लीवर चिकित्सा के लिए अन्य सभी चिकित्सा-पद्धतियाें की अपेक्षा आयुर्वेद की श्रेष्ठ पद्धति है. आयुर्वेद में इसके सचाेट इलाज हैं. लीवर सम्बन्धी किसी भी राेग की चिकित्सा निष्णात वैद्य की देख-रेख में ही करवानी चाहिए.कई राेगाें में लीवर की कार्यक्षमता कम हाे जाती है, जिसे बढ़ाने के लिए आयुर्वेदिक औषधियां अत्यंत उपयाेगी हैं. अतः लीवर काे प्रभावित करने वाले किसी भी राेग की यथा याेग्य चिकित्सा के साथ-साथ निम्न आयुर्वे दिक औषधियाें का सेवन हितकारी है. सुबह खाली पेट एक चुटकी (लगभग 0.25 ग्राम) साबुत चावल पानी के साथ निगल जायें.हल्दी, धनिया एवं ज्वारे का रस 20 से 50 मि.ली. की मात्रा में सुबह-शाम पी सकते हैं. 2 ग्राम राेहितक का चूर्ण एवं 2 ग्राम बड़ी हरड़ का चूर्ण सुबह खाली पेट गाेमूत्र के साथ लेना चाहिए. पुनर्नवामंडूर की 2-2 गाेलियां (करीब 0.5 ग्राम) सुबह-शाम गाेमूत्र के साथ लेनी चाहिए.संशमनी वटी की दाे-दाे गाेलियां सुबहदाेपहर-शाम पानी के साथ लेनी चाहिए.आराेग्यवर्धिनी वटी की 1-1 गाेली सुबहशाम पानी के साथ लेना चाहिए. ये दवाइयां सांई श्री लीलाशाहजी उपचार केन्द्र (सूरत आश्रम) में भी मिल सकेंगी.