जनता वसाहत पुनर्वसन प्रकल्प में भारी टीडीआर घोटाला

    16-Aug-2025
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पुणे, 14 अगस्त
(आज का आनंद न्यूज नेटवर्क)
 
जनता वसाहत की झुग्गी बस्ती के पुनर्विकास योजना के लिए लैंड टीडीआर के बदले भूमि अधिग्रहण करने हेतु एसआरए प्राधिकरण द्वारा नियुक्त सलाहकार की रिपोर्ट के आधार पर एसआरए ने टीडीआर की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया. खास बात यह कि पिछले 20 से 25 सालों से टीडीआर के बदले भूमि अधिग्रहण करने वाली मनपा से कोई राय लेने की जशरत तक नहीं समझी गई्‌‍. इस कारण यह मामला ‌‘भैंस भी मेरी और लाठी भी मेरी‌’ कहावत की तरह करोड़ों का टीडीआर हड़पने की मिलीभगत से बने मास्टर प्लान की ओर इशारा कर रहा है. पर्वती प्लॉट नं. 519, 521 अ. और 521 ब पर स्थित 48 एकड़ झुग्गी बस्ती की भूमि पर पुनर्वसन योजना लागू करने और संबंधित भूमि को अधिग्रहित करने के लिए एसआरए ने ओमकार एसोसिएट्स नामक सलाहकार को नियुक्त किया है.
 
इस सलाहकार ने अपनी रिपोर्ट में परियोजना को वैधानिक दायरे में रखते हुए एसआरए प्राधिकरण के गृहनिर्माण विभाग से टीडीआर के बदले भूमि अधिग्रहण की अनुमति मांगी. भूमि अधिग्रहण विभाग ने भी नगरविकास विभाग की राय लिए बिना ही तत्काल मंजूरी दे दी. इससे स्पष्ट हो रहा है कि एसआरए के अधिकारी, उनके द्वारा नियुक्त सलाहकार और गृहनिर्माण विभाग इस प्रोजेक्ट में एकमत हैं. एसआरए कार्यालय से जानकारी लेने पर पता चला कि ओमकार एसोसिएट्स ने संबंधित भूमि पर पुनर्वसन परियोजना लागू करने हेतु भूमि की वर्तमान स्थिति और भवनों की ऊंचाई को लेकर तकनीकी राय दी है. यह भूमि भले ही कंटूर लेवल में आती हो, लेकिन मनपा के डीपी में इस पर पार्क का आरक्षण है और यह हिलटॉप-हिलस्लोप जोन में नहीं आती, इसलिए निर्माण की अनुमति मिल सकती है.
 
हालांकि, इसके लिए पहाड़ को समतल करने की अनुमति आवश्यक होगी. सलाहकार ने विकास नियमों के 40:60 फॉर्मूले के आधार पर पार्क आरक्षित भूमि के 60 प्रतिशत हिस्से को पार्क के रूप में विकसित कर बाकी 40 प्रतिशत पर पुनर्वसन परियोजना करने की रूपरेखा बनाई है. पर्वती टेकड़ी और आसपास का इलाका ऐतिहासिक है, जहां भवन की ऊंचाई 21 मीटर से अधिक नहीं हो सकती. यह सीमा शिथिल करने का प्रस्ताव वर्षों से शासन के पास लंबित है. इसके बावजूद सलाहकार ने भवन की ऊंचाई के लिए विशेष अनुमति लेने की बात कही है. लेकिन यह अनुमति लिए बिना ही टीडीआर की फाइल आगे बढ़ा दी गई, जिससे लगता है कि पुनर्वसन से अधिक, करोड़ों का झुग्गी पुनर्वसन टीडीआर बनाने के लिए निचले से ऊपरी स्तर तक पूरी मशीनरी सक्रिय है.
 
सलाहकार ने मोनार्क संस्था की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा है कि पर्वती टेकड़ी क्षेत्र में भवनों की ऊंचाई 32 से 51 मीटर तक की अनुमति मिल सकती है. लेकिन नगरविकास विभाग ने अब तक इसकी मंजूरी नहीं दी है. फिर भी, केवल सलाहकार की राय पर एसआरए और शासन दरबार में फाइल को तेजी से आगे बढ़ाया गया, जिससे संदेह और गहरा हो गया है.
 
