मेरे भूगाेल के शिक्षक थे, मैंने पहले ही दिन उनसे पूछा कि कुछ अपने संबंध में कहिये. वे कहने लगे, आदमी तुम कैसे हाे! यह भूगाेल की क्लास है, यहां मेरे संबंध में कुछ कहिये, का क्या सवाल है? मैंने कहा, आपका भूगाेल? वह बाेले, जिंदगी हाे गयी मुझे भूगाेल पढ़ाते, किसी ने मेरा भूगाेल नहीं पूछा. भूगाेल दुनिया का हाेता है, आदमी का नहीं हाेता. मैंने कहा, मैं आपसे शुरू करूंगा. और अगर आपकाे भूगाेल पता नहीं है, ताे पहले उसका पता करिए. टिम्बक्टू कहां है, इसे जानने से क्या हाेगा? और टिम्बक्टू में मरे कि कुश्तुनतुनिया में मरे-बात सब एक है. मगर तुम थे काैन? वे मुझसे कहने लगे, देखाे, भूगाेल पढ़ना हाे ताे भूगाेल की बातें कराे. उल्टी-सीधी बातें नहीं... . मैंने कहा, मैं र्सिफ भूगाेल की ही बातें कर रहा हूं. मैं अपना भूगाेल समझना चाहता हूं, इसलिए आपका भूगाेल पहले... .
उन्हाेंने मुझसे कहा, यह बात चल नहीं सकती. तुम मेरे साथ प्रिन्सिपल के पास आओ.वे प्रिन्सिपल से पूछे, कि अब करना क्या है? इस युवक काे आपने भूगाेल में भर्ती कर लिया है. अब या ताे यह भूगाेल पढ़ेगा या मैं भूगाेल पढ़ाऊंगा. हम दाेनाें साथ एक ही कक्षा में नहीं हाे सकते.प्रिन्सिपल ने कहा, मेरी कुछ समझ में नहीं आता.बात क्या है, झगड़ा क्या है? इस शिक्षक ने कहा, तुम्हारी समझ में क्या खाक आयेगा, मेरी भी समझ में वह नहीं आ रहा है. बात भूगाेल की हाेती ताे समझ में भी आती.यह ताे न मालूम कहां की बात कर रहा है. यह मुझसे पूछता है, तुम्हारा भूगाेल समझाओ.मैंने कहा, काेई िफक्र नहीं. स्कूल में नहीं समझा सकते हाे, घर आ जाऊंगा. कहीं एकांत में दूर बैठकर समझाना हाे, वहां चला चलूंगा. मगर पहले तुम्हारा भूगाेल समझूंगा, िफर आगे बढूंगा.
प्रिन्सिपल ने मुझसे कहा, भैय्या, तुम काेई दूसरा विषय चुन लाे. ये हमारे पुराने शिक्षक हैं, और हम इनकाे नहीं खाेना चाहते. रही भूगाेल की बात, साे में कुछ जानता नहीं, क्याेंकि मैंने भूगाेल कभी पढ़ा नहीं. और पता नहीं कि तुम किस भूगाेल की बात कर रहे हाे. तुम किसी और काे सताओ, इनकाे छाेड़ाे.मैंने कहा, जैसी मर्जी. मैं ताे जिस क्लास में जाऊंगा वहीं झंझट खड़ी हाेने वाली है क्याेंकि क्या िफजूल की बकवास... . काेई िफक्र कर रहा है चंगेजखान की, तैमूरलंग की, नादिरशाह की, अलेक्जेंडर की और अपनी जरा भी िफक्र नहीं. और नालायकाें की इस जमात से क्या लेना-देना है? भूगाेल छाेड़कर मैंने इतिहास में प्रवेश किया. शिक्षक सिकंदर महान के संबंध में समझा रहे थे.मैंने उनसे कहा, आपकाे शर्म नहीं आती, यह कहते हुए, सिकंदर महान है? यह ‘‘महान’’ शब्द काे ताे खराब न कराे! नहीं ताे बुद्ध काे क्या कहाेगे, सुकरात काे क्या कहाेगे, पाइथागाेरस काे क्या कहाेगे?