भारत काे साेने की चिड़िया नहीं, शेर बनना है. यह प्रतिपादन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख माेहन भागवत ने किया. वे केरल में शिक्षा सम्मेलन ज्ञान सभा काे संबाेधित कर रहे थे. उन्हाेंने कहा-दुनिया ताकत की भाषा समझती है. विश्व गुरु भारत कभी भी युद्ध का कारण नहीं बनेगा. माेहन भागवत ने कहा कि हमें फिर से साेने की चिड़िया नहीं बनना है, बल्कि हमकाे शेर बनना है. दुनिया शक्ति की ही बात समझती है और शक्ति संपन्न भारत हाेना चाहिए.उन्हाेंने कहा कि शिक्षा ऐसी हाेनी चाहिए जाे व्यक्ति काे आत्मनिर्भर बनाए और उसे कहीं भी अपने दम पर जीवित रहने की क्षमता प्रदान करे. भागवत ने ये बातें केरल में शिक्षा सम्मेलन ज्ञान सभा में कहीं.
उन्हाेंने कहा-हमेशा भारत ही कहना चाहिए, न कि इसका अनुवाद करना चाहिए. विकसित, विश्व गुरु भारत कभी भी युद्ध का कारण नहीं बनेगा. माेहन भागवत ने कहा कि मनुष्य के पास भगवान या राक्षस बनने का विकल्प है. राक्षस बनकर वह अपनी और दूसराें की जिंदगी बर्बाद करता है, जबकि भगवान बनकर वह स्वयं और समाज का उत्थान करता है. शिक्षा का उद्देश्य मनुष्य काे सही दिशा में ले जाना है, ताकि वह भूखा न रहे और आत्मनिर्भर बन सके. शिक्षा केवल आजीविका तक सीमित नहीं हाेनी चाहिए, बल्कि यह व्यक्ति काे नैतिक और सांस्कृतिक रूप से भी सशक्त बनाए.