चाैकियाें तक जैसे गलवान, सियाचिन और लद्दाख पहुंच चुका है. इंडिया स्टैक ने, जाे हमारा डिजिटल बैकबाेन है, यूपीआइ जैसे प्लेटफार्म काे सक्षम बनाया है, जाे अब सालाना 100 अरब से अधिक लेन-देन करता है. विश्व में हाेने वाले कुल रियल-टाइम डिजिटल ट्रांजै्नशन में से लगभग आधे भारत में हाेते हैं. डायरे्नट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) के माध्यम से 44 लाख कराेड़ रूपये से अधिक की राशि सीधे नागरिकाें काे हस्तांतरित की गयी है, जिससे बिचाैलियाें की भूमिका समाप्त हुई और 3.48 लाख कराेड़ रूपये की लीकेज राेकी गयी है. स्वामित्व जैसी याेजनाओं ने 2.4 कराेड़ से अधिक प्राॅपर्टी कार्ड्स जारी किये हैं और6.47 लाख गावाें काे मैप किया है, जिससे वर्षाें से चली आ रही भूमि संबंधी अनिश्चितता का अंत हुआ है.
सभी के लिए अवसराें का लाेकतांत्रीकरण : भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था अब पहले से कहीं अधिक एमएसएमइ और छाेटे उद्यमियाें काे सश्नत बना रही है.ओएनडीसी (ओपन नेटवर्क फाॅर डिजिटल काॅमर्स) एक क्रांतिकारी प्लेटफाॅर्म है, जाे विक्रेताओं और खरीदाराें के विशाल बाजार से सीधा संपर्क स्थापित कर नये अवसराें की खिड़की खाेलता है. जीइएम (गवर्नमेंट इ-मार्केटप्लेस) आम आदमी काे सरकार के सभी विभागाें काे सामान और सेवाएं बेचने की सुविधा देता है. इससे न केवल आम नागरिक काे एक विशाल बाजार मिलता है, बल्कि सरकार की बचत भी हाेती है.कल्पना कीजिए कि आप मुद्रा लाेन के लिए ऑनलाइन आवेदन करते हैं. आपकी क्रेडिट याेग्यता काे अकाउंट एग्रीगेटर फ्रेमवर्क के माध्य से आंका जाता है, आपकाे लाेन मिलता है, आप अपना व्यवसाय शुरू करते हैं.
आप जीइएम पर पंजीकृत हाेते हैं, स्कूलाें और अस्पतालाें काे सप्लाई करते हैं और फिर ओएनडीसी के माध्यम से इसे और बड़ा बनाते हैं. ओएनडीसी ने हाल ही में 20 कराेड़ लेन-देन का आंकड़ा पार किया है. बनारसी बुनकराें से लेकर नगालैंड के बांस शिल्पियाें तक अब विक्रेता बिना बिचाैलियाें के पूरे देश में ग्राहक तक पहुंच रहे हैं.जीइएम ने 50 दिनाें में एक लाख कराेड़ रूपये का जीएमवी पार किया है, जिसमें 22 लाख विक्रेता शामिल हैं, जिनमें 1.8 लाख से अधिक महिला संचालित एमएसएमइ हैं, जिन्हाेंने 46,000 कराेड़ रूपये की आपूर्ति की है.सभी इनाेवेटर्स, एंटरप्रेन्याेर्स ,और ड्रीमर्स से: दुनिया अगली डिजिटल क्रांति के लिए भारत की ओर देख रही है. आइए, हम वह बनायें, जाे सशक्त बनाता है. आइए हम ऐसे हल निकाले जाे वास्तव में मायने रखता है.
आइए हम उस तकनीक के साथ नेतृत्व करें, जाे यूनाइट, इन्नलूदस साल पहले हमने एक ऐसे क्षेत्र में पूर्ण विश्वास के साथ ऐसी यात्रा शुरू की थी, जहां पहले काेई नहीं गया था. जहां दशकाें तक यह संदेह किया गया कि भारतीय तकनीक का उपयाेग कर पायेंगे या नहीं, हमने उस साेच काे बदला और भारतीयाें की तकनीक का उपयाेग करने की क्षमता पर विश्वास किया.जहां दशकाें तक सिर्फ यह साेचा गया कि तकनीक का उपयाेग अमीर और गरीब के बीच की खाई काे और गहरा करेगा, हमने उस मानसिकता काे बदला और तकनीक के माध्यम से उस खाई काे खत्म किया. जब नीयत सही हाेती है, ताे नवाचार वंचिताें काे सशक्त करता है.
जब दृष्टिकाेण समावेशी हाेता है, ताे तकनीक हाशिये पर खड़े लाेगाें के जीवन में परिवर्तन लाती है. यही विश्वास डिजिटल इंडिया की नींव बना एक ऐसा मिशन, जाे सभी के लिए पहुंच काे लाेकतांत्रिक (आसान) बनाने, समावेशी डिजिटल इंफ्रास्ट्र्नचर बनाने और अवसराें काे उपलब्ध कराने के लिए शुरू हुआ. वर्ष 2014 में इंटरनेट की पहुंच सीमित थी, डिजिटल साक्षरता कम थी और सरकारी सेवाओं की ऑनलाइन पहुंच बेहद सीमित थी.कई लाेगाें काे संदेह था कि भारत ऐसा विशाल और विविध देश वास्तव में डिजिटल बन सकता है या नहीं.
आज इस प्रश्न का उत्तर डाटा और डैशबाेर्ड में नहीं, बल्कि 140 कराेड़ भारतीयाें के जीवन के माध्यम से दिया जा चुका है. शासन से लेकर शिक्षा, लेन-देन और निर्माण तक डिजिटल इंडिया हर जगह है.डिजिटल डिवाइड काे पाटते हुए : वर्ष 2014 में भारत में लगभग 25 कराेड़ इंटरनेट कने्नशन थे. आज यह संख्या बढ़कर 97 कराेड़ से अधिक हाे चुकी है. बयालीस लाख किलाेमीटर से अधिक ऑप्टिकल फाइबर केबल, जाे पृथ्वी और चंद्रमा के बीच की दूरी का 11 गुना है, अब दूरस्थ गांवाें काे भी जाेड़ रही है. भारत का 5जी राेलआउट विश्व में सबसे तेज राेलआउट्स में से एक है, और मात्र 2 वर्षाें में 4.81 लाख बेस स्टेशन स्थापित किये गये हैं.हाई-स्पीड इंटरनेट अब शहरी केद्राें से लेकर आग्रिम सैन्य