आमताैर पर बच्चाें के सिरदर्द काे मामूली बीमारी समझ कर नजरअंदाज कर दिया जाता है. बच्चाें में सिरदर्द सामान्यतया आंखाें में कमजाेरी, साइनस एवं सर्दी-जुकाम जैसे कारणाें से अधिक हाेता है, लेकिन यह मस्तिष्क की रसाैली अर्थात ब्रेन ट्यूमर, हाइड्राेसेफलस एवं मेनिनजाइटिस जैसे गंभीर कारणाें से भी हाे सकता है. अगर ट्यूमर आरंभिक अवस्था में है ताे केवल सिरदर्द हाेता है, लेकिन ट्यूमर जब बड़ा हाेकर आंखाें से जुड़े स्नायु तंत्र काे दबाने लगता है, तब आंखाें की राेशनी घटने लगती है.
इंडियन मेडिकल एसाेसिएशन (आईएमए) का कहना है कि देश में हर साल करीब 40 से 50 हजार लाेगाें में ब्रेन ट्यूमर की पहचान हाेती है, जिनमें से 20% बच्चे हाेते हैं. विशेषज्ञाें के अनुसार मस्तिष्क का ट्यूमर बच्चे काे पैदाइश से ही हाे सकता है. बच्चाें में इस कारण सिर दर्द एवं नजर में कमजाेरी के अलावा भूख और शारीरिक वजन में लगातार गिरावट आती जाती है. दिमागी रसाैली कई तरह की हाेती है, लेकिन इनमें से दाे बहुत ही सामान्य हैं. ये हैं ग्लायाेमा एवं मेनिनजियाेमा. ग्लायाेमा बच्चाें में हाेती है, जबकि मेनिनजियाेमा बड़े लाेगाें की समस्या है. ग्लायाेमा ट्यूमर मस्तिष्क के अंदर के ऊतकाें से उत्पन्न हाेता है, जबकि कैंसर यु्नत अर्थात मेनिनजियाेमा मस्तिष्क के पर्दे से उत्पन्न हाेता है. हाई ग्रेड ग्लायाेमा ट्यूमर बहुत तेजी से कुछ ही महीनाें में बढ़कर मस्तिष्क के अंदर दबाव डालने लगता है. अगर ट्यूमर आंखाें की नस के ऊपर हाे और वह नस पर दबाव डाल रहा हाे ताे आंखाें पर भी असर पड़ता है. मस्तिष्क के ट्यूमर की पहचान जल्द से जल्द हाेने पर इलाज अधिक कारगर हाेता है.