अपने बच्चाें काे साहस और लगन की शिक्षा दें

    05-Jul-2025
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Osho 
 
जिस बच्चे में साहस नहीं है वह बच्चा कभी भी नैतिक नहीं हाे सकेगा. मैं नैतिक जीवन का बुनियादी आधार करेज मानता हूं. - न ताे सत्य मानता हूं. और न अहिंसा मानता हूं. करेज, जितना साहसी लड़का हाेगा, जीवन में उतना ही वह सत्यवादी हाेगा.क्याेंकि जब भी साहस की कमी पड़ती है तभी आदमी झूठ बाेलता है. जब उसकाे लगता है कि ठग जाएंगे सच बाेलने से, तब झूठ बाेलने लगता है. जब उसकाे लगता है कि ईमानदारी की ताे नुकसान हाे जाएगा ताे वह बेइमानी करता है. मेरी दृष्टि में सारी अनीति साहस की कमी है. और साहस तभी विकसित हाेता है जब हम बच्चाें काे साहस की ट्रेनिंग से गुजारें. सैनिक शिक्षण का मतलब है कि उसे साहस की ट्रेनिंग से गुजारना चाहिए. छाेटे से छाेटे बच्चाें काे पहाड़ाें पर ले जाना चाहिए. समुद्राें में तैरना चाहिए. दस पच्चीस हजार बच्चे हर साल मरेंगे, मर जाने देना है, इसकी िफकर छाेड़ देनी है.
 
पूरी काैम के मरने की बजाय, जिस तरह से कल्टीवेट हाे सके साहस, दुस्साहस कल्टीवेट हाे सके, वह हम सारी चेष्टा करें. नहीं ताे यह जाे शिक्षक हमें समझा रहे हैं और नेता समझा रहे हैं कि मारल टीचिंग हाे स्कूल में, झूठ बाेलना पाप है. यह ताे हम पांच हजार साल से कर रहे हैं. इसमें कुछ नहीं हुआ कि हिंसा परमाेधर्म है. यह सब ताे बहुत हाे चुकी है बकवास, इससे कुछ हुआ नहीं. हमें यह पकड़ना पड़ेगा कि एक आदमी अनैतिक हाेता कब है? जब भी उसमें साहस की कमी पड़ती है और िफयर पैदा हाेती है, तभी वह अनैतिक हाेता है. तभी बचाव के लिए एक ही रास्ता रह जाता है उसके पास कि वह झूठ बाेल ले. बच जाए, बेईमानी कर ले. हमें इतना साहसी बच्चा पैदा करना है जाे कि जान हमेशा हथेली पर लिया रहे ताे ही नैतिक आदमी पैदा हाेगा.
 
क्याेंकि पूरी साेसाइटी ही इममाेरल है और माॅरल आदमी तभी पैदा हाे सकता है जब पूरी साेसाइटी से लड़ने की हिम्मत उसके भीतर हाे. हममें लड़ने की हिम्मत नहीं है. हमें लड़ने की हिम्मत पैदा करने की बड़ी जरूरत है. और वह काेई बच्चे में किससे लड़ने की हिम्मत हम पैदा कर सकते हैं, समुद्र से लड़ने की हिम्मत पैदा कर सकते हैं, पहाड़ पर जूझने की हिम्मत पैदा कर सकते हैं. उसे हम उस ट्रेनिंग से गुजार सकते हैं. जहां उसे ऐसा लगने लगे कि वह जान हथेली पर लिए हुए हैं. एक घटना मुझे याद आती है, अकबर के पास दाे राजपूत लड़के गए. उम्र काेई बीस वर्ष है. दाेनाें जुड़वा भाई है और उन्हाेंने जाकर, अकबर से कहा कि हम दाे बहादुर लड़के हैं, और नाैकरी की तलाश में आए हैं. अकबर ने ऐसे ही मजाक में पूछा कि बहादुरी का काेई प्रमाण पत्र है? कैसे हम समझे कि तुम बहादुर हाे? उन दाेनाें की आंखाें में एकदम आग चमक गयी. और उन्हाेंने तलवार निकाली और वे तलवारें एक दूसरे के छाती में घुस गयी. दाेनाें भाई थे. फव्वारा छूट गया, खून का, नीचे गिर पड़े.
 
अकबर ताे घबड़ा गया. उसने अपने सेनापतियाें काे बुलाया राजपूताें काे यह क्या हाे गया ? यह ताे बड़ी मुश्किल हाे गयी. मैंने ताे र्सिफ प्रमाणपत्र पूछा था. उन सेनापतियाें ने कहा, राजपूताें से प्रमाणपत्र पूछना हाेता है? बहादुरी का प्रमाणपत्र एक ही है कि हम मरने काे हमेशा तैयार हैं.ताे मेरी दृष्टि में, छाेटे बच्चाें की दूसरी ट्रेनिंग का हिस्सा हैं, जीवन काे दांव पर लगाने की जाेखिम लेने की हिम्मत.यह क्रमश: बढ़ाते जाना चाहिए जब तक की युनिवर्सिटी से वह बाहर न निकले. और शुरू ताे कर देना चाहिए जितनी जल्दी हाे सके. के. जी. से शुरू करना चाहिए. कदम-कदम पर डेवलपमेंट हाेंगे उसके. के. जी. के बच्चे काेई समुद्र में नहीं ेंक देना है, लेकिन के. जी. के बच्चे काे भी अंधेरे में भेजा जा सकता है, दरख्ताें पर चढ़ाया जा सकता है, उसकी हिम्मत बढ़ायी जा सकती है, जहां उसकाे हमेशा यह लग सके कि मर सकता हूं, लेकिन मरने की िफक्र नहीं करनी है.जाे करना है वह इतना जल्दी बीजाराेपण करना है कि युनिवर्सिटी के लेवल तक आते-आते हम उसकाे उस हालत में खड़ा करेंगे, क्याेंकि साेसाइटी है इम्मारल.