सऊदी अरब पाकिस्तान में बने हथियाराें का प्रमुख खरीदार है

    23-Sep-2025
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पाकिस्तान और सऊदी अरब के बीच बुधवार 17 सितंबर काे हुए आपसी रक्षा समझाैते काे लेकर भारत में आशंकाएं व्य्नत की जा रही है. यह भी माना जा रहा है कि बेशक यह समझाैता पश्चिम एशिया के बदलते हालात में काफी महत्वपूर्ण है, लेकिन यह भारत के खिलाफ नहीं है और वस्तुत: पाकिस्तान और सऊदी अरब के बीच साठ के दशक से चली आ रही अनाैपचारिक रक्षासाझेदारी औपचारिक हाे गई है. इसके साथ ही इन दाेनाें देशाें के अमेरिका, इजरायल और चीन के अलावा ईरान और तुर्की के साथ रिश्ताें की पेचीदगियाें काे समझने की जरुरत भी हाेगी. साथ ही हाल में कतर पर हुए इजरायली हमले के बाद की गतिविधियाें पर भी नजर डालनी हाेगी.इस समझाैते के बारे में अभी तक ज्यादा विवरण सामने नहीं आये हैं, लेकिन इसमें कही गई एक बात ने भारत में पर्यवेक्षकाें का ध्यान खींचा है, कि ‘दाेनाें’ में से किसी भी देश पर हुए आक्रमण काे दाेनाें के खिलाफ आक्रमण माना जाएगा.
 
इससे कुछ लाेग इसे ऑपरेशन सिंदूर जैसी परिस्थिति से जाेड़ रहे हैं. सच यह है कि दाेनाें देशाें के बीच यह समझाैता लंबी बातचीत का परिणाम है.संभावना इस बात की है कि यूएई और बहरीन जैसे देश भी इस समझाैते में शामिल हाे सकते हैं. इस समझाैते के ठीक पहले इस्लामिक देशाें द्वारा एक संयु्नत सैनिक-बल बनाने की दिशा में भी पहल शुरू हुई है.याें ताे इस समझाैते पर काफी समय से काम चल रहा था, लेकिन हाल ही में कतर पर हुए इजरायल के हमले के बाद इस पर हस्ताक्षर हाेने से कई तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं. इजरायल की बढ़ती आक्रामकता और अमेरिकी रक्षा वायदे के कमजाेर नजर आने के कारण यह पहला बड़ा रक्षा समझाैता है जिस पर किसी अरब देश ने किसी परमाणु-सशस्त्र राष्ट्र के साथ हस्ताक्षर किए हैं.पूछा जा सकता है कि ्नया इस समझाैते के भारत की सुरक्षा से जुड़े निहितार्थ नहीं हाेंगे?
 
भारत के विदेश मंत्रालय के अधिकारिक प्रव्नता रणधीर जायसवाल ने एक बयान में कहा, सरकार काे इस बात की जानकारी थी कियह घटनाक्रम, जाे दाेनाें देशाें के बीच एक दीर्घकालिक समझाैते काे औपचारिक रूप देता है, विचाराधीन है.जाहिर है कि सऊदी अरब ने भारत काे इस मामले में लूप में रखा है. बहरहाल, भारत इस घटनाक्रम के राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ-साथ क्षेत्रीय और वैश्विक स्थिरता पर पड़ने वाले प्रभावाें का अध्ययन जरूर करेगा.सऊदी अरब और यूएई ने भारत में अरबाें डाॅलर का निवेश किया है और भविष्य में भारी निवेश की संभावनाएं हैं. इसलिए यह भी स्पष्ट है कि यह देश भारत की सुरक्षा-प्राथमिकताओं काे भी समझते हैं.सऊदी अरब के लिए भारत दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है और भारत के लिए सऊदी अरब पांचवां सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है.
 
वित्त वर्ष 2023-24 में, द्विपक्षीय व्यापार 42.98 अरब अमेरिकी डाॅलर रहा, जिसमें भारतीय निर्यात 11.56 अरब अमेरिकी डाॅलर और आयात 31.42 अरब अमेरिकी डाॅलर रहा. 22 अप्रैल काे पहलगाम हमले के दाैरान प्रधानमंत्री माेदी सऊदी अरब में थे और सऊदी अरब ने इस घटना की तुरंत निंदा की थी.बाद में सऊदी अरब के विदेश राज्य मंत्री आदिल-अलजुबैर ने ऑपरेशन सिंदूर के दाैरान अचानक पाकिस्तान का दाैरा किया. सऊदी अरब ने जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 काे हटाए जाने की ज्यादा कड़ी आलाेचना कभी नहीं की. फरवरी, 2019 में पुलवामा आतंकी हमले की निंदा की थी, लेकिन बालाकाेट हमलाें की निंदा नहीं की थी. इसके साथ ही यूएई ने भारत और पाकिस्तान के बीच रिश्ताें काे ठीक कराने की कई बार काेशिशें कीं और पाकिस्तान ‘यू-टर्न’ करती रही. सबसे ताजा प्रकरण 2022-23 का है.
 
पहले खबर आई कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने यूएई के चैनल अल अरबिया के साथ एक साक्षात्कार में कहा कि हम कश्मीर समेत सभी मुद्दाें पर पीएम नरेंद्र माेदी के साथ गंभीर बातचीत करना चाहते हैं. उन्हाेंने यह भी कहा कि भारत के साथ तीन-तीन युद्ध लड़कर पाकिस्तान ने सबक सीख लिया है. इससे गरीबी, बेराेजगारी और परेशानी के सिवा हमें कुछ नहीं मिला. अब हम शांति चाहते हैं.दूसरी तरफ हमें सऊदी-पाकिस्तान रिश्ताें की पृष्ठभूमि काे भी समझना हाेगा. 1960 के दशक के अंत में, यमन में मिस्त्र के युद्ध काे लेकर चिंताओं के बीच, पाकिस्तानी सैनिक सऊदी अरब गए थे. 1979 में म्नका की ग्रैंड मस्जिद पर कब्जा हुआ था,तब पाकिस्तान के विशेष बलाें ने सऊदी सैनिकाें की मदद की थी, इसके साथ ही सैन्य सहयाेग, और गहरा हाे गया.
 
वर्ष 1982 में, दाेनाें पक्षाें ने एक द्विपक्षीय सुरक्षा सहयाेग समझाैते के माध्यम से सुरक्षा संबंधाें काे संस्थागत रूप दिया, जिससे सऊदी अरब की धरती पर पाकिस्तानी प्रशिक्षण,सलाहकार सहायता और तैनाती संभव हुई.सऊदी अरब पाकिस्तान निर्मित हथियाराें का एक प्र्रमुख खरीदार है, और पाकिस्तानी कर्मियाें ने सऊदी वायु सेना काे प्रशिक्षित किया है. दूसरी तरफ पाकिस्तान जब भी आर्थिक-संकट से घिरा है सऊदी अरब ने उसकी मदद की है. अब कहा जा रहा है कि पाकिस्तान अब सऊदी अरब के पैसाें से अमेरिकी हथियार खरीद सकेगा, जिसे ट्रम्प प्रशासन बेचने काे तैयार है. हाल में राष्ट्रपति ट्रम्प ने जब पाकिस्तान के सेनाध्यक्ष आसिम मुनीर काे लंच पर बुलाया, तब स्पष्ट था कि अमेरिका इस इलाके में पाकिस्तान भी भूमिका देख रहा है.
-प्रमाेद जाेशी