एक दिन में पूरी कार्यवाही
जनता वसाहत के इस भूखंड का सौदा 30 जनवरी को हुआ्‌‍. अगले ही दिन 31 जनवरी को नए मालिक ने एसआरए को टीडीआर के लिए प्रस्ताव सौंप दिया. उसी दिन एसआरए ने सलाहकार को रिपोर्ट के लिए पत्र भेजा. 19 मार्च को सलाहकार ने तत्कालीन मुख्य कार्यकारी अधिकारी नीलेश गटणे को रिपोर्ट दी. महज तीन दिन बाद, 24 मार्च को गटणे ने टीडीआर का प्रस्ताव गृहनिर्माण विभाग को मंजूरी के लिए भेज दिया. इस मामले में गटणे ने एसआरए और गृहनिर्माण विभाग की फुर्ती दिखा दी. जबकि हकीकत यह है कि एसआरए के पास पुणे और पिंपरी-चिंचवड़ मनपा क्षेत्र के कई मामले वर्षों से लंबित हैं और उन पर नगरविकास विभाग तक सवाल नहीं करता. इतनी तेज कार्यवाही ने पूरे मामले को शक के घेरे में ला दिया है.
 
पार्क की भूमि पर निर्माण की अनुमति कैसे?
पार्क के आरक्षित भूखंड पर निर्माण की अनुमति नहीं दी जाती. हाल ही में सारसबाग और संभाजी उद्यान में मात्र कुछ गज भूमि पर क्रमशः सार्वजनिक शौचालय और प्रयोगशाला/सूचना केंद्र बनाने के लिए चल रहा निर्माण मनपा को तोड़ना पड़ा. ऐसी स्थिति में, पार्क आरक्षित भूमि पर निर्माण की अनुमति मिल जाएगी.यह मानकर ही टीडीआर की फाइल तैयार की गई है. खास बात यह कि एसआरए प्रोजेक्ट लागू करने की जिम्मेदारी एसआरए प्राधिकरण की है, लेकिन टीडीआर के बदले भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया मनपा करती है और इसे इस्तेमाल की अनुमति भी वही देती है. इतना बड़ा फैसला लेते समय एसआरए ने महापालिका से राय तक नहीं ली, यह महापालिका अधिकारियों से पूछताछ में सामने आया है.
 
नियम तोड़कर टीडीआर की फाइलें आगे बढ़ रहीं
नागरिक सुविधाओं के लिए डीपी में दर्शाई गई आरक्षित भूमि का अधिग्रहण मनपा टीडीआर के माध्यम से करती है. दूसरी ओर, झुग्गियों के पुनर्विकास के लिए भी टीडीआर के बदले प्रोजेक्ट लागू होते हैं. पुनर्वसन प्रोजेक्ट में अधिक से अधिक बिल्डरों को जोड़ने के लिए उन्हें मिलने वाला टीडीआर खर्च करने और बदले में मुआवजा पाने हेतु अन्य बिल्डरों को सामान्य टीडीआर के साथ झुग्गी पुनर्वसन से बना कम से कम 20% टीडीआर उपयोग करना अनिवार्य किया गया है. पिछले कुछ वर्षों में नियमों की अड़चनों के कारण एसआरए के प्रस्ताव अटके हुए हैं, जिससे पुनर्वसन के लिए बनने वाला टीडीआर घटा है. इसकी कमी से टीडीआर के दाम बढ़ गए हैं, जिसका बोझ बिल्डरों पर आ रहा है और फ्लैट की कीमतें बढ़ने से मुनाफा घटा है. मुनाफा बढ़ाने के लिए जनता वसाहत के पुनर्वसन से लाखों वर्गफुट निर्माण की उम्मीद में बड़ी लॉबी सक्रिय है, जो नियम तोड़कर टीडीआर की फाइल आगे बढ़ा रही है. 
 
जनता वसाहत की भूमि पर दी गई राय फिजिबिलिटी रिपोर्ट नहीं
तकनीकी रूप से नियमों में जो प्रावधान हैं, उसी के अनुसार राय दी गई है. साथ ही पार्क आरक्षित भूमि पर 40% निर्माण और शेष 60% पर पार्क बनाने का प्रावधान विकास नियंत्रण नियमावली में है. उसी के अनुसार राय दी गई है.
- संदीप महाजन, सलाहकार, ओमकार एसोसिएट्स