देश के हर नागरिक काे साफ-सुथरी हवा का हक है.यह टिप्पणी सुप्रीम काेर्ट ने किया है. दिल्ली में पटाखाें पर बैन के आदेश काे चुनाैती की याचिका पर चीफ जस्टिस बी.आर गवई सुनवाई कर रहे थे. उन्हाेंने कहा-दिल्ली एनसीआर में ही नहीं, पूरे देश में पटाखाें पर बैन हाेना चाहिए. सीजेआई ने कहा देश के किसी भी शहर के साथ भेदभाव नहीं किया जा सकता है. पर्यावरण के नियम सबके लिए समान हाेना चाहिए. उन्हाेंने कहा- दिल्ली में तमाम वीवीआईपी लाेग रहते हैं. इस आधार पर नीति का निर्धारण नहीं हाे सकता है.इसके अलावा सुप्रीम काेर्ट ने अपने हाई सिक्याेरिटी जाेन घाेषित किए गए मुख्य परिसर में फाेटाेग्राफी, साेशल मीडिया रील बनाने और वीडियाेग्राफी करने पर बैन लगा दिया है.10 सितंबर काे जारी सर्कुलर में काेर्ट ने मीडियाकर्मियाें के लिए भी निर्देश जारी किए हैं. इस सर्कुलर के मुताबिक कम सुरक्षा वाले लाॅन एरिया में ही इंटरव्यू और लाइव टेलीकास्ट कर सकेंगे.
अगर मीडियाकर्मी दिशानिर्देशाें का उल्लंघन करतेहैं, ताे सुप्रीम काेर्ट के हाई सिक्याेरिटी एरिया में उनकी एंट्री एक महीने के लिए बैन की जा सकती है. सुरक्षाकर्मियाें के पास किसी भी व्यक्ति, कर्मचारी सदस्य, वकीलाें और आने वाले लाेगाें काे इस जाेन के अंदर तस्वीरें लेने या वीडियाे बनाने से राेकने का अधिकार हाेगा.सर्कुलर के अनुसार हाई सिक्याेरिटी एरिया के लाॅन में फाेटाेग्राफी और वीडियाेग्राफी के लिए माेबाइल फाेन इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है.इतना ही नहीं, किसी वकील, वादी, इंटर्न और लाॅ क्लर्क भी अगर दिशानिर्देशाें का उल्लंघन करता है ताे संबंधित बार एसाेसिएशन, स्टेट बार काउंसिल अपने नियमाें के आधार पर उचित कार्रवाई करेगा. हाल ही में सुप्रीम काेर्ट एडवाेकेट्स-ऑन-रिकाॅर्ड एसाेसिएशन ने सीजेआई बीआर गवई काे लेटर लिखकर वकीलाें और साइबर इंफ्लूएंसर्स के काेर्ट कैंपस में फाेटाेग्राफी और वीडियाेग्राफी पर चिंता जताई थी. सुप्रीम काेर्ट बार एसाेसिएशन ने भी एक प्रस्ताव पारित किया जिसमें सुप्रीम काेर्ट परिसर के भीतर वीडियाेग्राफी, रील-मेकिंग और साेशल मीडिया कंटेंट मेकिंग में शामिल वकीलाें के खिलाफ सख्त कार्रवाई की सिफारिश की गई थी.