हर साल के क्रम में ही निकलेगा गणेश विसर्जन जुलूस
केंद्रीय मंत्री मुरलीधर मोहोल ने सुलझाया विवाद : सभी मंडलों के साथ सर्वसम्मति से हुआ निर्णय
23-Aug-2025
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पुणे, 22 अगस्त (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क) पुणे के गणेशोत्सव की विसर्जन जुलूस (शोभायात्रा) को लेकर उत्पन्न हुआ विवाद अब समाप्त हो गया है. केंद्रीय मंत्री और सांसद मुरलीधर मोहोल ने सभी गणेश मंडलों को साथ लेकर इस मुद्दे का समाधान निकाला. उन्होंने सम्मान के गणपति मंडल सहित सभी मंडलों की संयुक्त बैठक बुलाई, जिसमें यह निर्णय सर्वसम्मति से लिया गया कि विसर्जन जुलूस इस वर्ष भी पारंपरिक पद्धति से और हर साल की तरह ही निर्धारित क्रम में निकाली जाएगी. इस प्रकार केंद्रीय मंत्री मुरलीधर मोहोल की पहल से विवाद शांत हुआ और इस साल भी पुणे की विसर्जन जुलूस पारंपरिक उत्साह और अनुशासन के साथ निकलेगी. बैठक के बाद तय हुआ कि विसर्जन जुलूस का शुभारंभ सुबह साढ़े नौ बजे होगा और मंडलों की यात्रा क्रम वही रहेगा जो हर साल परंपरा अनुसार तय होता आया है. इस बार विवाद इसलिए खड़ा हुआ था क्योंकि कुछ मंडलों ने तय समय से पहले जुलूस में भाग लेने का निर्णय लिया था. इसके चलते अन्य मंडलों ने आपत्ति जताई और अलग-अलग मत सामने आए. इसी कारण वातावरण में नया तनाव उत्पन्न हुआ. इस विवाद को समाप्त करने के लिए सांसद मोहोल और विधायक रासने ने सभी मंडलों को साथ बैठाकर समाधान खोजा. मोहोल ने जानकारी देते हुए कहा कि पुणे का सार्वजनिक गणेशोत्सव न केवल महाराष्ट्र में बल्कि पूरे देश और विदेशों में चर्चित है. देशभर से हजारों श्रद्धालु इसे देखने पुणे आते हैं. ऐसे समय में यदि नए विवाद खड़े होते तो यह पुणे के सार्वजनिक गणेशोत्सव की परंपरा और छवि के लिए सही नहीं होता. उन्होंने बताया कि सभी मंडलों के प्रतिनिधियों से बातचीत करके एकमत से यह निर्णय लिया गया है. मोहोल ने कहा कि पुणे का सार्वजनिक गणेशोत्सव एक परिवार की तरह है. स्वाभाविक है कि सभी की राय अलगअलग हो सकती है, लेकिन चर्चा और संवाद के माध्यम से हर विवाद का समाधान निकाला जा सकता है. इसी वेिशास के साथ उन्होंने सभी को साथ लाकर यह रास्ता निकाला. उन्होंने इस निर्णय को मान्य करने और सहयोग करने वाले सभी गणेश मंडलों का स्वागत व अभिनंदन भी किया.
बैठक में हुए प्रमुख निर्णय
- विसर्जन जुलूस परंपरा और निर्धारित क्रम के अनुसार ही निकाली जाएगी.
- शोभायात्रा का शुभारंभ सुबह 9:30 बजे किया जाएगा. कोई भी मंडल स्थिर वादन (जगह-जगह लंबे समय तक रुककर वादन) नहीं करेगा.
- शोभायात्रा को समय पर समाप्त करने की जिम्मेदारी सभी मंडलों की होगी.
- दो मंडलों के बीच का अंतर न्यूनतम रखने के लिए विशेष प्रयास किए जाएंगे.