भारत काे शहरी केंद्राें के करीब 95.1 कराेड़ लाेगाें काे जलवायु परिवर्तन अनुकूल आधारभूत ढांचा बनाने व सेवाएं मुहैया कराने के लिए 2050 तक 2.4 लाख कराेड़ रुपये और 2070 तक 10.9 लाख कराेड़ रुपये निवेश की जरूरत हाेगी. यह जानकारी विश्व बैंक की जारी रिपाेर्ट में दी गई.रिपाेर्ट में कहा गया है कि भारत की शहरी आबादी 48 कराेड़ से लगभग दाेगुनी हाेकर 2050 में 95.1 कराेड़ हाेने का अनुमान है. लिहाजा अनियमित बारिश, तेज गर्मी और समुद्र के बढ़ते जलस्तर से विश्व की सर्वाधिक आबादी वाले देश के शहरी क्षेत्र के लिए जाेखिम बढ़ सकता है. विश्व बैंक की भारत में अनुकूल और समृद्ध शहर की ओर (टूवर्डस रेजिलिएंट एेंड प्राेस्परस सिटीज इन इंडिया) नामक रिपाेर्ट आवास और शहरी मामलाें के मंत्रालय के सहयाेग से बनाई गई है.
इसमें अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थान ने केंद्र सरकार काे बाढ़ व अत्याधिक गर्मी से निपटने के लिए प्रतिबद्ध राष्ट्रीय शहरी व राज्य कार्यक्रम बनाने की सिफारिश की है. इसमें शहरी व राज्य स्तराें पर समन्वित शहरी बाढ़ जाेखिम प्रबंधन लागू कनरे की सिफारिश की गई. इसमें गर्मी काे कम करने के उपायाें के साथ टिकाऊ के साथ ज्यादा बारिश हाेने पर पानी के सतत प्रबंधन पर जाेर दिया गया है. रिपाेर्ट के अनुसार भारत के शहराें में ऐसी याेजनाओं से वर्ष 2050 तक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 0.4 प्रतिशत बढ़ सकता है और सालाना 1,30,000 लाेगाें की जान बच सकती है.विश्व बैंक ने दावा किया कि भारत काे अभी 2050 के लिए 50 प्रतिशत से अधिक शहरी आधारभूत ढांचे का निर्माण करने की आवश्यकता है और यह अनुकूल शहरी आधारभूत ढांचे के विकास के लिए महत्त्वपूर्ण अवसर है.