ने अपनी डायरीनिकाली, डायरी में रखा हुआ अपनी पत्नी का चित्र निकला और कहा: यह देखाे, तुमने मेरी पत्नी का चित्र बनाया है, वह मेरी पत्नी जैसा लगता ही नहीं. आंखें तुमने ऐसी बनाई हैं जैसे मेरी पत्नी अंधी हाे. और नाक तुमने इतनी बड़ी बना दी है, कि उसका सारा साैन्दर्य नष्ट हाे गया.पिकासाें ने कहा: जैसा मैंने देखा वैसा मैंने बनाया.मुझे तुम्हारी पत्नी अंधी मालूम हाेती है. उसे कुछ दिखाई नहीं पड़ता. मैं उसमें आंखें नहीं बना सकता. और मुझे तुम्हारी पत्नी बड़ी अहंकारी मालूम पड़ती है, इसलिए मैंने नाक बहुत बड़ी बनाई है. अहंकार नाक पर चढ़ता है, नाक की नाेक पर रहता है. इसलिए बहुत नुकीली नाक बनाई, तुम गाैर से देखना.
मैंने तुम्हारी पत्नी के अहंकार काे और अंधेपन काे समाविष्ट किया. कैमरा यह नहीं कर सकता. कैमरे की ्नया बिसात? फिर भी देखूं, तुम पत्नी के किस चित्र काे ठीक चित्र कहते हाे.वह कैमरे से उतारी गयी तसवीर थी, सुंदर तसवीर थी, ठीक-ठीक उतारी गयी थी. पिकासाे ने तसवीर देखी. पास में ही पड़ी हुई स्केल काे उठाकर नापा. छह इंच लम्बी, चार इंच लम्बी, चार इंच चाैड़ी! इतनी-सी तसवीर में तुम्हारी असली पत्नी! यह यथार्थवादी चित्र है! और तुम्हारी पत्नी बिलकुल चपटी मालूम पड़ती है, मैंने हाथ फेर कर देखा.
यह कैसा यथार्थ? यही तुम्हारी पत्नी है? उस आदमी ने कहा: यह मेरी पत्नी नहीं, मेरी पत्नी की तसवीर है. पिकासाे ने कहा: फिर तसवीर कहाे.तसवीर पत्नी नहीं है. तसवीरें तसवीरें हैं. फिर काेई कितनी ही प्यारी तसवीर क्यों न खीचें.