छाेटे बच्चे काे अच्छा काम करवाना हाे ताे ्नया कराेगे? भयभीत कराे, माराे डांटाे, डपटाे, भूखा रखाे, दंड दाे. छाेटा बच्चा असहाय है. तुम उसे डरा सकते हाे.वह तुम पर निर्भर है. मां अगर अपना मुंह भी माेड़ ले उससे और कह दे कि नहीं बाेलूंगी, ताे भी वह उखड़े हुए वृक्ष की भांति हाे जाता है. उसे डराना बिलकुल सुगम है, क्योंकि वह तुम पर निर्भर है.तुम्हारे बिना सहारे के ताे वह जी भी न सकेगा.एक क्षण भी बच्चा नहीं साेच सकता कि तुम्हारे बिना कैसे बचेगा. और मनुष्य का बच्चा सारे पशुओं के बच्चाें से ज्यादा असहाय है. पशुओं के बच्चे बिना मां-बाप के सहारे भी बच सकते हैं. मां-बाप का सहारा गाैण है; जरूरत भी है ताे दाेचार दिन की है; महीने, पंद्रह दिन की है.
मनुष्य का बच्चा एकदम असहाय है. इससे ज्यादा असहाय काेई प्राणी नहीं है. अगर मां-बाप न हाें ताे बच्चा बचेगा ही नहीं.ताे मृत्यु हमेशा किनारे खड़ी है. मां-बाप के हटते ही, सहायाेग के हटते ही, जीवन नष्ट हाे जाएगा. इसलिए बच्चे काे डराना बहुत ही आसान है. और तुम्हारे लिए भी सुगम है. क्योंकि डराने में कितनी कठिनाई है? आंख से डरा कर तुम बच्चे काे अच्छा बनाने की काेशिश करते हाे. वहीं भ्रांति हाे जाती है.्नयाेंकि भय ताे पहली बुराई है. अगर बच्चा डर गया और डर के कारण शांत बैठने लगा, ताे उसकी शांति के भीतर अशांति छिपी हाेगी. उसने शांति का पाठ नहीं सीखा; उसने भय का पाठ सीखा. अगर डर के कारण उसने बुरे शब्दाें का उपयाेग बंद कर दिया, गालियां देनी बंद कर दीं, ताे भी गालियां उसके भीतर घूमती रहेंंगी, उसकी अंतरात्मा की वासिनी हाे जाएंगी.वह ओंठाें से बाहर न लाएगा. उसने पाठ यह नहीं सीखा कि वह सदव्यवहार करे, सदवचन बाेले, भाषज्ञ का काव्य सीखे, भाषा की गंदगी नहीं.