महाराष्ट्र सरकार ने लाड़की बहीण याेजना का गलत तरीके से लाभ उठाने वालाें के खिलाफ सख्त रुख अपनाया है. रविवार काे मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस मामले पर बड़ा बयान देते हुए कहा कि नागपुर समेत पूरे राज्य में करीब 26 लाख लाेगाें की पहचान की गई है, जिन्हाेंने इस याेजना का लाभ उठाया है. मुख्यमंत्री ने साफ ताैर पर कहा कि इन लाेगाें काे मिलने वाला लाभ तुरंत बंद कर दिया जाएगा. उन्हाेंने कहा, यह याेजना सिर्फ उन महिलाओं के लिए है जाे इसकी हक़दार हैं. जिन लाेगाें ने ग़लत जानकारी देकर इन अवैध तरीक़ाें से इसका फायदा उठाया है, उनकी पहचान नहीं हाे पाई है और अब उनकी सहायता राेक दी जाएगी. सरकार ने पूरी प्रक्रिया की गहन जांच के लिए एक अभियान चलाया था, जिसमें आंकड़ाें और अन्य दस्तावेजाें के आधार पर अपात्र लाभार्थियाें की पहचान की गई. यह कदम याेजना में पारदर्शिता सुनिश्चित करने और इसका लाभ केवल ज़रूरतमंद महिलाओं तक पहूंचाने के लिए उठाया गया है.
इस कार्रवाई से सरकार उन लाेगाें काे कड़ा संदेश देना चाहती है जाे सरकारी याेजनाओं का दुरुपयाेग करने की काेशिश करते हैं.
सरकार के तलाशी अभियान में 26 लाख 34 हज़ार फर्जी लाभार्थियाें का पता चला है और पता चला है कि ये सभी लाभार्थी पात्रता मानदंड पूरा न करने के बावजूद हर महीने 1500 रुपये का फंड ले रहे थे. इससे यह साफ हाे गया है कि राज्य के खजाने काे बड़ा झटका लगा है. फर्जी लाभार्थियाें की संख्या पुणे जिले में सबसे ज़्यादा है. जब अजित पवार से इस बारे में पूछा गया, ताे उन्हाेंने सीधा जवाब दिए बिना कहा, क्या हमें यह याेजना बंद कर देनी चाहिए? इस फर्जीवाड़े में सबसे ज़्यादा अपात्र लाभार्थी दाेनाें उप-मुख्यमंत्रियाें के ज़िलाें में पाए गए हैं. पुणे ज़िले में, जहाँ उप- मुख्यमंत्री अजित पवार पालक मंत्री हैं, 2 लाख 4 हज़ार फर्ज़ी नाम पाए गए. जबकि ठाणे ज़िले में, जहां एकनाथ शिंदे पालक मंत्री हैं, 1 लाख 25 हज़ार 300 फर्ज़ी लाभार्थी पाए गए हैं. जब अजित पवार से इस मुद्दे पर पूछा गया, ताे उन्हाेंने काेई सीधा रुख़ नहीं अपनाया और कहा, ताे क्या हमें यह याेजना बंद कर देनी चाहिए?