विवाहेत्तर संबंधों में पुणे देश में 8वें स्थान पर; डेटिंग एप की रिपोट

तमिलनाडु का कांचीपुरम पहले नंबर पर, महानगरों के साथ ही कई छोटे शहर भी सूची में शामिल

    28-Jul-2025
Total Views |
bg
नई दिल्ली, 27 जुलाई (वि.प्र.)

भारत में विवाह को एक पवित्र परंपरा माना जाता है. हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में देश में विवाहेत्तर संबंधों में तेजी से वृद्धि हुई है. कई विवाहित लोग अब डेटिंग ऐप्स के जरिए विवाहेत्तर संबंधों के लिए रिश्ते तलाश रहे हैं. चौंकाने वाली बात यह है कि पुणे शहर देश के शीर्ष 20 शहरों में 8वें स्थान पर है. यह जानकारी एशले मैडिसन डेटिंग ऐप्स की रिपोर्ट में दी गई है. पुणे की आबादी छात्रों, आईटी कर्मचारियों और देश के विभिन्न हिस्सों से आए प्रवासियों का संगम है. पुणे में बहुसांस्कृतिक वातावरण है. बढ़ती नाइटलाइफ और अन्य कारणों से, यह देखा गया है कि यह शहर विवाहेत्तर या खुले संबंधों का एक प्रमुख केंद्र बनता जा रहा है. विवाहेत्तर संबंधों वाले शीर्ष 20 भारतीय शहरों की सूची में केवल बड़े महानगर ही नहीं, बल्कि छोटे शहर भी शामिल हैं. यहां ऐसी घटनाओं में काफी वृद्धि हुई है. सर्वेक्षण के अनुसार, तमिलनाडु का कांचीपुरम शहर विवाहेत्तर संबंधों में शीर्ष पर है. यह शहर दिल्ली और मुंबई जैसे महानगरों से भी आगे निकल गया है. 2024 के सर्वेक्षण में कांचीपुरम 17वें स्थान पर था. इस साल यह शहर सीधे शीर्ष स्थान पर पहुंच गया है. वेबसाइट एश्ले मैडिसन ने अपनी 2025 की रिपोर्ट में खुलासा किया है कि विवाहेत्तर संबंधों के मामले में पिछले साल, मुंबई इस सूची में शीर्ष पर था. लेकिन इस साल, मुंबई शीर्ष-20 की सूची से गायब हो गया है. दिल्ली ने दूसरा स्थान हासिल किया है, और दिल्ली-एनसीआर के नौ इलाके इस सूची में शामिल हैं. एश्ले मैडिसन के मुख्य नीति अधिकारी पॉल कीबल के अनुसार, भारत में विवाहेत्तर संबंध अब छिपाने की बात नहीं रह गई है. लोग अब नाश्ते के बारे में अयादा खुलकर सोच रहे हैं. उन्होंने कहा कि यह केवल शारीरिक संबंधों तक सीमित नहीं है, बल्कि एक भावनात्मक शून्य को भरने का एक प्रयास है.
 
विवाहेत्तर संबंधों के पीछे हर किसी की जशरतें अलग-अलग
विवाहेत्तर संबंधों के पीछे हर किसी की जशरतें अलग-अलग होती हैं. इसलिए, हर विवाहेत्तर संबंध को सिर्फ शारीरिक संबंधों के नजरिए से नहीं देखा जा सकता. बदलती जीवनशैली इसका एक अहम हिस्सा है. कार्यस्थल पर पुरुषों और महिलाओं को अयादा साथ मिलता है. इसकी तुलना में, पति-पत्नी को एक-दूसरे के लिए समय नहीं मिल पाता. उनके बीच शेयरिंग का समय कम होता जा रहा है. यह एक मानवीय जशरत है. इसी वजह से विवाहेत्तर संबंध बढ़ रहे हैं. पहले पति-पत्नी एक-दूसरे के लिए पर्याप्त समय निकाल लेते थे. मौजूदा जीवनशैली में अब वह समय नहीं मिलता. बढ़ती महंगाई और अन्य हालात ऐसे हैं कि जब तक दोनों नौकरी या व्यवसाय न करें, घर चलाना मुश्किल हो जाता है. ऐसे में अगर दोनों के काम के घंटे अलग-अलग हों, तो कुछ मामलों में पति-पत्नी हरते में 5 दिन भी एक-दूसरे से नहीं मिल पाते. वह सिर्फ वीकेंड में ही मिलते हैं. जाहिर है, उन्हें पर्याप्त समय नहीं मिल पाता. इससे कई समस्याएं पैदा होती हैं. ऐसे समय में, पति-पत्नी को एक-दूसरे के लिए जो भावनात्मक जशरतें होती हैं, वह उनके सहकर्मी पूरी कर देते हैं जो ऑफिस या अन्य जगहों पर साथ होते हैं. विवाहेत्तर संबंधों में, हर जगह सेक्स ही एकमात्र मुद्दा नहीं होता. यह बाद में बनता है. खासकर महिलाओं के मामले में, उनकी भावनात्मक जशरतें होती हैं, जैसे कोई उनका ख्याल रखे, कोई उन पर ध्यान दे, कोई उन्हें अच्छा कह रहा है. इसलिए, ऐसी भावनात्मक जशरतों से पहले दोस्ती का जन्म होता है, और फिर यह धीरे-धीरे प्यार में बदल जाती है. यह सब सिर्फ कामकाजी पुरुषों और महिलाओं के मामले में ही नहीं होता. और, यह सिर्फ बड़े शहरों में ही नहीं हो रहा है. इसके अलावा, एक और बात यह है कि वर्तमान में सोशल मीडिया द्वारा बनाया गया माहौल भी विवाहेत्तर संबंधों के लिए अनुकूल है. अगर हम रोज कुछ देखते रहें, यानी हमें फलां चीज नहीं मिलती, हमें फलां तरह का प्यार नहीं मिलता, अगर हम उसे सोशल मीडिया या रील्स पर देखते रहें, तो हम उसके बारे में सोचने लगते हैं. यही वह बातें हैं जो विवाहेत्तर संबंधों के लिए अधिक अनुकूल वातावरण प्रदान करती है.
- अर्चना राठौड़, क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट, कोथरुड  
 

