राज्य के पूर्व वित्त मंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता सुधीर मुनगंटीवार ने मंगलवार काे राज्य विधानसभा में जनहित के मुद्दाें पर महत्वपूर्ण चर्चाओं के दाैरान वरिष्ठ सरकारी अधिकारियाें और विभागीय सचिवाें की लगातार अनुपस्थिति पर कड़ा असंताेष व्यक्त किया है. ऐसे अधिकारियाें के हाथ-पांव बांधकर लाया जाना चाहिए.महाराष्ट्र विधानमंडल नियमावली के नियम 293 के तहत आयाेजित विशेष बहस से पहले बाेलते हुए, जाे सदन काे महत्वपूर्ण सार्वजनिक सराेकार के मामलाें पर विचार- विमर्श करने की अनुमति देता है, मुनगंटीवार ने राज्य की नीति और विकास के लिए इसके महत्व के बावजूद सत्र में उपस्थित न हाेने के लिए नाैकरशाहाें की आलाेचना की.नियम 293 की बहस महाराष्ट्र की प्रगति के लिए महत्वपूर्ण है. मंत्री विभागीय काम में व्यस्त हाे सकते हैं, लेकिन सदन में एक भी सचिव क्याें माैजूद नहीं है? मुनगंटीवार ने प्राेटेम स्पीकर चेतन तुपे काे संबाेधित करते हुए सवाल किया -1995 में, जब मैं विधायक बना था, विभागीय सचिव ऐसे सत्राें में भाग लेते थे.
मुनगंटीवार ने नाटकीय तुलना करते हुए ब्रिटिश संसद का संदर्भ दिया, जहां ऐतिहासिक रूप से अनिच्छुक अधिकारियाें काे भी बलपूर्वक बुलाया जाता था. उन्हाेंने कहा, यदि सचिव आपके आदेश के बाद भी उपस्थित नहीं हाेते हैं, ताे क्या हम यहां भी कुछ ऐसा ही कर सकते हैं? इस पर सदस्याें ने ठहाके लगाए और तालियां बजाईं.मांगाें पर प्रतिक्रिया देते हुए प्राेटेम स्पीकर चेतन तुपे ने तुरंत निर्देश जारी करते हुए कहा, भले ही गैलरी जनता काे दिखाई न दे, लेकिन अधिकारियाें काे सदन की चर्चा आभावनाओं काे गंभीरता से लेना चाहिए. कई अधिकारी टेलीविज़न पर कार्यवाही देखना पसंद करते हैं - यदि आवश्यक हाे, ताे उन टीवी काे बंद कर दें ताकि उन्हें विधानसभा में शारीरिक रूप से उपस्थित हाेने के लिए मजबूर किया जा सके. उन्हाेंने सरकार काे ऐसी बहसाें में संबंधित अधिकारियाें की उपस्थिति और भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कार्रवाई के निर्देश दिए.