पुणे, 11 अगस्त (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क)
शहर की सबसे बड़ी झोपड़पट्टी मानी जाने वाली जनता वसाहत की कुल 48 एकड़ जमीन पर झोपड़पट्टी पुनर्वास योजना के नाम पर पूरे 763 करोड़ का टीडीआर देने की योजना एसआरए प्राधिकरण ने बनाई है. एक तरफ बीडीपी आरक्षित पहाड़ियों के लिए केवल 0.08 टीडीआर देने का प्रावधान है, वहीं जनता वसाहत की पहाड़ी के लिए 100 प्रतिशत टीडीआर देने का निर्णय लिया गया है. इससे यह साफ हो गया है कि झोपड़पट्टीवासियों का हित साधने के बजाय कुछ बड़े बिल्डरों को फायदा पहुंचाने का काम एसआरए प्राधिकरण के माध्यम से हो रहा है. पर्वती स्थित जनता वसाहत के प्लॉट नंबर 519, 521 ए और 521 बी पर झोपड़पट्टी है. इन जमीनों को अधिग्रहित कर उसके बदले में टीडीआर देने का प्रस्ताव जनवरी महीने में एसआरए प्राधिकरण के पास दाखिल किया गया. इस प्रस्ताव का आर्थिक महत्व देखते हुए तत्कालीन मुख्य कार्यकारी अधिकारी नीलेश गटणे ने तत्परता दिखाते हुए उस पर तुरंत कार्रवाई की. इसके बाद यह प्रस्ताव राज्य के गृह निर्माण के पास भेजा गया और गृह निर्माण ने अप्रैल महीने में पत्र द्वारा एसआरए को निर्देश दिया कि इस जमीन के बदले 100 प्रतिशत टीडीआर देने की कार्रवाई की जाए. इसके बाद जुलाई महीने में एसआरए ने यह जमीन अपने नाम लेकर टीडीआर देने की प्रक्रिया शुरू कर दी. इस जमीन का कुल क्षेत्रफल 1,92,579 वर्ग मीटर है. जनता वसाहत के वर्तमान रेडी रेकनर दर को ध्यान में रखते हुए इस जमीन के बदले अब जमीन मालिक को पूरे 763 करोड़ 39 लाख का टीडीआर देना होगा और इसके लिए प्रक्रिया चल रही है. यह निर्णय लेते समय कई बातों को नजरअंदाज किया गया है. सबसे पहले, यह झोपड़पट्टी हिलटॉप क्षेत्र में आती है. विकास आराखड़े (डीपी) में हिलटॉप से संबंधित निर्णय अभी तक नहीं हुआ है. पहले शामिल किए गए 23 गांवों में यही आरक्षण बीडीपी के रूप में है, जिसके बदले में जमीन मालिकों को केवल 0.08 टीडीआर देने का निर्णय राज्य सरकार ने लिया है. वहीं, पुरानी सीमा के अंतर्गत पहाड़ियों पर स्थित जमीन मालिकों को कितना मुआवजा देना है, इस संबंध में निर्णय अब भी लंबित है. पुराने प्रावधान के अनुसार केवल 0.04 टीडीआर देने का प्रावधान था. ऐसे में जनता वसाहत की पहाड़ी ढलान पर, जहां किसी प्रकार का एसआरए प्रोजेक्ट हो ही नहीं सकता, उस जमीन के लिए 100 प्रतिशत टीडीआर देने का निर्णय आखिर किसके हित में लिया गया है? तत्कालीन सीईओ गटणे ने इन सभी बातों को नजरअंदाज क्यों किया और इसके लिए सरकार के ध्यान में यह मामला क्यों नहीं लाया ऐसे कई सवाल इस पूरे मामले से उठ खड़े हुए हैं. इस प्रकार, झोपड़पट्टीवासियों के पुनर्वास के नाम पर कानून की आड़ में 763 करोड़ के टीडीआर का डाका डालने का काम एसआरए द्वारा किया जा रहा है, यह अब सामने आया है. अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि राज्य सरकार हस्तक्षेप कर इस डाके को रोकती है या नहीं.
मैंने हाल ही में चार्ज लिया है
एसआरए के मुख्य कार्यकारी अधिकारी पद का कार्यभार मैंने हाल ही में संभाला है. पर्वती जनता वसाहत के लैंड टीडीआर मामले की मुझे अभी जानकारी नहीं है. हालांकि, इसमें शामिल सभी पहलुओं और आपत्तियों की जांच कर आगे की कार्रवाई की जाएगी.
- सतीश खड़के, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, एसआरए
इन जमीनों को केवल 25 प्रतिशत ही मुआवजा
महापालिका, रेलवे, सरकारी इत्यादि जमीनों पर स्थित झोपड़पट्टियों का पुनर्विकास करते समय उस जमीन के रेडीरेकनर के 25 प्रतिशत के बराबर ही मुआवजा दिया जाता है. साथ ही, यह मुआवजा भी प्रस्ताव दाखिल होने के बाद पहले 10 प्रतिशत और आगे किस्तों में दिया जाता है. ऐसे में, जिस पहाड़ी ढलान की जमीन पर निर्माण संभव ही नहीं है, उस जमीन के लिए 100 प्रतिशत टीडीआर का मुआवजा कैसे दिया जा सकता है यह सवाल अब उठ खड़ा हुआ है.