पिछले 9 महीनों में सोने-चांदी की कीमतों में 40% की वृिद्ध

दोनों धातुओं की कीमतें नए रिकॉर्ड पर पहुंचीं : दुनिया की विभिन्न घटनाओं का कीमतों पर पड़ रहा प्रभाव

    26-Sep-2025
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पुणे, 25 सितंबर (स्वप्निल बापट द्वारा)
पिछले 9 महीनों में सोने और चांदी ने लगभग 40 प्रतिशत का रिटर्न दिया है. अगर एक साल की अवधि पर गौर करें तो यह आंकड़ा लगभग 40 से 50 प्रतिशत है. दोनों धातुओं की कीमतें हर दिन बढ़ती हुई रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच रही हैं, और विशेषज्ञ कह रहे हैं कि दुनिया भर में विभिन्न घटनाक्रमों का इस मूल्य वृद्धि पर असर पड़ रहा है. पुणे के बाजारों में सोने की कीमत, जो एक साल पहले लगभग 73 हजार रुपये प्रति 10 ग्राम थी, आज 1 लाख 14 हजार रुपये है. जबकि चांदी 87 हजार रुपये से सीधे 1 लाख 34 हजार रुपये पर पहुंच गई है. पिछले कुछ महीनों में सोने और चांदी की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. यह बढ़ोतरी रिकॉर्ड स्तर पर है. इसलिए, चर्चा है कि दिवाली (21 अक्टूबर 2025) तक सोने की कीमत 1 लाख 25 हजार और चांदी की कीमत 1.5 लाख रुपये तक पहुंच सकती है. इसी पृष्ठभूमि में, ‌‘आज का आनंद' के पाठकों के लिए सर्राफा बाजार की स्थिति का एक जायजा.  
 
  दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाओं में एक अजीब तरह की बेचैनी है. रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध अभी थमा नहीं है. ट्रम्प टैरिफ के कारण वास्तव में क्या हो रहा है, इसका अध्ययन अभी भी जारी है. दुनिया भर के केंद्रीय बैंक सोने की खरीदारी बढ़ा रहे हैं. इन सभी घटनाक्रमों का असर सर्राफा बाजार पर पड़ रहा है. देश-विदेश में रिटेल और संस्थागत निवेशकों के साथ-साथ रिजर्व बैंक भी सोने की खरीदारी बढ़ा रहे हैं. ऐसे में, पिछले छह महीनों से सोने की कीमत में एकतरफा बढ़ोतरी हो रही है. पुणे के सर्राफा बाजार में बुधवार (24 सितंबर) को सोने की कीमत 1,13,800 रुपये प्रति 10 ग्राम (जीएसटी छोड़कर) थी. जबकि चांदी की कीमत 1,38,741 रुपये प्रति किलोग्राम (जीएसटी छोड़कर) थी. सोने की तरह, चांदी की कीमत भी बढ़ रही है. विश्लेषकों का कहना है कि न केवल निवेश के रूप में चांदी की मांग है, बल्कि आधुनिक उद्योग में चांदी का व्यापक रूप से उपयोग होने के कारण भी पिछले कुछ महीनों में चांदी की कीमत सोने से अधिक बढ़ी है. इस वर्ष जनवरी से अब तक चांदी की कीमत में लगभग 50 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. चांदी का उपयोग सेमीकंडक्टर, इलेक्ट्रिक, ऑटोमोबाइल, सौर ऊर्जा आदि क्षेत्रों में किया जाता है. इस क्षेत्र में विकास बढ़ रहा है. इसलिए, विभिन्न उद्योग सेमीकंडक्टर की कमी से उत्पन्न स्थिति से बचने के लिए चांदी का स्टॉक जमा करने की कोशिश कर रहे हैं. इससे चांदी की कीमत में बढ़ोतरी बताई जा रही है. देश-विदेश के वायदा बाजारों में भी इन दोनों धातुओं की कीमतें बढ़ रही हैं. इस बीच, पिछले दो दिनों से भारतीय रुपये की कीमत में तेजी से गिरावट आ रही है. ऐसे में सोने का आयात महंगा होने वाला है.  
 
बाजार में कोई फियर फैक्टर नहीं
पिछले कुछ सालों में सोने की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं. जाहिर है, कई ग्राहक इस सोच से बाजारों में हैं कि आज जिस कीमत पर सोना खरीदा जा रहा है, भविष्य में उसमें और बढ़ोतरी हो सकती है. इसलिए, कई ग्राहक मौजूदा कीमत पर ही खरीदारी करना पसंद कर रहे हैं. अब शादियों का मौसम शुरू होने वाला है. इसलिए, लोगों को उसके लिए गहने खरीदने होंगे. ऐसे ग्राहक, कीमत बढ़ने के बावजूद सोना खरीदते रहे हैं. जिन लोगों ने पहले ही सोना खरीद लिया है, वे ग्राहक फिलहाल खुश हैं क्योंकि उनके सोने की कीमत अब बढ़ गई है. चूंकि कीमत लगातार बढ़ रही है, इसलिए नए निवेशक भी बाजार में हैं. इसके अलावा, बाजार में ऐसे ग्राहक भी हैं जो किसी न किसी वजह से गहने खरीदना चाहते हैं. इसलिए, कीमत में बढ़ोतरी का ग्राहकों पर कोई बुरा असर नहीं पड़ा है. कुल मिलाकर, यह देखा जाए तो, भले ही कीमतों में बढ़ोतरी का रुख है, लेकिन सोने के बाजार में कोई डर का माहौल (फियर फैक्टर) नहीं है. - दिलबाग सिंह बीर, नीलकंठ ज्वेलर्स, लक्ष्मी रोड  
 

