पुणे, 30 जुलाई (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क)
बॉम्बे हाईकोर्ट के जस्टिस आर. एन.लड्ढ ा ने 28 जुलाई को शहर के डेवलपर उमेश आर्मुगम पिल्ले (उम्र-58 वर्ष) को अस्थायी राहत दी, जिनके खिलाफ बिजनेसमैन मनोज मित्तल द्वारा धोखाधड़ी, आपराधिक वेिशासघात, जबरन वसूली, खातों में हेराफेरी और अन्य कथित अपराधों की शिकायत दर्ज की गई थी. पिल्ले और मित्तल दोनों फर्म सेडरस एसेट्स एसोसिएशन ऑफ पार्टनर्स के भागीदारों में से हैं. फर्म के कुल 29 निवेशकों ने मिलकर पनाश के निर्माण के लिए 85 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया है, जो सोपानबाग में बिल्डिंग है जिसमें 24 लक्जरी फ्लैट्स है. प्रत्येक में 3 पार्किंग स्थल हैं. साथ ही हर एक फ्लैट की कीमत लगभग 5 करोड़ रुपये हैं. पिल्ले की फर्म में 25 प्रतिशत तक की हिस्सेदारी है और उनके पॉवर ऑफ अटॉर्नी (पीओए) अंकुश मेहता के पास भी 25 प्रतिशत की ही हिस्सेदारी है.
वहीं मित्तल की हिस्सेदारी लगभग 11 प्रतिशत है. शेष 27 भागीदारों, जिनमें मित्तल भी शामिल हैं, के पीओए नीलेश बजाज हैं, जो एक सफल वेल्थ मैनेजमेंट बिजनेस चलाते हैं. मनोज मित्तल द्वारा पुलिस आयुक्त अमितेश कुमार को 17 अक्टूबर 2024 में की गई शिकायत को आगे वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक सत्यजीत अदमाने (वानवड़ी पुलिस स्टेशन) को सौंपा गया, जिनकी 8 महीने की जांच के बाद 20 मई 2025 को एफआईआर संख्या 210/2025 दर्ज की गई. यह मामला भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धाराओं 270, 303, 303(1), 308, 316 और 318(3) के तहत रजिस्टर्ड किया गया है. उमेश पिल्ले ने पुणे के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश की कोर्ट में अग्रिम जमानत (एबीए) संख्या 3458/2025 के लिए आवेदन दायर किया, जिसे 25 जून को खारिज कर दिया गया था. उस दौरान कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि पिल्ले ने अपने आवेदन को सहारा देने के लिए जाली दस्तावेज जमा किए थे, जो न्याय प्रशासन में हस्तक्षेप था.
आवेदक द्वारा रिकॉर्ड पर पेश किए गए समझौते बिना तारीख वाले, अपंजीकृत और जाली दस्तावेज हैं. फर्म की राशि का केवल कुछ समय के लिए गबन करना भी धोखाधड़ी है. उपरोक्त तथ्य आवेदक के अन्य भागीदारों को धोखा देने के बेईमान और धोखाधड़ी के इरादे को प्रकट करता है. फर्जी दस्तावेजों के आधार पर राहत की मांग करना न्याय प्रक्रिया के साथ धोखाधड़ी के समान है. कोर्ट ने यह भी माना कि उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर उमेश पिल्ले के खिलाफ लगाए गए अपराधों का प्रथम दृष्टया मामला बनता है. साथ ही, उनके आपराधिक पूर्ववृत्त और अपराध की प्रकृति को देखते हुए, उनके द्वारा साक्ष्य के साथ छेड़छाड़ की आशंका भी जताई गई्. इसके बाद डेवलपर उमेश आर्मुगम पिल्ले ने बॉम्बे हाईकोर्ट में एबीए नंबर 1784/2025 दाखिल किया, जबकि इसी मामले में मनोज मित्तल ने अंतरिम आवेदन (आईए) नंबर 2479/2025 सहित 190 पन्नों के सहायक दस्तावेजों के साथ प्रतिवाद प्रस्तुत किया.
