पुणे, 12 अगस्त (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क)
क्वीन्स मेरी टेक्निकल इंस्टीट्यूट (क्यूएमटीआई), पुणे द्वारा रोटरी क्लब ऑफ पुणे कैंप के सहयोग से विकलांग सैनिकों और उनके परिवारों के लिए पोलियो, मलेरिया और डेंगू जैसी भयानक बीमारियों की रोकथाम और नियंत्रण पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया. इस अवसर पर एक पोस्टर प्रस्तुति प्रतियोगिता भी आयोजित की गई, जिसे सैनिकों और उनके परिजनों से अत्यंत उत्साहजनक प्रतिसाद मिला. कार्यशाला की शुरुआत कर्नल (डॉ.) वसंत बल्लेवार, डीन, क्यूएमटीआई के उद्घाटन भाषण से हुई.
उन्होंने इस आयोजन की संकल्पना और उद्देश्य को सरल भाषा में प्रस्तुत करते हुए कहा कि इस पहल का उद्देश्य सैनिकों और उनके परिवारों को ऐसी जानकारी देना है जिससे वे समाज में स्वास्थ्य जागरूकता के सशक्त संदेशवाहक बन सकें. इस अवसर पर लेफ्टिनेंट जनरल पंकज राव, कमांडेंट एवं निदेशक, आर्म्ड फोर्सेस मेडिकल कॉलेज, मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे. उन्होंने मुख्य भाषण में इन बीमारियों की चुनौतियों और समुदाय स्तर पर जागरूकता की आवश्यकता पर प्रकाश डाला. ब्रिगेडियर ज्योति जोशी, कमांडेंट, मिलिट्री हॉस्पिटल खड़की, विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित थे और उन्होंने पैनल चर्चा की अध्यक्षता भी की.
वैज्ञानिक सत्र में डॉ. प्रमोद खांडेकर, डॉ. गिरीश तिल्लू और मेजर कल्पेश कुमार ने तीनों बीमारियों की रोकथाम, प्रारंभिक पहचान और नियंत्रण पर उपयोगी जानकारी दी. पोस्टर प्रतियोगिता में विकलांग सैनिकों और उनके परिजनों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया और अपनी रचनात्मकता के माध्यम से सामाजिक जागरूकता को बढ़ावा दिया. पैनल चर्चा और प्रश्नोत्तर सत्र में सैनिकों और उनके परिवारों की उत्साही भागीदारी देखने को मिली. चर्चा में कर्नल पी.एम.पी. सिंह, ऑफिसर कमांडिंग, स्टेशन हेल्थ ऑर्गनायजेशन, और कर्नल राहुल बाली, सीईओ, क्यूएमटीआई, ने भी सक्रिय भागीदारी की और अपने विचार साझा किए.
रोटरी क्लब पुणे कैंप की अध्यक्ष कविता मूठा ने रोटरी द्वारा समाजसेवा में निभाई जा रही भूमिका का परिचय दिया. रोटेरियन ज्योतिंद्र झवेरी ने पूरे कार्यक्रम का संचालन किया और पैनल चर्चा के संयोजक भी रहे. कार्यक्रम के समापन पर कर्नल (डॉ.) वसंत बल्लेवार ने कहा कि सैनिकों और उनके परिवारों की सक्रिय सहभागिता और संवाद की गुणवत्ता यह दर्शाती है कि यह कार्यशाला अत्यंत सफल रही. एम.पी. शिंदे और झवेरी ने आयोजन को सफलतापूर्वक संचालित किया. कार्यशाला का समापन इस संकल्प के साथ हुआ कि इस ज्ञान को समाज के व्यापक वर्ग तक पहुंचाने में सैनिक एवं उनके परिवार प्रभावशाली दूत की भूमिका निभाएंगे.