पुणे, 6 अगस्त (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क)
शिक्षा केवल परीक्षा, अंक और डिग्री तक सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि यह एक नई पीढ़ी को गढ़ने की प्रक्रिया है. आज की शिक्षित पीढ़ी को समझना होगा कि चाहे आप कितना भी पढ़ लें, लेकिन जब तक आप इंसानियत नहीं सीखते, तब तक शिक्षा अधूरी है. यह विचार वरिष्ठ शिक्षाविद और सिंबायोसिस संस्था के संस्थापक-अध्यक्ष डॉ. शां. ब. मुजुमदार ने व्यक्त किए. स्व.विनायक निम्हण की जयंती के उपलक्ष्य में सोमेेशर फाउंडेशन द्वारा आयोजित ‘विनायकी विनायक निम्हण गौरव छात्रवृत्ति’ वितरण समारोह का आयोजन पुणे के बालगंधर्व रंगमंदिर में किया गया. इस अवसर पर डॉ. मुजुमदार ने मुख्य वक्ता के रूप में अपने विचार व्यक्त किए.. कार्यक्रम की अध्यक्षता महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक के अध्यक्ष बालासाहेब अनासकर ने की. मंच पर पूर्व मंत्री एवं राज्य बजट समिति के अध्यक्ष अर्जुन खोतकर, पूर्व मंत्री प्रो. सुरेश नवले, विधायक सिद्धार्थ शिरोले, डॉ. दीपक शिकारपूर, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस विशेषज्ञ अजीत जगताप, डॉ. चेतनंद महाराज पुणेकर, आयोजक सनी निम्हण सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे. डॉ. मुजुमदार ने आगे कहा कि यदि किसी व्यक्ति को अपने परिवार, राज्य या देश में प्रगति करनी है तो दो चीजें बहुत जशरी हैं
गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और उत्तम स्वास्थ्य. सनी निम्हण ने इन दोनों क्षेत्रों में ध्यान देकर समाजसेवा का मार्ग अपनाया है. उन्होंने मोबाइल की लत पर भी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि आज के बच्चे यह मानने लगे हैं कि मोबाइल नहीं मिला तो जीवन का कोई अर्थ नहीं है. इसलिए अभिभावकों को चाहिए कि वे अपने बच्चों पर नजर रखें क्या उन्हें मोबाइल की लत या कोई और नशा तो नहीं लग गया? उन्होंने सुझाव दिया कि मोबाइल की आदत छुड़ाने के लिए हफ्ते में एक दिन मोबाइल उपवास रखना चाहिए. पूर्व मंत्री अर्जुन खोतकर ने कहा कि सनी निम्हण और उनकी माताजी ने आबा (विनायक निम्हण) के जाने के बाद भी उनके स्नेह को जीवित रखा है. आबा हमारे लिए और समाज के लिए ‘कस्तूरी’ जैसे थे. उनका राजनीतिक और व्यावसायिक कार्य प्रेरणादायक था, और अब सनी निम्हण उनके कार्य को आगे बढ़ा रहे ह्ैं.
उन्हें वेिशास है कि विनायकी के माध्यम से कई छात्रों का भविष्य सवारने का काम वे करेंगे. कार्यक्रम की प्रस्तावना करते हुए आयोजक सनी निम्हण ने कहा कि सामाजिक कार्य का अर्थ केवल आधारभूत सुविधाएं देना नहीं होता, बल्कि समाज को जागरूक करने वाला सांस्कृतिक और शैक्षणिक वातावरण निर्मित करना भी जशरी होता है. कार्यक्रम की शुरुआत में अजीत जगताप ने विद्यार्थियों को मार्गदर्शन प्रदान किया. संचालन मिलिंद कुलकर्णी ने किया,धन्यवाद ज्ञापन उमेश वाघ और अनिकेत मुरकुटे ने किया, तथा समापन पर अमित मुरकुटे ने आभार प्रदर्शन किया.