आतंकवाद के खिलाफ युद्ध, मानवता के खिलाफ युद्ध नहीं है

    31-Jul-2025
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अमेरिकी राजनीतिज्ञ जाेरान ममदानी, जाे न्यूयाॅर्क के मेयर बनने की दाैड़ में हैं, उन्हाेंने एक छाेटी-सी दया की है कि वह इंतिफादा (विद्राेह) का वैश्वीकरण कर इस युद्धघाेष काे लाेकप्रिय नहीं बनाएंगे. वह इसके पीछे के विचार काे भी नहीं नकारेंगे-विचार यह है कि गाजा में इजरायल की कार्रवाई के खिलाफ आक्राेश है. उनके पक्ष काे समझना इतना भी मुश्किल नही है. न्यूयाॅर्क के विभिन्न सीईओ के साथ बातचीत के दाैरान ममदानी ने संकीर्ण साेच रखने वालाें काे जाे रियायत दी, वह शायद उनके अतिवादी विचाराें के बावजूद समावेशी दिखने की उत्सुकता से प्रेरित थी.वामपंथी राजनीतिक भाषा में आतंकवाद के विरुद्ध युद्ध की दिशा से किसी काे विचलित करने के लिए भाषाई विराम आज भी पर्याप्त नहीं हैं. ममदानी, जाे न्यूयाॅर्क के मेयर चुनाव में अग्रणी उम्मीदवार से बढ़कर हैं, उन्हाेंने तथाकथित शहरी विशिष्टाें (स्नाेफ्ले्नस) काे क्रांति बेचकर प्रगतिशील कट्टरपंथ के युवराज का खिताब पहले ही जीत लिया है.
 
ममदानी के इस तीखे हमले के कारण वैचारिक विद्राेह के डर से दक्षिणपंथी लामबंद हाे सकते हैं, और यह रिपब्लिकन के लिए उतना बुरा नहीं है जाे न्यूयाॅर्क में लगातार हारते रहे हैं.्नया राष्ट्र का विचार या उस पर आधारित राजनीति, नए कट्टरपंथियाें की साझा पीड़ित हाेने की भावना काे और बढ़ाती है? ्नया ऐसा है कि प्रगतिशील कहानी में राष्ट्रीय हीनता की पुनर्स्थापना पर दक्षिणपंथी परियाेजना, एक बनावटी अतीत से अपना कच्चा माल प्राप्त करती है.तथा वह जिस भविष्य का वादा करती है, वह एक कल्पना है, जिसका उद्देश्य दुखी लाेगाें काे नशे में डालना है? पीड़ित हाेने का दिखावा करने वाले एक ईसाई वामपंथ के लिए पीड़ित काे सहानुभूति के चाैराहे पर लाने की खातिर वर्जनाएं जरुरी शर्त हैं. आतंकवाद के खिलाफ युद्ध मानवता के खिलाफ नहीं है, भाेजन की कताराें में खड़े गाजा के बच्चे इसकी गवाही देंगे.
 
और 7अ्नटूबर,2023 काे दक्षिणी इजरायल में जाे कुछ भी हुआ, उसके लिए राष्ट्रीय प्रतिक्रिया की नहीं, बल्कि आत्मनिरीक्षण की आवश्यकता है. यह एक अन्यायपूर्ण इतिहास की शुरुआत की यात्रा है, और इस तरह से नैतिकता का उलटा प्रभाव सड़क पर लड़ने वाले लाेगाें और उनके वैचारिक सहयाेगियाें द्वारा हासिल किया जाता है.इजरायल वह राष्ट्र है, जाे नाराें की लड़ाई के बीच सबसे अधिक अलगाव महसूस करता है और अपने जीने के अधिकार के लिए अविचल रूप से कार्य करता है. जब इजरायल के खिलाफ आतंक का अभियान ममदानी जैसे प्रशिक्षु क्रांतिकारियाें काे इंतिफादा का वैश्वीकरण करने जैसा यहूदी विराेधी नारा देने के लिए प्रेरित करता है, ताे यह दर्शाता है कि किस तरह से तुच्छ बयानबाजी राष्ट्राें के अस्तित्व के संघर्ष काे मानवता के विरुद्ध आतंक में बदल सकती है.जाे लाेग इजरायल काे अस्तित्व का अधिकार देने से इन्कार करते हैं, उनके खिलाफ इजरायल का स्थायी बचाव, अंतरराष्ट्रीय नैतिकता के लाेकप्रिय संस्करण की अस्वीकृति है.
 
