मिनिमम बैलेंस जैसे रिटेल सर्विस पर बैंक चार्जेस कम करें : रिजर्व बैंक

    20-Sep-2025
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RBI 
 
रिज़र्व बैंक के अधिकारियाें ने हाल के हफ्ताें में बैंकाें काे बताया है कि वह सेवा शुल्क में कमी चाहता है जिसमें डेबिट कार्ड, न्यूनतम बैलेंस उल्लंघन और देर से भुगतान पर लगने वाले शुल्क भी शामिल हैं, सूत्राें ने निजी बातचीत में नाम न बताने की शर्त पर बताया.
ऋणदाताओं काे नियंत्रित करने वाले आरबीआई ने टिप्पणी के अनुराेधाें का जवाब नहीं दिया.यह कदम हाल के वर्षाें में भारत के बैंकाें द्वारा खुदरा ऋण देने की दिशा में एक नए सिरे से उठाए गए कदम के बाद उठाया गया है, जाे काॅर्पाेरेट ऋणाें में गिरावट के चक्र में कई बैंकाें के डूब जाने के बाद, विविधता लाने का एक तरीका है. व्यक्तिगत ऋण, काराें और छाेटे व्यवसायाें के लिए वित्तपाेषण जैसे क्षेत्राें में वृद्धि ने खुदरा बाजार काे बैंकाें के लिए आकर्षक बना दिया है, साथ ही इसने विस्तार की गति काे लेकर चिंतित एक नियामक संस्था का ध्यान भी आकर्षित किया है.सूत्राें ने बताया कि केंद्रीय बैंक उन शुल्काें काे लेकर विशेष रूप से सचेत है जाे दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले देश में कम आय वाले ग्राहकाें पर असमान रूप से प्रभाव डालते हैं.
 
उन्हाेंने बताया कि आरबीआई ने शुल्काें की काेई विशिष्ट सीमा निर्धारित नहीं की है और इसे बैंकाें के विवेक पर छाेड़ दिया है.कुछ बैंकाें ने गृह ऋण शुल्क की सीमा 25,000 रुपये निर्धारित की है. धीमी वृद्धि के दाैर के बाद, भारतीय बैंकाें की शुल्क आय में इस वित्तीय वर्ष में सुधार के शुरुआती संकेत दिखाई दे रहे हैं। इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च के आंकड़ाें के अनुसार, जून में समाप्त तिमाही में यह पिछले वर्ष की तुलना में 12% बढ़कर लगभग 510.6 अरब रुपये हाे गई, जबकि पिछले तीन महीनाें में यह 6% थी.सूत्राें ने बताया कि भारतीय बैंक संघ भी बैंकाें के साथ 100 से ज़्यादा खुदरा उत्पादाें पर बातचीत कर रहा है, जिन पर आरबीआई की नज़र हाे सकती है.उन्हाेंने बताया कि एक ही उत्पाद के लिए अलगअलग ग्राहकाें द्वारा चुकाए जाने वाले शुल्क में भारी अंतर ने भी केंद्रीय बैंक का ध्यान आकर्षित किया है.