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अस्थिर दरों से बिजनेस में स्थिरता नहीं
सोने-चांदी की कीमतों में बढ़ोतरी के बावजूद, बाजार में अभी भी सकारात्मक माहौल बना हुआ है. कीमतों में लगातार बढ़ोतरी का एक नतीजा यह भी है कि जो निवेशक मुनाफा कमाने के लिए सोना बेचने की सोच रहे थे, वे अब बाजार से गायब हो रहे हैं. क्योंकि, उन्हें भी अब लगने लगा है कि कीमत और बढ़ सकती है. इसलिए, मौजूदा कीमत पर सोना बेचना एक तरह से नुकसानदेह है. हालांकि, जो लोग सोचते हैं कि भविष्य में कीमत बढ़ेगी, वे सोने में निवेश करना चाहते हुए बाजार में आ रहे हैं. वैेिशक अस्थिरता के कारण, सोने की कीमत में इस समय तेजी है. इसके अलावा, औद्योगिक मांग के कारण चांदी की मांग में जबरदस्त वृद्धि हो रही है. इसकी तुलना में, चांदी की आपूर्ति कम है. चांदी का उपयोग सेमीकंडक्टर, सौर पैनल और इलेक्ट्रिक वाहनों में किया जाता है. केंद्रीय बैंकों द्वारा सोने की निरंतर खरीद, बढ़ती महंगाई, युद्ध जैसे हालात और ट्रम्प टैरिफ भी ऐसे कारक हैं जो वर्तमान में दोनों धातुओं की कीमतों में वृद्धि का कारण बन रहे हैं. अगर हम सर्राफा व्यवसायी की भूमिका में सोचें, तो ऐसा लगता है कि अस्थिर दरों के कारण बिजनेस में स्टेबिलिटी नहीं है. - वास्तुपाल रांका, रांका ज्वेलर्स, कर्वे रोड
 

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 निवेश जारी रखते हुए दीर्घकालीन फायदा उठाएं
सोने की कीमतों में वृद्धि के कारण आम नागरिकों पर इसके प्रभाव दुधारी तलवार की तरह हैं. जहां कुछ लोगों को इससे फायदा हुआ है, वहीं अन्य के लिए यह एक बड़ी चुनौती बन गई है. वैेिशक अनिश्चितता, भू-राजनीतिक तनाव और आर्थिक मंदी के कारण सोने की मांग बढ़ जाती है, जिससे इसकी कीमतें बढ़ती हैं. महंगाई के दौरान सोने की कीमतें बढ़ती हैं क्योंकि यह एक सुरक्षित निवेश विकल्प माना जाता है. जब रुपया कमजोर होता है, तो सोने का आयात महंगा हो जाता है, जिससे घरेलू कीमतें बढ़ जाती हैं. त्यौहारों और शादियों के मौसम में सोने की मांग बढ़ जाती है, जिससे कीमतें और भी ऊपर जाती हैं. हमें लगता है कि जिन लोगों ने पहले से सोना खरीदा हुआ है, वे इसकी बढ़ती कीमतों से फायदा उठा सकते हैं. खासकर शादियों और त्यौहारों के समय, मध्यम और निम्न वर्ग के परिवारों के लिए सोने की बढ़ती कीमतें एक बड़ी चुनौती हैं. कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि चुनौतियों के बावजूद सोना भविष्य में और भी बढ़ने वाला है इसलिए सोने में निवेश करते रहना चाहिए दीर्घकालीन फायदा उठाना चाहिए. - राहुल चोपड़ा, सत्यम ज्वेलर्स, निगड़ी
 

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सोने-चांदी की मांग में वृद्धि के विभिन्न कारण
 विभिन्न देशों के बीच युद्धों के कारण भू-राजनीतिक तनाव बढ़ गया है. ऐसे में सोने की मांग बढ़ जाती है. रिजर्व बैंकों द्वारा भारी मात्रा में सोना खरीदने के कारण सोने की कीमत बढ़ रही है. अमेरिकी राजनीतिक और व्यापार नीतियों में अस्थिरता के कारण, रिजर्व बैंकों ने डॉलर के बजाय सोने पर भरोसा करने की प्रवृत्ति बढ़ा दी है. अमेरिका ने ब्याज दरों में चौथाई प्रतिशत की कटौती की है. दिसंबर तक ब्याज दरों में दो और कटौती की संभावना है.
 
पिछले एक साल में बिना जीएसटी के दाम
 
(रुपये में प्रति 10 ग्राम सोना और प्रति किलोग्राम चांदी)
दिनांक सोना चांदी
19 सितंबर 2024   73,300 87,700
19 जनवरी 2025 79,500 91,300
19 फरवरी 2025 86,400 97,500
19 मार्च 2025 88,800 1,01,000
19 अप्रैल 2025 95,500 96,000
19 मई 2025 93,600 96,000
19 जून 2025 98,600 1,09,700
19 जुलाई 2025 98,200 1,13,500
19 अगस्त 2025 99,400 1,15,000
19 सितंबर 2025 1,10,000 1,28,500
24 सितंबर 2025 1,13,800 1,34,700