100 साल की मां काे बेटा 2 हजार रुपये भरण पाेषण भत्ता देने तैयार नहीं है.केरल हाईकाेर्ट के जज ने बेटे की याचिका खारिज करते हुए कहा-मुझे शर्म आ रही है कि मैं ऐसे समाज में जी रहा हूं. केरल हाई काेर्ट ने हाल ही में अपने एक फैसले में कहा है कि अगर किसी मां के कई बच्चे हैं ताे उनका काेई भी संतान इस बात काे आधार बनाकर भरण-पाेषण राशि देने से इनकार नहीं कर सकता कि उनके और भी बच्चे हैं.हाई काेर्ट ने निचली अदालत के फैसले के खिलाफ अपीलकर्ता बेटे की याचिका खारिज करते हुए कहा कि अन्य बच्चाें की माैजूदगी एक माँ द्वारा अपने बेटे से भरणपाेषण की मांग करने की याचिका के खिलाफ काेई वाजिव और वैध बचाव नहीं है.
जस्टिस पी.वी.कुन्हीकृष्णन ने एक ऐसे बेटे की याचिका खारिज कर दी, जिसने फैमिली काेर्ट द्वारा 100 वर्षीय मां काे सिर्फ 2000 रुपये के भरण-पाेषण भत्ता देने के आदेश काे चुनाैती दी थी.काेर्ट ने याचिकाकर्ता के इस तर्क काे स्वीकार करने से इनकार कर दिया कि मां (प्रतिवादी 1) अपने एक अन्य बेटे के साथ रह रही है. रिपाेर्ट में कहा गया है कि जस्टिस कुन्हीकृष्णन ने बेटे के तर्क पर गहरा दुख जताते हुए कहा कि शर्म आनी चाहिए, 100 साल की एक बुजुर्ग और लाचार मां काे सिर्फ 2000 रुपये नहीं दे सकते. उन्हाेंने अपने आदेश में लिखा है, भरण-पाेषण भत्ता के लिए याचिका दायर करते समय याचिकाकर्ता की मां 92 वर्ष की थीं.