माओवादी गतिविधियों के शहरी केंद्र सुरक्षा के लिए खतरा : केतकर

फर्ग्युसन कालेज के एम्फी थिएटर में प्रतिष्ठित ‌‘देवर्षि नारद माध्यम पुरस्कार"समारोह गरिमापूर्ण संपन्न

    24-Aug-2025
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पुणे, 23 अगस्त (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क)

लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं पर से वेिशास खत्म करने वाला माओवादी आंदोलन अब शैक्षणिक संस्थानों से लेकर राजनीतिक दलों तक पहुंच चुका है. आने वाले समय में माओवाद के शहरी केंद्र ही राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा बनेंगे, ऐसा स्पष्ट मत ऑर्गनाइजर के संपादक प्रफुल्ल केतकर ने पुणे में व्यक्त किया. वे फर्ग्युसन महाविद्यालय के एम्फी थिएटर में आयोजित देवर्षि नारद माध्यम पुरस्कार वितरण समारोह में प्रसार माध्यम और राष्ट्रीय सुरक्षा विषय पर बोल रहे थे. यह पुरस्कार विश्व संवाद केंद्र और डेक्कन एजुकेशन सोसाइटी की ओर से पश्चिम महाराष्ट्र क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने वाले पत्रकारों को दिया जाता है. इस वर्ष ज्येष्ठ पत्रकार पुरस्कार सावित्रीबाई फुले पुणे वेिशविद्यालय के अंतरविषयक अध्ययन संकाय के प्रभारी अधिष्ठाता (डीन) और पत्रकारिता विभागाध्यक्ष डॉ. संजय तांबट को प्रदान किया गया. इसके अलावा, ओशासक पत्रकारिता पुरस्कार के अंतर्गत फोटो पत्रकार प्रशांत खरोटे, संवाददाता सतीश वैजापुरकर, आरजे शोनाली को सम्मानित किया गया. वहीं, सोशल मीडिया पर डिजिटल साक्षरता संबंधी कंटेंट निर्माण के लिए मुक्ता चैतन्य को भी सम्मानित किया गया. कार्यक्रम में मंच पर केंद्र अध्यक्ष अभय कुलकर्णी, उपाध्यक्ष राजेंद्र पाटिल, डीईएस उपाध्यक्ष एड. अशोक पलांडे और संचालक मिलिंद कांबले उपस्थित थे. केतकर ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा केवल सीमाओं या राज्यों की सुरक्षा तक सीमित नहीं है, बल्कि यह आंतरिक खतरों से भी जुड़ी हुई है. एड. अशोक पलांडे ने भी संबोधित किया. इस अवसर पर सांस्कृतिक वार्तापत्र का जनगणना विशेषांक प्रकाशित किया गया. इसके संपादक मिलिंद शेटे उपस्थित थे. कार्यक्रम का संचालन वसुंधरा काशीकर ने किया. दीपा भंडारे ने नारदस्तवन और पसायदान प्रस्तुत किया, जबकि आभार प्रदर्शन मिलिंद कांबले ने किया.
 
पत्रकारिता एक धर्म : डॉ. संजय तांबट

पुरस्कार विजेताओं की ओर से विचार व्यक्त करते हुए डॉ. संजय तांबट ने कहा कि पत्रकार की सामाजिक, वैचारिक या पारिवारिक पृष्ठभूमि कैसी भी हो, लेकिन जब वह किसी माध्यम से जुड़ता है तो उसकी जिम्मेदारी केवल पत्रकार के रूप में होती है. वह अपनी भूमिका ईमानदारी से निभाता है. इसलिए पत्रकारिता अपने- आप में एक धर्म है. पुरस्कार का उत्तरदायित्व यह है कि हम भारतीय ज्ञान परंपरा पर आधारित पत्रकारिता का अध्ययन करें. अभय कुलकर्णी ने प्रस्ताविक भाषण में कहा कि राष्ट्रहित की बातें मीडिया में स्थापित करने का कार्य वेिश संवाद केंद्र कर रहा है. इसलिए मीडिया को भी राष्ट्रीय सुरक्षा को गंभीरता से लेना चाहिए.