वानवड़ी पुलिस स्टेशन में धोखाधड़ी की शिकायत दर्ज
मनोज मित्तल ने यह आरोप लगाया गया कि पिल्ले ने 2 फ्लैट्स 303 और 403 दुबई स्थित ब्लॉकचेन बिजनेसमैन एवं क्रिप्टो गुरु सुशांत मलिक और उनकी पत्नी रुखशेर को बेच दिया और 4 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश करने के लिए प्रेरित किया था. इसके अलावा, पिल्ले ने फ्लैटों में अवैध रूप से स्ट्रक्चरल बदलाव करने के लिए 30 लाख रुपये भी अतिरिक्त लिए थे. सुशांत मलिक, उनका परिवार और उनके तीन कुत्ते लगभग एक साल से अपार्टमेंट पर अवैध रूप से रह रहे हैं, लेकिन उस समय ऑक्यूपेशन सर्टिफिकेट और सेल्स डीड का रजिस्ट्रेशन नहीं कराया गया था. बीती 27 जुलाई को सुशांत मलिक ने नीलेश बजाज, अंकुश मेहता और उमेश पिल्ले को कड़े शब्दों में एक ई-मेल भेजा और सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी. सुशांत मलिक पहले ही उमेश पिल्ले और सेडरस एसेट्स एसोसिएशन ऑफ पार्टनर्स के खिलाफ वानवड़ी पुलिस स्टेशन में धोखाधड़ी की शिकायत दर्ज करा चुके हैं.
पिल्ले ने 2,17,50,000 रुपये फर्म को वापस किए
हाल ही में सोमवार 28 जुलाई को जस्टिस बी.एन. लड्ढ ा ने मनोज मित्तल की हस्तक्षेप याचिका स्वीकार कर ली. पिल्ले के वकील, परिणाम एसोसिएट्स को निर्दे श दिया गया है कि वे अग्रिम जमानत याचिका और उससे संबंधित दस्तावेजों की एक कॉपी मित्तल के वकील को सौंपें. पिल्ले की ओर से यह दलील दी गई कि मलिक परिवार के दपतावेज वास्तव में रजिस्टर्ड हो चुके हैं और फ्लैट नंबर 403 की खरीद के लिए सुशांत और रुखशेर मलिक से प्राप्त 2,17,50,000 (दो करोड़ सत्रह लाख पचास हजार रुपये), जो पिल्ले ने अपने व्यक्तिगत खाते में रखे थे, फर्म को वापस कर दिए हैं. यह राशि फर्म के दोनों प्राधिकृत प्रतिनिधियों, नीलेश बजाज और अंकुश मेहता द्वारा स्वीकार की गई है. अग्रिम जमानत याचिका (एबीए) की सुनवाई अब आगामी 14 अगस्त को होगी. तब तक के लिए कोर्ट ने आदेश दिया है कि अगली तारीख तक वर्तमान अपराध में आवेदक के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी. सुनवाई के दौरान परिणाम लॉ एसोसिएट्स द्वारा निर्दे शित डॉ. अभिनव धनंजय चंद्रचूड़, आवेदक उमेश पिल्ले की ओर से पेश हुए. एड. अरफान सैत, एपीपी, राज्य की ओर से पेश हुए. एड. अमित भौमिक, सागर बटाविया के साथ, इंटरवेनर, मनोज मित्तल का प्रतिनिधित्व कर रहे थे. इस दौरान वानवड़ी पुलिस स्टेशन के पीएसआई लोंढे (आईओ) भी कोर्ट में मौजूद रहे.
भारी रकम लगाने का दबाव डाला था !
नवंबर 2023 में सेशंस कोर्ट और बॉम्बे हाईकोर्ट में दिए गए हलफनामों के अनुसार, मित्तल ने बताया कि पिल्ले ने मुंबई के तत्कालीन चीफ इन्कम टैक्स कमिश्नर फरहत हुसैन कुरैशी पर फ्लैट नंबर 501 खरीदने के लिए भारी रकम लगाने का दबाव डाला था. कुरैशी ने फ्लैट के इंटीरियर के लिए एक आर्किटेक्ट और अन्य कारीगरों की मदद ली. पिछले वर्ष अक्टूबर में सेवानिवृत्त होने के बाद वे और उनकी पत्नी डॉ. गजाला शबनम कुरैशी उस फ्लैट में रहने चले गए.