सरकारी नीतियों के खिलाफ लोकमान्यनगर निवासियों का गुस्सा फूटा

लोगों ने अपने सपनों का घर जल्द पाने के लिए किया प्रदर्शन; स्थानीय विधायक के हस्तक्षेप से सपना टूटने का लगाया आरोप

    18-Aug-2025
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लोकमान्य नगर, 17 अगस्त (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क) |

म्हाडा के अव्यवस्थित प्रबंधन, स्थानीय विधायक के हस्तक्षेप और सरकारी तंत्र द्वारा अक्षम्य उपेक्षा से परेशान लोकमान्य नगर के निवासियों ने रविवार (17 अगस्त) को दत्त मंदिर चौक पर एकत्रित होकर जोरदार विरोध प्रदर्शन किया. लोगों की नाराजगी का कारण यह था कि सरकार के पास यहां विकास की कोई नीति नहीं है, जबकि यहां की जर्जर इमारतें और भी बदतर होती जा रही हैं. इसके अलावा, लोगों ने अपना रोष व्यक्त किया कि, यहा चल रहे पुनर्विकास कार्य को सरकारी विभागों द्वारा बिना किसी जानकारी के, या स्थानीय लोगों से परामर्श के बिना बाधित किया जा रहा है. स्थानीय निवासियों का कहना है कि म्हाडा के अव्यवस्थित प्रबंधन के कारण, लोकमान्यनगर के निवासी ऐसी स्थिति में आ गए हैं जहां उन्हे हक का अपना नया घर नसीब न होने का डर है. इसी आक्रोश के चलते पुणे लोकमान्यनगर बचाओ कृति समिति की ओर से स्थानीय निवासी एकजुट हुए. उन्होंने जोरदार विरोध प्रदर्शन करते हुए अपनी भावनाओं को व्यक्त किया. इस दौरान क्षेत्र के सैकड़ों निवासी मौजूद थे. स्थानीय लोगों ने म्हाडा, सरकार और विधायक के खिलाफ जोरदार नारेबाजी की. स्थानीय लोगों का कहना है कि कई सालों से चर्चा में रहा लोकमान्यनगर पुनर्विकास कार्य धीरे धीरे लेकिन सुचारू रूप से चल रहा था.
 
 
 

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हालांकि, स्थानीय विधायक ने हस्तक्षेप करके इस पुनर्विकास प्रक्रिया पर अस्थायी रोक लगवा दी. इससे लोकमान्यनगर के 803 घरों में रहने वाले लोगों के सपने चकनाचूर हो गए. वर्तमान स्थिति का वर्णन करते हुए लोगों ने बताया कि यहां पानी की आपूर्ति अनियमित होती रहती है. कई इमारतें गिरने की स्थिति में हैं. पहले किए गए निर्माण कार्य जर्जर हो रहे हैं. जल निकासी व्यवस्था बदहाल हो रही है. ऐसी कई समस्याओं का सामना रोजमर्रा की जिंदगी में करना पड़ता है. इसके अलावा, इस क्षेत्र में चल रहे पुनर्विकास कार्य पर रोक लगने से लोकमान्यनगर और स्थानीय नागरिकों की समस्याएं और बढ़ गई हैं. बताया गया कि लोकमान्यनगर बचाओ कृति समिति म्हाडा और मुख्यमंत्री कार्यालय के संबंधित अधिकारियों से संपर्क कर रही है. यहां कुछ सोसायटियों ने अपने डेवलपर नियुक्त कर लिए हैं.
 
 
 

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कुछ इमारतें बनकर तैयार हो गई हैं. जल्द ही निवासी उन इमारतों में रहने लगेंगे. हालांकि, पुनर्विकास नीति स्पष्ट नहीं है. यह एक बड़ी समस्या है कि सभी पर समान नियम लागू नहीं हो रहे हैं. बताया गया कि यहां की सभी इमारतें सहकारी समितियों के रूप में पंजीकृत हैं. इनके संपत्ति कार्ड और पंजीकरण हो चुके हैं. बिक्री विलेख, पट्टा विलेख, हस्तांतरण विलेख हो चुके हैं. इसके बावजूद, स्थानीय निवासियों ने यह भी कहा कि म्हाडा के कुप्रबंधन के कारण यहां के नागरिक संकट में हैं. स्थानीय लोगों ने इस विरोध प्रदर्शन के दौरान यह दृढ़ संकल्प व्यक्त किया कि जब तक सरकार तत्काल कार्रवाई नहीं करती, वे यह लड़ाई जारी रखेंगे. कृती समिति ने यह भी कहा कि वे भविष्य में इस लड़ाई को और तेज करेंगे.

 पहले मंजूरी फिर स्टे; लोगों ने बयां किया अपना दर्द


मित्तल बिल्डर्स के डॉ. नरेश मित्तल की बिल्डिंग संख्या 42, 43, 44, 45 की चार इमारतों को मिलाकर एक सोसायटी बनाई गई. करोड़ों रुपये का भुगतान करने के बाद म्हाडा ने पहले अनुमति दी और फिर स्टे लगा दिया. देशपांडे बिल्डर्स को बिल्डिंग संख्या 36, 37, 39 की अनुमति, मानव बिल्डर्स ने बिल्डिंग संख्या 34, 35, जोगले बिल्डर्स ने बिल्डिंग संख्या 11, 11 ए, 12, गौतम ढवले आइकॉन डेवलपर्स ने बिल्डिंग संख्या 1, 2, 3, 4 की अनुमति के लिए म्हाडा को कानूनी दपतावेज जमा कर दिए हैं, लेकिन म्हाडा काम में अड़ंगा डाल रहा है. श्रीकांत उणेचा बिल्डर्स द्वारा बिल्डिंग संख्या 15 और 53 की म्हाडा से अनुमति लेने का काम अंतिम चरण में है. अन्य सोसायटी भी पुनर्विकास के लिए विभिन्न बिल्डरों के साथ बातचीत और प्रयास कर रही हैं.
 
निवासी झेल रहे हैं नारकीय यातनाएं
 
 लोकमान्यनगर में 1960 से 1964 तक चार वर्षों में 53 इमारतें बनीं. वर्तमान में, यहां 803 फ्लैटधारक हैं. उस समय, ये सभी इमारतें भार वहन कर रही हैं लेकिन वर्तमान में, ये इमारतें जीर्ण-शीर्ण हो चुकी हैं. कहीं-कहीं सीमेंट का प्लास्टर उखड़ गया है और दीवारों पर पेड़ उग आए हैं. स्लैब गिर गए हैं और कुछ स्लैब से पानी टपक रहा है. दीवारों में दरारें पड़ गई हैं. कुछ इमारतें झुकी हुई हैं. ऐसी नारकीय यातनाएं झेलते हुए, यहां के निवासी अपनी जान हथेली पर रखकर जी रहे हैं.