10 ट्रेड यूनियनाें द्वारा आज भारत बंद

    09-Jul-2025
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10 ट्रेड यूनियनाें और सहयाेगी संगठनाें द्वारा आज भारत बंद का आहृवान किया गया. इस आहृवान पर बैंक, पाेस्ट ऑफिस सहित विभिन्न विभागाें के 25 कराेड़ से ज्यादा कर्मी हड़ताल पर रहेंगे. इसके अलावा परिवहन सेवाएं भी ठप्प रहेंगी.23 सूत्रीय मांगाें काे लेकर देशभर में काम बंद आंदाेलन किया जाएगा. केंद्र सरकार की मनमानी, कामगार, मजदूर तथा किसान विराेधी नीतियाें, लेबर कानून कमजाेर करने, निजीकरण तथा विभिन्न क्षेत्राें में रूकी भर्तियाें के विराेध में हड़ताल का निर्णय लिया गया है. इस हड़ताल में मेडिकल सहित अत्यावश्यक सेवाओं काे छूट मिली है. महाराष्ट्र में भी सेवाएं प्रभावित हाेंगी.बैंक, बीमा, डाक, काेयला खनन, हाईवे, निर्माण, और कई राज्याें में सरकारी परिवहन जैसी अहम सेवाएं बुधवार 9 जुलाई काे प्रभावित हाे सकती हैं.
 
ऐसा इसलिए क्याेंकि 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनाें और उनके सहयाेगी संगठनाें का दावा है कि देशभर में कल 25 कराेड़ से ज्यादा कर्मचारी हड़ताल पर रहेंगे. ट्रेड यूनियंस निजीकरण और 4 नए लेबर काेड्स के विराेध में हैं. ये केंद्र की उन नीतियाें का विराेध कर रही हैं, जिन्हें वे मजदूर-विराेधी, किसान-विराेधी और काॅर्पाेरेट समर्थक मानती हैं.पीरियाेडिक लेबर फाेर्स सर्वे के मुताबिक देश में पब्लिक और प्राइवेट सेक्टर में 56 कराेड़ कर्मचारी है. इसमें इनफाॅर्मल सेक्टर में 50 कराेड़ और फाॅर्मल सेक्टर में 6 कराेड़ कर्मचारी है. फाॅर्मल सेक्टर मतलब वाे नाैकरियां या बिजनेस जहां सब कुछ साफ-साफ और नियमाें के तहत हाेता है. जैसे सरकारी दफ्तर, बैंक, बड़ी फैक्ट्रियां, या मल्टीनेशनल कंपनियां.यहां सैलरी फिक्स्ड हाेती है. प्राेविडेंट फंड, हेल्थ इंश्याेरेंस, और छुट्टियां जैसे फायदे मिलते हइनफाॅर्मल सेक्टर वाे है, जहां काम ढीले-ढाले ढंग से हाेता है और ज्यादा नियम-कानून नहीं हाेते.
 
जैसे छाेटी दुकानें, स्ट्रीट वेंडर, ऑटाे रिक्शा ड्राइवर, या घराें में सिलाई का काम. यहां सैलरी या कमाई तय नहीं हाेती, काेई पीएफ या इंश्याेरेंस नहीं मिलता और काम के घंटे भी अनियमित हाेते हैं. ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस के अमरजीत काैर ने कहा- 25 कराेड़ से ज्यादा वर्कर इस हड़ताल में शामिल हाेने वाले हैं. किसान और ग्रामीण मजदूर भी इस प्रदर्शन का समर्थन करेंगे. इसमें बैंक, डाक, काेयला खनन, बीमा, परिवहन, फैक्ट्रियां और निर्माण जैसे कई सेक्टराें के कर्मचारी शामिल हैं. इसके अलावा, किसान और ग्रामीण मजदूर भी इस विराेध में शामिल हाेंगे. रेलवे और टूरिज्म जैसे सेक्टराें काे इस हड़ताल से बाहर रखा गया है. ट्रेड यूनियनाें का कहना है कि सरकार की नीतियां मजदूराें और किसानाें के खिलाफ हैं. उनका आराेप है कि सरकार काॅरपाेरेट्स काे फायदा पहुंचाने के लिए पब्लिक सेक्टर की कंपनियाें का निजीकरण कर रही है, मजदूराें के हक छीन रही है और चार नए लेबर काेड्स के जरिए मजदूराें के हड़ताल करने और सामूहिक साैदेबाजी जैसे अधिकाराें काे कमजाेर कर रही है.