पिंपरी, 29 जुलाई (आ.प्र.)
पिंपरी-चिंचवड़ शहर में न्याय के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक कदम उठाया गया है. यहां जिला एवं अतिरिक्त सत्र न्यायालय और सिविल न्यायालय (वरिष्ठ स्तर) नामक दो न्यायालयों की स्थापना और आवश्यक पदों की भर्ती को लेकर राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में मंजूरी दी गई है. पिछले कई वर्षों से, पिंपरी-चिंचवड़ शहर के पक्षकार और कानूनी विशेषज्ञ पिंपरीचिंचव ड न्यायालय के विस्तार की मांग कर रहे हैं. विधायक महेश लांडगे ने लगातार इस पर जोर दिया है. दरअसल, 1 मार्च, 1989 को पिंपरी-चिंचवड़ न्यायालय की स्थापना हुई थी. हालांकि, बिल्डिंग का मुद्दा अभी तक सुलझा नहीं था.
पिंपरी-चिंचवड़ जैसे तेजी से बढ़ते औद्योगिक और शहरी शहर में स्वतंत्र न्यायालयों की आवश्यकता पिछले कई वर्षों से महसूस की जा रही थी. आम नागरिकों को कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा था, क्योंकि पक्षकारों और वकीलों को न्याय के लिए पुणे जाना पड़ता था, जिससे समय और धन की बर्बादी होती थी. विधायक महेश लांडगे ने इस आवश्यकता को पहचाना और विधि एवं न्याय विभाग के साथ निरंतर संपर्क बनाए रखा. उन्हें सफलता मिल रही है. मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के मार्गदर्शन में महाराष्ट्र सरकार ने पुणे क्षेत्र महानगर विकास प्राधिकरण (पीएमआरडीए) की सीमा के भीतर सेक्टर नंबर-14, बोर्हाडेवाड़ी, मोशी में लगभग 16 एकड़ भूमि को मंजूरी दी है.
इस स्थान पर पिंपरी-चिंचवड़ न्यायालय परिसर के निर्माण की आधारशिला रखी गई है. अब दो न्यायालय स्थापित हो गए हैं, अर्थात् जिला और अतिरिक्त सत्र न्यायालय के साथ-साथ सिविल न्यायालय (वरिष्ठ स्तर). महायुति सरकार के इस सकारात्मक रुख का कानूनी विशेषज्ञों और पक्षकारों द्वारा स्वागत किया जा रहा है.
महायुति का आभार जिला एवं अतिरिक्त सत्र न्यायालय और सिविल न्यायालय (वरिष्ठ स्तर) नामक दो न्यायालयों की स्थापना का निर्णय पिंपरी-चिंचवड़ के लोगों के न्याय की जीत है. मैं मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और महायुति सरकार का हार्दिक आभार व्यक्त करता हूं. यह न्यायालय केवल एक बिल्डिंग नहीं है, बल्कि न्याय की प्रतीक्षा कर रहे हजारों नागरिकों की अपेक्षाओं का केंद्र होगा. उन्होने कहा कि शहर के लोगों के समय की बचत होगी.
-महेश लांडगे, विधायक, भोसरी