शिवाजीनगर, 27 जुलाई (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क)
हाल ही में घोषित देश की सहकारिता नीति का इस क्षेत्र में कार्यरत अनुभवी व विद्वानों ने स्वागत किया है. उन्होंने कहा कि इस नीति में कई बातों का गहन अध्ययन के साथ उल्लेख किया गया है. अगर सचेत और ईमानदारी से काम करने वाले ईमानदार कार्यकर्ता और उनका पूरे मनोयोग से सहयोग करने वाले राजनीतिक नेता हों, तो उम्मीद है कि इसके अच्छे परिणाम अवश्य मिलेंगे. इन विद्वानों का कहना है कि सहकारी आंदोलन और संस्थाओं की अवधारणा का देश के विकास में महत्वपूर्ण योगदान होना चाहिए, और यह अवधारणा भी भारत को सहकारी आंदोलन में अग्रणी बनाने के उद्देश्य से ही लाई गई प्रतीत होती है. पूर्व मंत्री सुरेश प्रभु की अध्यक्षता में एक समिति नियुक्त की गई थी. उस समिति द्वारा दी गई रिपोर्ट के आधार पर, केंद्र सरकार ने हाल ही में देश की सहकारिता नीति की घोषणा की. सहकारिता क्षेत्र के अनुभवी लोगों का मानना है कि इस नीति ने सहकारिता के मूल उद्देश्य, ‘सदस्यों द्वारा सदस्यों के लिए संचालित सदस्यों का संगठन', पर जोर दिया है. इस नीति के 7 महत्वपूर्ण सिद्धांत सहकारिता आंदोलन को एक ठोस आधार पर स्थापित करना आत्मनिर्भर सहकारी समितियों का निर्माण करना, सहकारी समितियों की व्यावसायिक और स्थायी वित्तीय क्षमता को सुदृढ़ करना विकास में सहकारी समितियों की भागीदारी बढ़ाना और इसे एक जन आंदोलन के रूप में क्रियान्वित करना, सहकारी समितियों को नए उभरते क्षेत्रों में प्रवेश दिलाने का प्रयास करना, युवा पीढ़ी को सहकारी समितियों से जुड़ने के लिए प्रोत्साहित करना और उन्हें सहकारी समितियों पर आधारित अनुभवात्मक शिक्षा प्रदान करना सहकारी समितियों के साथ उनके संबंधों को मजबूत करना, पर्यावरण के अनुकूल वातावरण का निर्माण करना.
नई सहकारिता नीति का उपयोग होगा
राष्ट्रीय सहकारिता नीति 2025 की घोषणा हाल ही में की गई है. भारत में सहकारिता का अलग महत्व है. भारत की शहरी और ग्रामीण अर्थ-व्यवस्था में सहकारिता की बहुत बड़ी भूमिका रही है. उसी सहकारिता क्षेत्र को बढ़ावा देने हेतु इस नई सहकारिता नीति का उपयोग होगा. मल्टीस्टेट को-ऑपरेटिव क्रेडिट सोसायटी हेतू कई नई नीतिया इसके पूर्व में बनाई गई है. जिसमें बहुराज्य सहकारी सोसायटी के कामकाज में सुधार होगा और सहकारी आंदोलन और मजबूत होगा. बहुराज्य सहकारी संस्थाओं हेतु नये क्षेत्र उपलब्ध होंगे, एवम् संस्थाओं के कामकाज में पारर्दिशता भी आयेगी. आशा करते हैं कि मल्टीस्टेट को ऑप. क्रेडिट सोसायटी के भी विविध प्रलंबित प्रश्न है, उनपर भी जल्द ही समाधान मिलेगा, जिससे विविध मल्टीस्टेट सोसायटीज् का विकास भी होगा.
- मगराज एम. राठी, एमडी/सीईओ, महेश नागरी मल्टीस्टेट को-ऑप. क्रेडिट सोसा. लि. पुणे
अन्य उद्योगों में काम करने की अवधारणा अच्छी
यह नीति बहुत व्यापक है और यदि सभी सहकारी कार्यकर्ता सहकारी संस्थाओं में सहकारिता की भूमिका में काम करें, तो मुझे लगता है कि प्रधानमंत्री का सहकारिता के माध्यम से समृद्धि का सपना भविष्य में अवश्य साकार होगा. मेरा मानना है कि सहकारिता पर आधारित अनुभवात्मक शिक्षा प्रदान करना और उनके सहकारी संबंधों को मजबूत करना, विशेष रूप से युवा पीढ़ी को सहकारिता से जोड़ना, सहकारिता आंदोलन का भविष्य अगली पीढ़ी को सौंपने और उनसे इसे साकार करने का एक अच्छा प्रावधान है. यह अवधारणा कि सहकारी संस्थाएं पारंपरिक सहकारिताओं से बाहर आकर औद्योगिक क्षेत्र में काम करें, और इसके लिए प्रयास किए जाएंगे, एक बहुत अच्छी अवधारणा है. इससे मुझे लगता है कि सहकारी क्षेत्र विभिन्न व्यवसायों या धर्मार्थ कार्यों में प्रवेश करेगा और सहकारिता आंदोलन के अच्छे दिन आएंगे.
- एड. सुभाष मोहिते अध्यक्ष, पुणे शहरी सहकारी बैंक संघ, पुणे (महाराष्ट्र)