सरकार ने 10 साल में 4 कराेड़ से ज्यादा डुप्लिकेट, फर्जी या लंबे समय से रिफिल न कराने वाले रसाेई गैस (एलपीजी) कनेक्शनाें की पहचान कर उन्हें ब्लाॅक, निलंबित या डिएक्टिवेट कर दिया है. केंद्रीय पेट्राेलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि जनवरी 2015 में शुरू की गयी पहल याेजना से ऐसे कनेक्शनाें की पहचान करने में मदद मिली है.अब सभी घरेलू एलपीजी सिलेंडर ग्राहकाें काे बिना सब्सिडी के बाजार मूल्य पर दिये जाते हैं और सब्सिडी की रकम सीधे उनके बैंक खाताें में भेजी जाती है.
यदि किसी कारणवश सब्सिडी की राशि खाते में भेजने में दिक्कत आती है, ताे एसएमएस के जरिये उसकी भी सूचना दी जाती है. उन्हाेंने बताया कि सरकार लगातार एलपीजी वितरण और सब्सिडी हस्तांतरण में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के उपाय कर रही है. पहल की शुरुआत के बाद से 1 जुलाई 2025 तक 4.08 कराेड़ डुप्लिकेट, फेक और निष्क्रिय कनेक्शनाें की पहचान कर उन्हें ब्लाॅक, निलंबित या डिएक्टिवेट किया गया है.आधार आधारित सत्यापन, बायाेमीट्रिक प्रमाणन और अवैध तथा डुप्लिकेट कनेक्शनाें काे राेकने से लक्षित सब्सिडी वितरण की प्रणाली मजबूत हुई है.