bg 
 
ववाहेत्तर संबंधों के कारण तलाक की दर 25 प्रतिशत से ज्यादा
पति-पत्नी के बीच संवाद कम हो गया है. मतभेद बढ़ रहे हैं. इसलिए, सवाल उठता है कि कहां शेयरिंग करें. कुछ बातें घर के लोगों के साथ साझा नहीं की जा सकतीं. फिर ऑफिस, कार्यस्थल, दोस्तों आदि में साझा करना बढ़ जाता है. घर में तनाव, शक, सोशल मीडिया का अत्यधिक उपयोग, कुछ आर्थिक समस्याएं हो सकती हैं. जब लोगों की आपस में बनती नहीं, तो उन्हें लगता है कि उन्हें किसी और का सहारा लेना चाहिए. ऐसे मामलों में, किसी दोस्त की मदद ली जाती है. इसमें घर की सभी बातें साझा की जाती हैं. इससे दोस्ती विकसित होती है, जो बाद में प्यार में बदल सकती है. कुछ लोग इससे लिव-इन रिलेशनशिप में रहने लगते हैं. इसका इतना बुरा असर होता है कि ऐसे मामले तलाक तक पहुंच जाते हैं. अनैतिक संबंध होने पर पहले भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 497 के तहत सजा दी जाती थी. अब वह धारा हटा दी गई है. अब जबकि सजा का डर नहीं रहा, ये मामले बढ़ रहे हैं. यही वजह है कि अब बहुत से लोग लिव-इन रिलेशनशिप में रहते हैं. ऐसी बातों को सिर्फ तलाक के मामलों में ही सबूत के तौर पर लिया जाता है. विवाहेत्तर संबंधों के कारण तलाक के कई मामले सामने आते हैं. अक्सर झगड़े होते हैं, मानसिक परेशानी होती है, चिड़चिड़ापन होता है. इसका असर पूरी पारिवारिक व्यवस्था पर पड़ता है. वर्तमान में, हम देखते हैं कि आईटी क्षेत्र में यह दर बहुत अयादा है. तलाक के विभिन्न कारणों में, विवाहेत्तर संबंधों के कारण तलाक की दर 25 प्रतिशत से ज्यादा है.
- एड. वैशाली चांदणे, पूर्व अध्यक्ष, फैमिली लॉयर्स कोर्ट एसोसिएशन
 
 
bg
 
रैंकिंग के अनुसार टॉप-20 शहर
विवाहेत्तर संबंधों की सबसे अधिक संख्या वाले 20 शहर हैं: कांचीपुरम, मध्य दिल्ली, गुरुग्राम, गौतम बुद्ध नगर, दक्षिण पश्चिम दिल्ली, देहरादून, पूर्वी दिल्ली, पुणे, बेंगलुरु, दक्षिण दिल्ली, चंडीगढ़, लखनऊ, कोलकाता, पश्चिम दिल्ली, कामरूप, उत्तर पश्चिम दिल्ली, रायगढ़ (छत्तीसगढ़), हैदराबाद, गाजियाबाद, जयपुर.
रिश्तों के समीकरण बदल रहे
डिजिटल आजादी, इंटरनेट का बढ़ता इस्तेमाल, भावनात्मक दूरी, लंबे कामकाजी घंटे और सामाजिक कारकों ने भारत जैसे देश में, जो परंपराओं और संस्कृतियों की विरासत है, रिश्तों के समीकरण बदल दिए हैं. लोगों की निजी पसंद बदल रही है. इसी तरह, भारतीय रिश्तों के मानदंड भी बदल रहे हैं.