सुजय गार्डन जैन संघ में चातुर्मास बिराजमान जैन मुनि पू. जे. पी. गुरुदेव ने आज की अपनी धर्मवाणी में बताया कि - व्यक्ति, वस्तु, साधन, सामग्री, समृद्धि, संबंध, वातावरण यह सब कुछ नाशवंत है, क्षणिक है. पांच प्रकार की सरस्वती देवी से मानव जगत को पांच महान लाभ प्राप्त होते हैैं. दृष्टि स्वरुप सरस्वती से हमारी त्याग भावना प्रबल बनती है, स्पर्श स्वरुप सरस्वती से हमारे भीतर वैराग्य भावना निर्मित होती है, भाषा स्वरुप सरस्वती से भव्य भाव पैदा होते हैं, अक्षर स्वरुप सरस्वती से आत्म जागृति प्राप्त होती है और ज्ञान स्वरुप सरस्वती से धर्म और अध्यात्म मार्ग प्राप्त होता है. जिंदगी में कभी गलत भाषा का प्रयोग मत करना, अपनी वाणी से कभी किसी का अपमान मत करना, शब्द प्रयोग में कभी मर्यादा मत चूकना, किसी के लिए कभी अपमानजनक भाषा का उपयोग मत करना, अपनी वाणी के उच्चार में कभी अहंकार का प्रदर्शन मत करना.
5 जीवन सूत्र प्रदान करते हुए पू. गुरुदेव ने कहा कि- 1. कलियुग में किसी की इतनी भी मत करना भलाई कि जिस में हो जाए तुम्हारी बुराई .
2. किसी को देना हो तो डोनेशन दे देना लेकिन लोन देकर होना. किसी की मत करो इतनी हेल्प बिगड़ जाय हेल्थ. चुके समय में अपनी सोच बदलो, समय तुम्हें माफ नहीं करेगा.
3. किसी की मत करो इतनी हेल्प बिगड़ जाय हेल्थ.
4. बदल चुके समय में अपनी सोच बदलो, वरना आने वाला समय तुम्हें माफ नहीं करेगा.
5. जिंदगी में धर्म करना बेहद जरुरी है मगर जिंदगी कैसे जीना यह अगर सीख लिया जाए तो उससे बड़ा कोई धर्म नहीं हो सकता.
अन्न देवता का कभी अपमान मत करना, भोजन को कभी कूड़े-कचरे में मत जाने देना, अन्न के एक भी दाने का बिगाड़ मत होने देना क्योंकि यह कुदरत की श्रेष्ठ भेट है. अन्नपूर्णा देवी के रुप में सभी महिलाएं रसोई बनाते वक्त अपने अपने भगवान का नाम लेना, अपने धर्म के मंत्र का स्मरण करना ताकि वो भोजन आपके परिवार के लिए प्रभु का प्रसाद बन जाए और आप सभी के लिए स्वास्थ्य का उत्तम निमित्त बन जाए. - पू. जे. पी. गुरुदेव सुजय गार्डन जैन संघ, मुकुंदनगर, पुणे