कोथरूड, 6 अगस्त (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क) शिक्षा का प्रचार-प्रसार करते समय, इसका उद्देश्य क्या है, यह चिंतन का विषय है. शिक्षा का केंद्र व्यक्ति है और उसका सर्वांगीण विकास ही मुख्य उद्देश्य होना चाहिए, ऐसे विचार श्रुतिसागर आश्रम (फुलगांव) के संस्थापक स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने व्यक्त किये. वे माईर्स एमआईटी शैक्षणिक संस्थान समूह के 43वें स्थापना दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे. कार्यक्रम की अध्यक्षता मुंबई वेिशविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ. संजय देशमुख ने की. साथ ही, अमेरिका स्थित गरीबे इंस्टीट्यूट फॉर सॉफ्ट पॉवर एंड पब्लिक डिप्लोमेसी के संस्थापक और ग्रैमी पुरस्कार विजेता प्रो. फर्नांडो गरीबे, गरीबे इंस्टीट्यूट के अध्यक्ष रोनाल्ड सी. गुनेल मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे. कार्यक्रम में मायर्स एमआईटी के संस्थापक अध्यक्ष प्रो. डॉ. वेिशनाथ दा. कराड, संस्थापक ट्रस्टी प्रो. प्रकाश जोशी, ट्रस्टी डॉ. विनायक घैसास, एमआईटी डब्ल्यूपीयू के कुलपति डॉ. आर. एम. चिटणीस भी उपस्थित थे. इस अवसर पर, डॉ. संजय उपाध्ये द्वारा लिखित और प्रो. शशांक दिवेकर द्वारा प्रस्तुत ‘गीत वेिशनाथ', ‘वेिशधर्मी वेिशनाथ शोध वेिशशांतीचा: यात्रा वचनपूर्तीची' शीर्षक से एक कार्यक्रम आयोजित किया गया. प्रो. फर्नांडो गरीबे ने कहा, ऐसे वेिश में जहां वर्तमान विरोधाभासों और मतभेदों का सामना कर रहा है, आंतरिक ज्ञान की खोज करना महत्वपूर्ण है. डॉ. संजय देशमुख ने कहा कि वेिश शांति का मंत्र देने वाले संत ज्ञानेेशर महाराज ने पसायदान के माध्यम से वेिश बंधुत्व का मार्ग दिखाया है. मायर्स के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. राहुल कराड ने ऑडियो-वीडियो माध्यम से संस्था के कार्यों की समीक्षा की. कार्यक्रम में, मायर्स शैक्षणिक संस्थान समूह की विभिन्न शाखाओं में उल्लेखनीय सेवा प्रदान करने वाले शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों को सम्मानित किया गया. संस्था के पूर्व छात्र एवम् मायर्स शैक्षणिक संस्थान के कोषाध्यक्ष और न्यासी डॉ. सुनील कराड को वैेिशक स्तर पर उनके रचनात्मक कार्यों के लिए गोल्डन हॉल ऑफ फेम अवार्ड मोस्ट प्रीवियस ज्वेल्स ऑफ नॉलेज डिवाइन और यूनिक पर्ल्स ऑफ विजडम से सम्मानित किया गया.अध्यक्ष डॉ. मंगेश कराड ने परिचय दिया. न्यासी और सचिव प्रो. स्वाति कराड-चाटे ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया. डॉ. रत्नदीप जोशी ने संचालन किया.