भारत में माेटापे की समस्या के मद्देनजर केंद्र सरकार ने भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) काे भारतीयाें के लिए आदर्श आहार तैयार करने का काम साैंपा है और उम्मीद है कि आईसीएमआर जल्द ही अपनी सिफारिशें साैंप देगा. मामले से अवगत दाे अधिकारियाें ने यह जानकारी दी.यह तत्काल निर्देश ब्रिटिश मेडिकल जर्नल लैंसेट के चाैंकाने वाले निष्कर्षाें के बाद आया है, जिसमें अनुमान लगाया गया है कि भारत में अधिक वजन और माेटापे से ग्रस्त वयस्काें की संख्या 2021 में 180 मिलियन से बढ़कर 2050 तक 449 मिलियन हाे जाएगी, जब देश की एक तिहाई आबादी माेटापे से ग्रस्त हाेगी.इस प्रक्षेपवक्र के अनुसार भारत अमेरिका और चीन के बाद माेटापे के मामले में दूसरे सबसे बड़े वैश्विक बाेझ वाला देश है.
माेटापे से निपटने की अनिवार्यता इसके स्वास्थ्य और आर्थिक निहितार्थाें से उपजी है, क्याेंकि यह मधुमेह, उच्च रक्तचाप और हृदय संबंधी बीमारियाें के जाेखिम काे काफी हद तक बढ़ाता हैजिससे स्वास्थ्य सेवा की लागत बढ़ जाती है और उत्पादकता कम हाे जाती है. पहले अधिकारी ने बताया कि याेजना के एक हिस्से के रूप में, आईसीएमआर का राष्ट्रीय पाेषण संस्थान माेटापे से संबंधित स्वास्थ्य प्राथमिकता अनुसंधान पर ध्यान केंद्रित कर रहा है और आबादी की पाेषण स्थिति पर सक्रिय रूप से नज़र रख रहा है. इसलिए, मधुमेह, उच्च रक्तचाप और हृदय राेग जैसी गैर-संचारी बीमारियाें (एनसीडी) का जाेखिम बढ़ रहा है. अस्वास्थ्यकर आहार, गतिहीन जीवनशैली और पर्यावरणीय कारक माेटापे के बढ़ते प्रचलन में मुख्य याेगदानकर्ता हैं, जाे अब एक बड़ी चिंता का विषय है.