देश जब डिजिटल इंडिया के 10 साल पूरे हाेने का जश्न मना रहा है, तब यह देखना वाकई महत्वपूर्ण है कि पिछले कुछ वर्षाें में इंटरनेट और ‘सर्च’ की दुनिया में कितने बदलाव आए हैं? यकीनन इंटरनेट पर सर्च, यानी खाेजने का तरीका बदल गया है. जैसे-जैसे जेनरेटिव एआई बाॅट्स लाेकप्रिय हाेते जा रहे हैं, उपभाे्नता सर्च के लिए जेनेरेटिव एआई पर निर्भर हाेते जा रहे हैं.सर्च इंडस्ट्री अब ‘ब्राउजर’ से आगे ‘बाॅट्स’ की ओर बढ़ रही है. 1997 में गूगल सर्च की शुरुआत हाेने से लेकर एप्पल के सफारी, माइक्राेसाॅफ्ट बिंग, डकडकगाे व यांडे्नस तक ‘सर्च इंजन’ बाजार ने अरबाें डाॅलर के उद्याेग के रूप में तर्नकी की है. बाजार पर नजर रखने वाली कंपनी माेडाीरर इंटेलिजेंस के अनुसार, 2025 में सर्च इंजन का जाे काराेबार 252.2 अरब डाॅलर का है, 2030 तक वह 440.6 अरब डाॅलर तक पहुंच सकता है.
अब उपभाे्नताओं के पास वाट्सएप पर मेटा एआई, माइक्राेसाॅफ्ट पर चैटजीपीटी जीमेल पर जेमिनी, ए्नस पर ग्राेक के अलावा परप्ले्निसटी और ओपेन एआई जैसे तमाम विकल्प माैजूद हैं. पिछले दशकाें में उपयाेगकर्ताओं में वही सर्च इंजन आदर्श रहे हैं, जिनमें कंटेंट, यानी इंटरनेट सामग्रियाें के लिंक माैजूद रहे हैं.बढ़ती दक्षता और पूर्वानुमान इंजन ने लिंक खाेजना काफी आसान बना दिया है.अब खाेज के लिए किसी ब्राउजर पर जाने के बजाय युवा उपयाेगकर्ता सीधे बाॅट्स का इस्तेमाल कर रहे हैं. कुछ मामलाेें में ताे बाॅट्स से लिंक के बिना संक्षिप्त जवाब मिल जाते हैं. जबकि, कुछ मामलाें में वह स्राेताें के लिंक भी मुहैया कराता है. हालांकि, कई मामलाें में यह भी देखा गया है कि बाॅट्स द्वारा उपलब्ध कराई गई संक्षिप्त जानकारी दाेषपूर्ण या गलत रही है.
इसके बाद जिन उपयाेगकर्ताओं के पास सही जानकारी हाेती है, वह पेश किए गए ‘संक्षिप्त जानकारी’ काे सही करने का प्रयास करते हैं, ताकि जेनरेटिव एआई बाॅट सीख सके और उसे सुधारा जा सके. कुछ बाॅट्स सीमित, पर विशाल डाटासेट से सूचनाओं का उपयाेग करते हैं, ताे कुछ खुद इंटरनेट पर सर्च करते हैं और ब्राउजर की तरह काम करते हैं.जाहिर है, सर्च उद्याेग एक नए युग में प्रवेश कर चुका है. कई उपकरणाें और ई-मेल जैसी सेवाओं में जेनरेटिव एआई बाॅट्स की माैजूदगी के कारण अब इंटरनेट पर माैजूद सामग्रियां लिंक आधारित सूचनाओं के बजाय एआई आधारित सारांश में दिखने लगी हैं. कंपनियां पहले सर्च इंजन प्लेटफाॅर्म पर विज्ञापन शुल्क लगाकर पैसे कमा रही थीं.अब सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन (एसईओ) विज्ञापनदाताओं के लिए अपनी सामग्री काे बढ़ावा देने का एक मानक बन गया है.
