भारत की नागरिक उड्डयन प्रणाली में ऐतिहासिक बदलाव हुआ है. डायरेक्टाेरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन (डीजीसी) ने स्वदेशी उड़ान याेग्यता नियम लागू किए हैं. अब भारत में हवाई यात्रियाें की सुरक्षा यूराेप या अंतरराष्ट्रीय मानकाें पर आधारित नहीं, बल्कि भारतीय परिस्थितियाें, तकनीकी जरूरताें के हिसाब से तय की गई है. इस बदलाव से भारत एक नियम निर्माता राष्ट्र के रूप में भी स्थापित हाेगा. स्वदेशी उड़ान याेग्यता नियम irworthiness Code)के मुताबिक, अब तक हमें विमान और उसके पुर्जाें के डिजाइन के लिए यूराेपियन एविएशन सेफ्टी एजेंसी या जाॅइंट एविएशन रिक्वायरमेंट से मंजूरी लेनी हाेती थी, लेकिन अब इंजन और पुर्जाें के मानक भारत ही तय करेगा.
देश में इनके निर्माण के लिए फैक्ट्रियां भी लगेंगी. किसी भी नए इंजन या प्राेपेलर काे सर्टिफिकेशन से पहले कम से कम 300 घंटे की फ्लाई टेस्टिंग से गुजरना हाेगा.पहले एड और गठ-21 फ्रेमवर्क में टेस्टिंग के घंटे विमान के प्रकार, काॅन्फिगरेशन और रिस्क कैटेगरी के अनुसार बदल सकते थे. लेकिन भारत ने इसे न्यूनतम 300 घंटे फिक्स कर दिया है. किसी भी विमान या उसके हिस्से में खराबी या असुरक्षित स्थिति मिलने पर कंपनी काे 72 घंटे के भीतर डीजीसीए काे रिपाेर्ट करना अनिवार्य हाेगा. लाेग अब एयर टै्नसी-ड्राेन से सफर कर सकेंगे.