नाबालिग लड़कियों की ‘पुनर्वास' प्रक्रिया में सुधार जरुरी : डॉ. गोऱ्हे
05-Jul-2025
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मुंबई, 4 जुलाई (वि.प्र.)कानून के दायरे में रहते हुए नाबालिग लड़कियों को स्वतंत्रता और आत्मनिर्णय की जरूरत है. हालांकि, चूंकि वह 18 वर्ष से कम उम्र की हैं, इसलिए उनका पुनर्वास बाल कल्याण समिति, किशोर न्याय बोर्ड और बालगृहों के माध्यम से किया जाना है. इसमें कई नीतिगत समस्याएं हैं. विधान परिषद की उपसभापति डॉ. नीलम गोऱ्हे ने कहा कि नाबालिग लड़कियों के पुनर्वास की प्रक्रिया में नीतिगत सुधार की जरूरत है. छत्रपति संभाजीनगर के एक बालगृह से 9 नाबालिग लड़कियां भाग गईं. डॉ. नीलम गोऱ्हे ने उस घटना पर सदन में गहरी चिंता व्यक्त की. महिला एवं बाल विकास मंत्री माननीय अदिति तटकरे ने इस घटना के संबंध में सदन में एक बयान पेश किया. इस पर प्रतिक्रिया देते हुए डॉ. गोर्हे ने कहा कि निजी बाल गृहों में होने वाली गड़बड़ियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जरूरत है. लेकिन ऐसी घटनाओं के पीछे बाहरी दलालों के सक्रिय होने की संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता. काउंसिलिंग के तरीके, इसकी अवधि और कभी-कभी लड़कियों को दूसरों से अलग रखने की जरूरत, ये सभी पहलू प्रबंधन की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण हैं और इन पर गंभीरता से ध्यान दिया जाना चाहिए. डॉ. नीलम गोर्हे ने अपने भाषण में पॉक्सो एक्ट के क्रियान्वयन की प्रक्रिया पर पुनर्विचार करने की जरूरत जताई और सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों का हवाला दिया. उन्होंने कहा कि चौथी महिला नीति के जरिए एक मजबूत, प्रभावी और संवेदनशील क्रियान्वयन तंत्र स्थापित किया जाएगा.