केंद्र सरकार द्वारा अगले 5 वर्षाें में 75,000 नई मेडिकल सीटें जाेड़ने की घाेषणा के बाद, राष्ट्रीय चिकित्सा आयाेग (एनएमसी) ने मेडिकल संस्थान विनियम, 2025 काे अधिसूचित किया है, जिसका उद्देश्य पात्र संकाय के पूल काे बढ़ाना और पूरे भारत में मेडिकल काॅलेजाें में स्नातक (एमबीबीएस) और स्नातकाेत्तर (एमडी/एमएस) सीटाें के विस्तार की सुविधा प्रदान करना है.नए नियम पाेस्ट ग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन बाेर्ड द्वारा छचउ के तहत लाए गए हैं, जाे भारत में चिकित्सा शिक्षा, पेशेवराें, संस्थानाें और अनुसंधान काे विनियमित करने वाली वैधानिक संस्था है. संशाेधित नियमाें के अनुसार, 220 से अधिक बिस्तराें वाले गैर-शिक्षणसरकारी हाॅस्पिटलाें काे अब शिक्षण संस्थान के रूप में नामित किया जा सकता है.
साथ ही, 10 साल के अनुभव वाले विशेषज्ञाें काे एसाेसिएट प्राेफेसर के रूप में नियुक्त किया जा सकता है; और दाे साल के अनुभव वाले विशेषज्ञाें काे अनिवार्य वरिष्ठ निवास के बिना सहायक प्राेफेसर के रूप में नियुक्त किया जा सकता है,बशर्ते कि उन्हाेंने दाे साल के भीतर बायाेमेडिकल रिसर्च में बेसिक काेर्स पूरा कर लिया हाेएनएमसी ने एक बयान में कहा, यह नियम संकाय की पात्रता निर्धारित करने के तरीके में एक आदर्श बदलाव काे दर्शाते हैं-कठाेर सेवा मानदंडाें से ध्यान हटाकर याेग्यता, शिक्षण अनुभव और शैक्षणिक याेग्यता पर ध्यान केंद्रित करना, उन्हाेंने कहा कि सुधार चिकित्सा शिक्षा के विस्तार में तेजी लाएगा, विशेष रूप से कम सेवा वाले क्षेत्राें मेंअन्य परिवर्तनाें में M.Sc./Ph.D. संकाय का विस्तारित उपयाेग शामिल है, जहां एनाटाॅमी, फिजियाेलाॅजी और बायाेकेमिस्ट्री के अलावा, माइक्राेबायाेलाॅजी और फार्माकाेलाॅजी विभागM.Sc./Ph.D याेग्यता वाले संकाय की नियुक्ति कर सकते हैं.