अगर दूसरे आपके प्यार का जवाब प्यार से नहीं देते, ताे अपनी उदारता पर गाैर कीजिए. दूसरे शब्दाें में, जब भी आप अपने उद्देश्य में असफल हाें, ताे अपने अंदर झांकिए. सुख की खाेज में हमें बाहर की ओर नहीं, बल्कि अपने भीतर देखना हाेगा.
हमारे भीतर वह चीज है जाे करुणा, शिष्टाचार और बुद्धिमत्ता काे जन्म देता है. सुख तब खिलता है जब हम इन गुणाें काे पाेषित करते हैं. मानव स्वभाव की अच्छाई पानी के नीचे की ओर बहने की तरह है. जैसे पानी स्वाभाविक रूप से अपनी राह बनाता है, वैसे ही हमारा हृदय सही मार्ग पर चलने काे तैयार है, बशर्ते हम उसे बाहरी विकर्षणाें से बचाएं. सुख आत्म-चिंतन से शुरू हाेता है. अपने मन काे शांत करें और पूछें कि मैं काैन हूं? मेरे कार्य दूसराें काे कैसे प्रभावित करते हैं? अगर दूसरे लाेग आपके प्यार का जवाब प्यार से नहीं देते, ताे अपनी उदारता पर गाैर कीजिए. दूसरे शब्दाें में, जब भी आप अपने उद्देश्य से असफल हाें, ताे अपने अंदर झाकिए. जब आप अपने व्य्नितत्व में सही हाेंगे, ताे साम्राज्य आपकी ओर मुड़ेगा. आत्मचिंतन वह दर्पण है, जाे हमें हमारी आत्मा की गहराइयाें काे दिखाता है. जब हम अपने विचाराें और भावनाओं काे समझ लेते हैं, ताे हम अपने कार्याें काे नैतिकता से जाेड़ सकते हैं.
यही जुड़ाव सुख का आधार है. अपने दिन का मूल्यांकन करें कि ्नया मैंने करुणा दिखाई, ्नया मैंने अपने कर्तव्याें का पालन किया? यह आत्म निरीक्षण हमें शांति देगा. सामाजिक समरसता सुख का दूसरा स्तंभ है. हम अकेले नहीं हैं, हम एक परिवार, एक समुदाय, एक समाज का हिस्सा हैं. करुणा वह हृदय है, जाे सभी मनुष्याें में हाेता है. जब आप किसी काे दुख में देखते हैं, ताे आपका हृदय स्वाभाविक रूप से उसकी मदद करने काे प्रेरित हाेता है. इस करुणा काे दबाएं मत. दूसराें के लिए दयालु बनें.
जब हम दूसराें के लिए अच्छा करते हैं, ताे हमारा हृदय आनंद से भर जाता है. जाे लाेग दूसराें के साथ अच्छा व्यवहार करते हैं, वे स्वयं के साथ भी अच्छा व्यवहार करते हैं. समाज में सामंजस्य तब बनता है, जब प्रत्येक व्य्नित अपने कर्तव्य का समझता है.
एक शासक काे न्यायपूर्ण हाेना चाहिए, एक पिता काे दयालु और एक पुत्र काे सम्मान देने वाला. जब तभी अपनी भूमिकाएं निष्ठा से निभाते हैं, ताे समाज एक सुंदर संगीत की तरह बजता है.