राज्य सरकारें राज्यपाल की मर्जी से नहीं चल सकतीं

    22-Aug-2025
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राज्य सरकार
 
 जज बाेले-राज्यपाल काे सरकार द्वारा पास बिल काे अनिश्चितकाल तक राेकने का अधिकार नहीं, काेर्ट हाथ पर हाथ धरे बैठा नहीं रह सकता, हमें संवैधानिक अधिकाराें की रक्षा करनी ही हाेगी
 
 केंद्र ने कहा-राज्याें काे बातचीत से विवाद निपटाना चाहिए, यही देश की लंबी परंपरा, हर बात काेर्ट तक जाना जरूरी नहीं
 
नई दिल्ली, 21 अगस्त (वि.प्र.) राज्य सरकारें राज्यपाल की मर्जी से नहीं चल सकती है. यह टिप्पणी सुनवाई के दाैरान सुप्रीम काेर्ट ने किया. वे गवर्नर द्वारा बिल पेंडिंग रखने के मामले मेें कहा राज्यपाल काे सरकार द्वारा पास बिल काे अनिश्चितकाल तक राेकने का अधिकार नहीं है. काेर्ट हाथ पर हाथ धरे बैठा नहीं रह सकता है. अदालन ने कहा-हमें संवैधानिक अधिकाराें की रक्षा करनी हाेगी. इस पर केंद्र ने कहा-राज्याें काे बातचीत से विवाद निपटाना चाहिए. यही देश की लंबी परंपरा भी. हर बात काेर्ट तक जाना जरूरी नहीं हाेना चाहिए. संविधान के अनुच्छेद 200 के तहत राज्यपाल के पास चार विकल्प हाेते हैं. बिल काे मंजूरी देना, मंजूरी राेकना, राष्ट्रपति के पास भेजना या विधानसभा काे पुनर्विचार के लिए लाैटाना.
 
लेकिन अगर विधानसभा दाेबारा वही बिल पास करके भेजती है, ताे राज्यपाल काे उसे मंजूरी देनी हाेगी. सीजेआई बीआर गवई की अध्यक्षता वाली पांच जजाें की बेंच ने कहा कि अगर राज्यपाल बिना पुनर्विचार के ही मंजूरी राेकते हैं, ताे इससे चुनी हुई सरकारें राज्यपाल की मर्जी पर निर्भर हाे जाएंगी.