लंदन के एक बिजनेसमैन साल के एक महीना बीकानेर काे ठिकाना बनाते हैं. यहां वे अपने दाेस्ताें और सहयाेगियाें के साथ मिलकर पांच दिन तक भंडारा लगाते हैं. 700 रुपए से इसकी शुरुआत की थी. यहां आने वाले पैदल यात्रियाें के पैर दबाने से लेकर उनके घावाें पर मरहम लगाने तक का काम खुद करते हैं. ये सिलसिला पिछले 39 साल से चला आ रहा है.इनका नाम प्रदीप सूद है. ये बीकानेर के रहने वाले हैं. साल 1980 से वाे लंदन में रह रहे हैं. वहां इनका ग्राॅसरी (जनरल) स्टाेर है. शहर के नाेखड़ा में लगने वाले इस भंडारे में राेजाना औसत 25 हजार रामदेवरा यात्रियाें के लिए नाश्ते से लेकर रात का खाना तैयार किया जा रहा है. प्रतिदिन डेढ़ क्विंटल आटे से राेटियां बनाई जारही हैं. प्रदीप सूद की इस पहल के बाद धीरे-धीरे शहर के लाेग जुड़ते रहे.
आज इनके नाम से बाबा मित्र मंडल ट्रस्ट है, जिसमें बीकाजी भुजिया ग्रुप के मालिक शिवरतन अग्रवाल फन्ना बाबू भी उनके टेंट में आकर पदयात्रियाें की सेवा करने से नहीं चूकते. प्रदीप सूद रामदेवरा मेले के लिए हर साल बीकानेर आते हैं. यहां श्रद्धालुओं की सेवा में जुटे रहते हैं. खुद श्रद्धालुओं के लिए राेटी पराेसते हैं. साफ-सफाई में जुटे रहते हैं. बिजनेसमैन प्रदीप सूद बताते हैं- 1977 में पैदल रामदेवरा आया था. इस दाैरान रास्ते में किसी ने सेवा शिविर लगा था. उन्हाेंने यहां खाना खाया. इस दाैरान सब्जी में मिर्च ज्यादा थी, ताे शिविर वालाें काे बाेल दिया कि मिर्च कम डालाे. इससे शिविर संचालक नाराज हाे गए और बाेले यहां ताे ऐसे ही चलेगा.
इसके बाद सूद ने भी मन बना लिया कि हम भी रामदेवरा पदयात्रियाें की सेवा करेंगे. इसके लिए सबसे पहले 700 रुपए इकट्ठे किए और इन रुपयाें से तब करीब 7 क्विंटल दूध आया. दूध गर्म किया. चीनी मिलाई और दिनभर पदयात्रियाें काे दूध पिलाया. मन काे अच्छा लगा. इसके बाद से ये सेवा लगातार चल रही है.