किसी भी अन्य राष्ट्र ने, चाहे उसे जिहादियाें और आतंकवाद के समर्थकाें द्वारा आतंकवादी राज्य के रूप में चित्रित किया गया हाे,युद्ध के मैदान में राष्ट्र के विचार काे एकमात्र कारण नहीं बनाया है. बचाव की तीव्रता और इसके कार्यक्षेत्र के लगातार बढ़ते विस्तार ने निश्चित रूप से गाजा में गंभीर मानवीय संकट पैदा कर दिया है.आतंकवाद के विरुद्ध राष्ट्रीय संघर्ष के बारे में इजरायल जाे कहानी कहता है, वह यहूदी-विराेध अभियान की कथात्मक चाैड़ाई और फिलिस्तीनी संघर्ष के अमर राेमांस से कहीं अधिक बड़ी है. इजरायल की दृढ़ता ने इंतिफादा काे आसानी से सीमा पार करने की अनुमति नहीं दी है.आतंकवादी के विरुद्ध युद्ध में तर्क भी मद्दगार साबित हाे सकते हैं. भारत आतंकवादी हमले के शिकार राष्ट्राें के लिए पीड़ित राष्ट्र की विश्वसनीयता के साथ तर्क प्रस्तुत कर रहा है.
 
आतंक के साथ जीने की हमारी कहानी स्वतंत्र भारत जितनी पुरानी हाे सकती है, लेकिन 2014 के बाद से, जब माेदी राष्ट्रीय मु्नित के नारे के साथ सत्ता में आए, ताे संदेश की तात्कालिकता के साथ-साथ त्वरित जवाब का सिद्धांत भी सामने आया है. इस संदेश काे कभी भी पूर्ण स्वीकृति नहीं मिली, इसका एक कारण यह भी है कि दुनिया के कुछ हिस्साें में कश्मीर के बारे में गलत धारणा व्याप्त है, तथा भारत-पाकिस्तान तनाव काे ऐतिहासिक अपरिहार्यता के रूप में देखा जाता है.वामपंथियाें द्वारा इस्लामाेफाेबिया की दीवार भी खड़ी की गई है जाे इस्लाम और वैश्विक आतंकवाद पर एक ईमानदार बहस काे बर्दाश्त नहीं कर सकते. पहलगाम में जाे हुआ, उसकी शैली और बर्बरता, दाे साल पहले इजरायल में हुए हमास के हमले की तरह ही मजहब से प्रेरित थी.
 
इस संकट की घड़ी में दुनिया भारत के साथ खड़ी थी.दुनिया ने भारत के सटीक जवाबी कार्रवाई करने के राष्ट्रीय संकल्प और सजा मिलने के बाद उसके संयम का समर्थन करने में उतनी तत्परता नहीं दिखाई. भारत काे अपनी कहानी काे आगे बढ़ाना था और इस बात पर जाेर देना था कि विश्व काे इसे अपना मानना चाहिए. यही वह संदेश है,जाे माेदी दुनिया काे देना चाहते हैं.आतंकवाद के विरुद्ध युद्ध एक बार फिर एकजुट वैश्विक प्रतिक्रिया के बजाय पृथक राष्ट्रीय कार्रवाई बन गया है, इसलिए इस संदेश काे विश्वसनीय और तात्कालिक बनाने के लिए एक ऐसे नेता की आवश्यकता है,जिसके पास उतना ही ठाेस और स्थायी लाेकतांत्रिक जनादेश हाे, जितना कि आज दुनिया में अकेले माेदी के पास है. -एस. प्रसन्नराजन