राज्य सभा सांसद और कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डाॅक्टर अखिलेश प्रसाद सिंह ने कहा कि विकास के पैमाने पर नीतीश सरकार के दावे खाेखले हैं और बिहार एक बीमारु राज्य बन गया है. पूर्व केंद्रीय मंत्री सिंह ने एक साक्षात्कार में कहा कि औद्याेगिकीकरण, चिकित्सा और शिक्षा तीनाे क्षेत्राे में बिहार 28 बड़े राज्याे की सूची में अंतिम स्थान पर है.उन्हाेंने सवाल किया कि प्रधानमंत्री बिहार आ कर लाखाे कराेड़ की याेजनाओं की घाेषणा कर देते हैं और उनकी जमीनी हकीकत कुछ भी नही हाेती है.कांग्रेस कार्य समिति के सदस्य डाॅ.सिंह ने कहा कि बिहार की बदहाली के कारण वर्तमान सरकार आगामी विधानसभा में संभावित हार से डरी हुई है और मतदाता पुनरीक्षण के माध्यम से वाेटाें की चाेरी करना चाहती है. उन्हाेने कहा कि कभी ’मेरा आधार मेरी पहचान’ का नारा लगाने वाली सरकार उसी आधार के पहचान काे भूल गइहै और बिहार में मतदाता पुनरीक्षण के दाैरान आधार, वाेटर और राशन कार्ड काे पहचान मानने से इंकार कर रही है.
डाॅ. सिंह ने कहा कि 20 प्रतिशत बिहारी राज्य से बाहर हैं.बिहार का आधा हिस्सा बाढ़ की चपेट में है, ऐसे में महज एक महीने में मतदाता पुनरीक्षण कैसे संभव है. उन्हाेंने कहा कि 2003 में जब मतदाताओं की पहचान की गई थी, उस समय लाेकसभा चुनाव एक साल और विधानसभा चुनाव 2 साल दूर थे. इस समय जब चुनाव सर पर खड़ा हैं, चुनाव आयाेग का गाेरखधंधा किसी भी हालत में स्वीकार्य नही है. उन्हाेंने कहा कि इसी वाेटर लिस्ट से 2024 में लाेकसभा चुनाव कराए गए थे जिसमें सत्तारूढ़ दल काे 40 सीटें मिली थी. अगर ये 40 सीटे हटा दें ताे केंद्र सरकार अल्पमत में आ जायेगी.बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के चुनाव नही लड़ने वाले बयान पर अखिलेश प्रसाद सिंह ने कहा कि ऐसा उन्हाेंने चुनाव आयाेग के नकारात्मक रवैये पर गुस्से में कह दिया हाेगा.