सुप्रीम काेर्ट ने साेमवार काे ऑनलाइन मनी गेमिंग पर प्रतिबंध लगाने वाले नए कानून की संवैधानिकता काे चुनाैती देने वाली सभी याचिकाओं काे विभिन्न हाई काेर्ट से अपने यहां स्थानांतरित कर लिया.न्यायमूर्ति जे.बी.पारदीवाला और न्यायमूर्ति के.वी. विश्वनाथन की पीठ ने मध्य प्रदेश, कर्नाटक और दिल्ली हाई काेर्ट में दायर याचिकाओं काे एक साथ जाेड़ने के केंद्र के अनुराेध काे स्वीकार कर लिया.पीठ ने स्पष्ट किया कि नए कानून काे चुनाैती देने वाली सभी हाई काेर्ट की कार्यवाहियाें की सुनवाई अब केवल सुप्रीम काेर्ट द्वारा की जाएगी और हाई काेर्ट इससे संबंधित किसी भी याचिका पर विचार नहीं करेंगे.केंद्र और याचिकाकर्ताओं, दाेनाें ने सुप्रीम काेर्ट से सभी संबंधित मामलाें काे एक साथ मिलाकर हाई काेर्ट से स्थानांतरित करने का अनुराेध किया था. अब सुप्रीम काेर्ट गेमिंग कानून की संवैधानिक वैधता पर फैसला करेगा. साॅलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत काे बताया कि ऑनलाइन गेमिंग पर 28% जीएसटी लगाने के मामले में न्यायमूर्ति पारदीवाला की पीठ के समक्ष हाई काेर्ट के समक्ष उद्धृत कानूनी मुद्दाें और उदाहरणाें पर पहले ही व्यापक रूप से बहस हाे चुकी है, जहां आदेश सुरक्षित रखा गया है.
मेहता ने अदालत काे बताया, इसअधिनियम काे तीन हाई काेर्ट में चुनाैती दी गई है. अगर यह मामले यहां लाए जाते हैं, ताे समय की बचत हाेगी.पिछले हफ्ते, मध्य प्रदेश हाई काेर्ट ने ग्वालियर स्थित गेमिंग फर्म क्लबबूम11 स्पाेर्ट्स एंड एंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड की उस अपील काे खारिज कर दिया.अगस्त में पारित यह अधिनियम माैद्रिक लेनदेन वाले सभी ऑनलाइन खेलाें पर प्रतिबंध लगाता है. कर्नाटक और दिल्ली हाई काेर्ट में भी इसी तरह की याचिकाएं दायर की गईं, जिनमें बघीरा कैरम ओपीसी प्राइवेट लिमिटेड की एक याचिका भी शामिल है, लेकिन किसी भी अदालत ने अंतरिम राहत नहीं दी. मेहता ने अदालताें काे बताया कि एक बार कानून अधिसूचित हाे जाने के बाद, इलेक्ट्राॅनिक्स और सूचना प्राैद्याेगिकी मंत्रालय बिना किसी माैद्रिक दांव के ई-स्पाेर्ट्स और कैजुअल गेम्स काे बढ़ावा देने के लिए एक प्राधिकरण स्थापित करेगा, जबकि धनआधारित खेलाें पर प्रतिबंध लागू करेगा.