डायमंड की तरह अब ‌‘सोना-चांदी फॉरएवर' कहना सटीक !

कमोडिटी विशेषज्ञ अमित मोडक की कीमतों में बढ़ोतरी पर राय : कहा- पितृपक्ष में भी खरीदारी जारी

    17-Sep-2025
Total Views |

bfbf
 
लक्ष्मी रोड, 16 सितंबर (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क)

सोने और चांदी की कीमतें इस समय काफी ऊंची हैं. दिवाली तक दोनों धातुओं की कीमतें क्या होंगी, यह कहना मुश्किल है. हालांकि, सोना और चांदी लंबी अवधि की खरीदारी हैं. इसलिए, कमोडिटी विशेषज्ञ अमित मोडक का कहना है कि हर कीमत पर खरीदारी करते रहना चाहिए. इस समय, दोनों धातुओं की कीमतें काफी ऊंची हैं. इसी के तहत, उन्होंने दै. आज का आनंद के पाठकों के लिए सर्राफा बाजार के घटनाक्रम की जानकारी दी है. मोडक ने कहा कि सोना हमेशा दीर्घकालिक खरीदारी के रूप में ही खरीदना चाहिए. क्योंकि, आम उपभोक्ता सट्टेबाज या व्यापारी की भूमिका में नहीं होता. स्वाभाविक रूप से, अगर हम आभूषण के रूप में सोना खरीदने जा रहे हैं, तो उसके पीछे व्यापार का विचार नहीं होता. एक बहुत ही सरल उदाहरण है कि, हमारे दादा-दादी ने जो सोने के आभूषण 400 रुपये प्रति 10 ग्राम की कीमत पर खरीदे थे, वे सोने की कीमत अब 1 लाख रुपये के पार जाने के बावजूद भी नहीं बेचे जा रहे. हमें इसके पीछे की सोच को समझना चाहिए. अमित मोडक ने कहा कि सोना हमेशा के लिए खरीदा जाता है. जैसे पहले कहा जाता था कि हीरे हमेशा के लिए हैं (डायमंड फॉरएवर), अब कहना होगा कि सोना और चांदी भी फॉरएवर है. मोडक ने कहा, पितृ पक्ष के दौरान सोने की खरीदारी बंद नहीं होती. ऐसा पहले कभी नहीं हुआ. पिछले आंकड़ों पर गौर करें तो यह बात साफ है. इसके अलावा, इस दौरान सोने की कीमतों में गिरावट भी नहीं आती. पितृ पक्ष विशेष रूप से भारत या एशिया के कुछ देशों में मनाया जाता है. चूंकि इस दौरान अन्य पूजा-पाठ आदि होते हैं, इसलिए इस दौरान सोना या लंबी अवधि के निवेश नहीं खरीदे जाते. हालांकि, यह सोने की कीमत को प्रभावित करने वाला कोई कारक नहीं है. डोनाल्ड ट्रम्प, व्लादिमीर पुतिन या शी जिनपिंग जैसे विभिन्न देशों के प्रभावशाली लोगों का पितृ पक्ष से कोई लेना-देना नहीं है. वैेिशक आर्थिक लेन-देन पितृ पक्ष को देखकर नहीं किए जाते. इसलिए, आर्थिक व्यवस्था में पैदा हुई अस्थिरता के पीछे कई कारण हैं, जैसे ट्रम्प टैरिफ, रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध, या इजरायल द्वारा नए सिरे से किए गए हमले. इसलिए, मुझे नहीं लगता कि सोने और चांदी की कीमतों में वृद्धि पितृ पक्ष या ऐसे किसी भी कारक से संबंधित है. दिवाली से पहले सोने की कीमत कितनी बढ़ेगी, इसका अनुमान लगाना बेहद कठिन है. दिवाली 20 अक्टूबर को है. उसके लिए केवल एक से डेढ़ महीने का समय बचा है. इसलिए, एक महीने में कीमतें बहुत बढ़ेंगी या घटेंगी... इस बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता. सोने की कीमतें अभी किस उम्मीद से बढ़ी हैं, यह कोई नहीं कह सकता. (यानी फेड के ब्याज दरों में आधा प्रतिशत की कमी या चौथाई प्रतिशत की कमी). इसलिए, अगर ब्याज दरें बाजार की उम्मीदों से कम घटती हैं, तो सोने की कीमतों में कुछ समय के लिए गिरावट आ सकती है. हालांकि, लंबे समय में ऐसा लग रहा है कि सोने और चांदी की कीमतों में बढ़ोतरी जारी रहेगी. 22 सितंबर से जीएसटी दरें कम होने जा रही हैं. यह तिथि इसलिए तय की गई है क्योंकि इसी दिन घटस्थापना है. यह एक शुभ दिन माना जाता है. भारत में त्यौहारी सीजन 45 दिनों का होता है. इस दौरान नवरात्रि, दशहरा और दिवाली होती है. इसके पीछे यही कामना है कि कार्तिक पूर्णिमा तक इस त्यौहारी अवधि में लोगों को सस्ता सामान मिले और जीएसटी का बोझ कम हो. यह बहुत स्वागत योग्य है. हालांकि, इसका सोने-चांदी की खरीदारी पर सीधा असर नहीं पड़ेगा.  
 
सोना और चांदी विवेकाधीन खरीदारी

जीएसटी कर में कमी के कारण लोगों की जेब में जो पैसा बचेगा, उससे विवेकाधीन खरीदारी को बढ़ावा मिलेगा. इन खरीदारी में खास तौर पर कपड़े, सोना-चांदी और घड़ियां शामिल हैं. अगर कर में कमी के कारण लोगों की जेब में अयादा पैसा बचेगा, तो इन वस्तुओं की मांग बढ़ सकती है. हालांकि, जीएसटी में कमी का सीधा असर सोने की खरीदारी पर नहीं पड़ेगा, क्योंकि, सोने के आभूषणों पर जीएसटी की दर 3 प्रतिशत है. इसमें कोई बदलाव नहीं हो रहा है. इसलिए, जीएसटी में कमी का सोने के आभूषणों की कीमत पर सीधा असर नहीं पड़ेगा. हालांकि, विवेकाधीन खरीदारी के रूप में आभूषणों की मांग बढ़ सकती है.
- अमित मोडक, कमोडिटी विशेषज्ञ
 
अमेरिकी फेड की बैठक पर भी ध्यान देना चाहिए

 एक और मुद्दा यह है कि अमेरिकी फेड की बैठक 17 सितंबर को है. इस बैठक में ब्याज दरों पर चर्चा होगी. अनुमान लगाया जा रहा है कि इन ब्याज दरों में कमी आएगी. वर्तमान में अमेरिका में महंगाई, वहां की अर्थव्यवस्था और अन्य कारकों को भी ध्यान में रखना चाहिए. एक तरह से, बाजार का अनुमान है कि ब्याज दरों में जबरन कटौती एक चौथाई या आधा प्रतिशत की कमी हो सकती है. जब भी ब्याज दरों में कमी होगी, सोने की कीमतों में बढ़ोतरी की संभावना है. तदनुसार, 17 सितंबर के बाद तस्वीर साफ हो जाएगी.