जैव प्रौद्योगिकी भविष्य की अर्थव्यवस्था : डॉ. जीतेंद्र सिंह

सिम्बायोसिस द्वारा सिम-रीसर्च 2.0 अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन समारोह में केंद्रीय राज्यमंत्री ने कहा

    22-Sep-2025
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लवले, 21 सितंबर (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क)

भविष्य की अर्थव्यवस्था में जैव प्रौद्योगिकी का प्रभुत्व होने वाला है. दुनिया भर के अर्थशास्त्री इस बात पर सहमत हैं कि अगली औद्योगिक क्रांति जैव-चालित होगी, ठीक उसी तरह जैसे 1990 के दशक में हुई पिछली क्रांति, जो सूचना प्रौद्योगिकी से प्रेरित थी. यह बदलाव वैेिशक अर्थव्यवस्था में एक क्रांतिकारी बदलाव लाएगा, जो पारंपरिक विनिर्माण से पुनर्चक्रण प्रक्रियाओं, जैव-चालित प्रौद्योगिकियों और आनुवंशिक प्रगति की ओर बढ़ेगा. भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के माननीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जीतेंद्र सिंह ने कहा कि यह परिवर्तन केवल जीवन विज्ञान तक ही सीमित नहीं है, बल्कि कृषि और पादप विज्ञान (एग्रीकल्चर और प्लांट) जैसे क्षेत्रों को भी अपने दायरे में लेगा. सिम्बायोसिस इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी द्वारा 18 से 20 सितंबर तक लवले कैंपस में सिम-रीसर्च 2.0 - वैेिशक स्वास्थ्य के लिए जैव अभियांत्रिकी पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया. इस सम्मेलन के उद्घाटन के मौके पर डॉ. जीतेंद्र सिंह बोल रहे थे. कार्यक्रम में डॉ. रघुनाथ माशेलकर (पूर्व महानिदेशक, सीएसआईआर) मुख्य अतिथि थे. वहीं सिम्बायोसिस के संस्थापक एवं अध्यक्ष तथा सिम्बायोसिस इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी के कुलाधिपति प्रो. (डॉ.) एस. बी. मुजुमदार ने समारोह की अध्यक्षता की. डॉ. राजीव येरवडेकर (प्रोवोस्ट, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विज्ञान संकाय, सिम्बायोसिस इंटरनेशनल - डीम्ड यूनिवर्सिटी) ने स्वागत भाषण दिया. डॉ. केतन कोटेचा (डीन-संकाय, इंजीनियरिंग, सिम्बायोसिस इंटरनेशनल - डीम्ड यूनिवर्सिटी) ने धन्यवाद ज्ञापन दिया. डॉ. अनुराधा वैद्य (निदेशक, स्कूल ऑफ बायोलॉजिकल साइंसेज सिम- रिसर्च 2.0 की आयोजन सचिव थीं. उनके साथ डॉ. विद्या येरवड़ेकर (सिम्बायोसिस की प्रधान निदेशक और सिम्बायोसिस इंटरनेशनल - डीम्ड यूनिवर्सिटी) की प्रो-चांसलर, तथा डॉ. रामकृष्णन रमन (सिम्बायोसिस इंटरनेशनल - डीम्ड यूनिवर्सिटी) के कुलपति, इस समारोह में उपस्थित अन्य विशिष्ट अतिथि थे. इस अवसर पर बोलते हुए डॉ. सिंह ने कहा, जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत एक वैेिशक नेता के रूप में उभर रहा है. 2014 में 10 अरब डॉलर के उद्योग के रूप में शुरू हुआ यह उद्योग अब 130 अरब डॉलर का हो गया है और हमें वेिशास है कि अगले 5-7 वर्षों में यह 300 अरब डॉलर तक पहुंच जाएगा.
 
‘मोर फ्रॉम लेस फॉर मोर' पुस्तक का विमोचन
कार्यक्रम के दौरान डॉ. सिंह ने रघुनाथ माशेलकर और सुशील बोर्डे द्वारा लिखित पुस्तक मोर फ्रॉम लेस फॉर मोर का विमोचन किया. यह पुस्तक समावेशी नवाचार के अंतर्गत मोर फ्रॉम लेस फॉर मोर के विचार को भारत की बड़ी चुनौतियों को बड़े पैमाने पर और तेजी से हल करने के समाधान के रूप में प्रस्तुत करती है.