वनतारा के कामकाज की जांच हेतु कमेटी का गठन

सुप्रीम कोर्ट ने दिया आदेश : कमेटी में पूर्व मुंबई पुलिस आयुक्त हेमंत नागराले भी होंग

    28-Aug-2025
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नई दिल्ली, 26 अगस्त (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क)

सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात के जामनगर में रिलायंस समूह के स्वामित्व वाले विवादास्पद ‌‘वन्यजीव रिजर्व' वनतारा के कामकाज की जांच के लिए एक विशेष जांच दल का गठन किया है. वनतारा के ख़िलाफ दाख़िल याचिकाओं में भारत और विदेशों से जानवरों के अवैध अधिग्रहण, बंदी जानवरों के साथ दुर्व्यवहार, वित्तीय अनियमितताएं जैसे कई आरोप शामिल हैं. एसआईटी का नेतृत्व सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस जे. चेलमेेशर करेंगे. इसके अन्य सदस्य उत्तराखंड और तेलंगाना उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस राघवेंद्र चौहान, पूर्व मुंबई पुलिस आयुक्त हेमंत नागराले (आईपीएस) और अनीश गुप्ता (आईआरएस) (अतिरिक्त आयुक्त, सीमा शुल्क) हैं. ‌‘वन्यजीव रिजर्व' वनतारा का उद्घाटन इस साल की शुरुआत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था. आधिकारिक तौर पर ‌‘ग्रीन्स जू रेस्क्यू एंड रिहैबिलिटेशन सेंटर' के नाम से पहचाने जाने वाला यह केंद्र कई विवादों में रहा है. इस सेंटर को लेकर की गई ख़बरों में कई मुद्दों पर प्रकाश डाला गया है, जिनमें यह आरोप भी शामिल है कि इस केंद्र द्वारा विदेशी वन्यजीवों की खरीद ने दुनिया भर में अवैध वन्यजीव व्यापार को बढ़ावा देना हो सकता है. हालांकि, वनतारा का कहना है कि, यहां सभी जीवों का स्थानांतरण वैध है और उनके साथ वैध प्रमाणपत्र और कागजी कार्रवाई की गई थी. मालूम हो कि सुप्रीम कोर्ट ने 14 अगस्त को अदालत के सामने प्रस्तुत दो रिट याचिकाओं के जवाब में सोमवार (25 अगस्त) को विशेष जांच दल का गठन किया, जिनमें से एक में आग्रह किया गया था कि 2020 से वनतारा के संचालन की जांच की जाए, जिसमें वन्य जीव और वनस्पतियों की लुप्तप्राय प्रजातियों में अंतरराष्ट्रीय व्यापार पर कन्वेंशन (सीआईटीईएस) के तहत इसके परमिट का सत्यापन भी शामिल है, जिसके चलते कई महाद्वीपों से सैकड़ों विदेशी प्रजातियों के जीवों का आयात संभव हो सका.25 अगस्त को याचिकाओं पर सुनवाई की दूसरी तारीख़ तय की गई थी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये याचिकाएं - ‌‘केवल अखबारों, सोशल मीडिया में छपी खबरों और रिपोर्ट्स तथा गैरसरकारी संगठनों और वन्यजीव संगठनों की विभिन्न शिकायतों पर आधारित व्यापक आरोप लगाती हैं. अदालत ने कहा कि, इनमें भारत और विदेशों से जानवरों का अवैध अधिग्रहण, बंदी जानवरों के साथ दुर्व्यवहार, वित्तीय अनियमितताएं और मनी लॉन्ड्रिंग शामिल हैं. इसके अलावा, सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस पंकज मित्तल और जस्टिस प्रसन्ना बी. वराले की पीठ ने कहा कि, ये याचिकाएं केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण, वन्य जीव- जंतुओं और वनस्पतियों की लुप्तप्राय प्रजातियों के अंतरराष्ट्रीय व्यापार पर कन्वेंशन (सीआईटीईएस जैसे) वैधानिक प्राधिकरणों और न्यायालयों पर भी आक्षेप लगाती हैं. कोर्ट ने टिप्पणी की है कि, याचिका में बिना किसी सहायक सामग्री आलवा केवल आरोप लगाए गए हैं और सामान्य रूप से ऐसी याचिका पर विचार नहीं किया जाना चाहिए. इस स्वतंत्र तथ्यात्मक मूल्यांकन के लिए न्यायालय ने एक एसआईटी का गठन किया है, जिसे 12 सितंबर को अपनी रिपोर्ट दाखिल करनी है.