जेनरेटिव एआई बाॅट्स दशकाें पुराने माॅडल काे अब बदल रहे हैं. जेनरेटिव एआई उपभाे्नताओं के लिए सारांश या नाेट्स नहीं बनाते. लाेग जेनरेटिव एआई बाॅट्स में संदर्भ के साथ सूचनाएं दर्ज कर रहे हैं और फिर सवाल पूछ रहे हैं. कई उपयाेगकर्ताओं के लिए कंटेंट के लिंक अब काम के नहीं रहे. वास्तव में, कई नाैजवानाें में प्रासंगिक कंटेंट खाेजने के लिए विभिन्न लिंक पर ्निलक करने का धैर्य नहीं हाेता. वह जेनरेटिव एआई बाॅट्स से यह उम्मीद करते हैं कि वह उनके लिए सर्च कर देंगे, उनका सारांश पेश करेंगे और तमाम स्राेताें से उन्हें सामग्रियां मुहैया कराएंगे.लाखाें उपयाेगकर्ता ताे जेनरेटिव एआई बाॅट्स में बाेलकर भी इंटरनेट पर सामग्रियां खाेज रहे हैं.
इस कारण पूरी सर्च इंजन इंडस्ट्री एक बड़े बदलाव की ओर अग्रसर है. इंटरनेट का विश्लेषण करने वालीस्टैटकाउंटर नाम की कंपनी ने चैटजीपीटी की शुरुआत और अन्य जेनरेटिव एआई बाॅट्स के बढ़ते उपयाेग के बाद बाजार में गूगल की हिस्सेदारी गिरने की बात कही है. माेडाेंर रिपाेर्ट में भी कहा गया है कि एआई-संचालित सशुल्क सर्च इंजन 2025 में बेशक एक अरब डाॅलर का व्यापार कर रहा है, मगर 2029 तक यह 26 अरब डाॅलर पर पहुंच सकता है, क्योंकि विज्ञापनदाता उन सर्च इंजन से बचना चाहते हैं, जहां कम लाेग विज्ञापन के लिंक पर ्निलक करते हैं. इसके बजाय उनका रुझान उन इंजनाें पर है, जहां ज्यादा लाेग सर्च के लिए आ रहे हैं.बाजार के खिलाड़ी अब एसईओ की अगली कड़ी के रूप में जेनरेटिव इंजन ऑप्टिमाइजेशन (जीईओ) पर अपना ध्यान टिकाए हुए हैं. कंपनियां यह सुनिश्चित करने के लिए संघर्ष कर रही हैं कि उनके उत्पाद और सेवाएं ग्राेक व जेमिनी जैसे विभिन्न बाॅट्स द्वारा पैदा एआई-सारांश में दिखाई दें.
युवा व दूरदर्शी उपभाे्नता एआई-सारांश पर जाेर देते हैं, उसके मूल स्राेत वाले लिंक पर ध्यान नहीं देते.एजेंटिक एआई के उदय का यही अर्थ है कि ब्रांडेड और प्रायाेजिक लिंक का महत्व अब कम हाे जाएगा. एजेंटिक एआई दरअसल उन्नत स्तर का बाॅट है, जाे उपयाेगकर्ताओं के पिछले व्यवहार के आधार पर उनकी जरूरताें का फाैरन अनुमान भी लगा सकता है. इस कारण जीईओ आने वाले महीनाें में एसईओ आधारित याेजनाओं काे पीछे छाेड़ देगा. कुछ डिजिटल विज्ञापनदाताओं ने जीईओ के लिए एआई आधारित समाधान देना शुरू किया है. ब्रिटिश कंपनी डिजिटल-बिज ने एआई इंजन बूस्ट की शुरुआत की है, जाे कंपनी के मुताबिक, ‘विकसित हाेते सर्च के संसार में एक परिवर्तनकारी संयाेजक’ के रूप में काम करता है, और पारंपरिक एसईओ काे अगली पीढ़ी की एआई-एसईओ, आंसर इंजन ऑप्टिमाइजेशन (एईओ) और जेनरेटिव इंजन ऑप्टिमाइजेशन (जीईओ) से जाेड़ता है. डिजिटल- बिज ने एक बयान में कहा भी है, एआई इंजन बूस्ट लाेगाें की ब्रांड तक पहुंच काे सर्वव्यापी बनाता है. - प्रांजल शर्मा