बंबई उच्च न्यायालय ने कहा है कि वह मुख्यमंत्री राहत काेष से धन के वितरण की निगरानी नहीं कर सकता, लेकिन उसे उम्मीद और विश्वास है कि इसका उपयाेग उसी उद्देश्य के लिए किया जाएगा जिसके लिए इसे संचालित किया जाता है और इसमें काेई विचलन नहीं हाेगा. मुख्य न्यायाधीश आलाेक अराधे और न्यायमूर्ति संदीप मारणे की पीठ ने 31 जुलाई काे दिए आदेश में कहा कि इस काेष के लेन-देन की जानकारी आम जनता सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत प्राप्त कर सकती है. अदालत ने कहा, हम सीएमआरएफ के संचालन की निगरानी नहीं कर सकते. हालांकि, हमें उम्मीद और विश्वास है कि सीएमआरएफ में किए गए याेगदान का उपयाेग उन उद्देश्याें और प्रयाेजनाें के लिए किया जाता है जिनके लिए फंड संचालित हाेता है और किसी भी मामले में काेई विचलन नहीं हाेता है.
उच्च न्यायालय ने शहर स्थित गैर सरकारी संगठन पब्लिक कंसर्न फाॅर गवर्नेंस ट्रस्ट द्वारा दायर जनहित याचिका का निपटारा कर दिया, जिसमें दावा किया गया था कि मुख्यमंत्री राहत काेष का उपयाेग उसके स्थापित उद्देश्य के अलावा अन्य उद्देश्याें के लिए किया जा रहा है.याचिका में कहा गया है कि सीएमआरएफ का उपयाेग पूरी तरह से और विशेष रूप से प्राकृतिक आपदाओं, आपदाओं और उथल-पुथल के पीड़िताें की सहायता के लिए किया जाना चाहिए, जैसा कि इसके गठन के समय परिकल्पना की गई थी.सरकार ने इस याचिका का विराेध करते हुए कहा कि प्रारंभ में सीएमआरएफ की स्थापना प्राकृतिक आपदाओं और आपदाओं के पीड़िताें की सहायता के लिए की गई थी, लेकिन नवंबर 2001 में इसके उद्देश्याें और लक्ष्याें का विस्तार किया गया.
याचिका में उच्च न्यायालय से सीएमआरएफ से धन के वितरण के प्रबंधन के लिए एक समिति गठित करने तथा ऑडिट कराने की भी मांग की गई है. इसमें आराेप लगाया गया है कि सीएमआरएफ का उपयाेग लगातार मुख्यमंत्रियाें द्वारा अन्य उद्देश्याें के लिए किया जा रहा है, जैसे सांस्कृतिक हाॅलाें का निर्माण, टूर्नामेंटाें के लिए टीमाें काे प्रायाेजित करना, राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक निकायाें काव्यक्तिगत ऋण देना आदि. सरकार ने कहा कि सांस्कृतिक और खेल गतिविधियाें काे बढ़ावा देने के लिए सहायता प्रदान करना सीएमआरएफ के उद्देश्याें में से एक है. सरकार ने कहा कि सीएमआरएफ का संचालन पारदर्शी तरीके से किया जा रहा है और इसके लेन-देन से संबंधित जानकारी सूचना के अधिकार अधिनियम के माध्यम से प्राप्त की जा सकती है.
उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि सीएमआरएफ के उद्देश्याें काे मंजूरी देना और उसका विस्तार करना राज्य सरकार का नीतिगत निर्णय है.