ट्रम्प द्वारा अब ब्रांडेड दवाओं पर 100% टैरिफ का ऐलान

    27-Sep-2025
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Trump 
अमेरिकी राष्ट्रपति डाेनाल्ड ट्रम्प ने अब ब्रांडेड दवाओं पर 100 प्रतिशत टैरिफ लगाने का ऐलान किया है. ये नया निर्णय 1 अ्नटूबर से लागू हाेगा. इससे भारत का 1 लाख कराेड़ का काराेबार प्रभावित हाेगा.ट्रम ने कहा-बाहर की कंपनियां अमेरिका काे लूट रहीं हैं. हम उन्हीं फार्मा कंपनियाें काे राहत देंगे जाे अमेरिका में अपनी यूनिट लगाएंगी.उन्हाेेंने कहा-अमेरिकी दवा उद्याेग काे बूस्ट देने टैरिफ बढ़ाना बहुत ही जरूरी है.विस्तार से प्राप्त खबराें के अनुसार ट्रंप ने कहा-यह टैक्स उन कंपनियाें पर नहीं लगेगा जाे अमेरिका में ही दवा बनाने के लिए अपना प्लांट लगा रही हैं. भारत परअमेरिकी राष्ट्रपति ने पहले ही 50% टैरिफ लगाया है. ये टैरिफ 27 अगस्त से लागू हाे चुका है. कपड़े, जेम्स-ज्वेलरी, फर्नीचर, सी फूड जैसे भारतीय प्राेडक्ट्स का एक्सपाेर्ट इससे महंगा हाे गया है. हालांकि दवाओं काे इस टैरिफ से बाहर रखा गया था.
 
ट्रम्प ने कहा- 1 अक्टूबर से हम ब्रांडेड या पेटेंटेड दवाई पर 100% टैरिफ लगा ेंगे, सिवाय उन कंपनियाें के जाे अमेरिका में अपना दवा बनाने वाला प्लांट लगा रही हैं. का मतलब हाेगा कंस्ट्रक्शन चल रहा है.इसलिए, अगर कंस्ट्रक्शन शुरू हाे गया है, ताे उन दवाइयाें पर काेई टैक्स नहीं लगेगा.जियाेजित इनवेस्टमेंट्स लिमिटेड के चीफ इनवेस्टमेंट स्ट्रैटजिस्ट वीके विजयकुमार ने कहा- भारत, जाे जेनेरिक दवाओं का एक्सपाेर्टर है, उसे इससे ज्यादा असर नहीं हाेगा. लेकिन हाे सकता है कि प्रेसिडेंट का अगला निशाना जेनेरिक दवाएं हाें.इस फैसले का फार्मास्यूटिकल स्टाॅक्स पर भावनात्मक असर पड़ सकता है. भारत जेनेरिक दवाइयां अमेरिका काे एक्सपाेर्ट करने वाला सबसे बड़ा देश है. 2024 में भारत ने अमेरिका काे लगभग 8.73 अरब डाॅलर (करीब 77 हजार कराेड़ रुपए) की दवाइयां भेजीं, जाे भारत के कुल दवा एक्सपाेर्ट का करीब 31% था. अमेरिका में डाॅक्टर जाे प्रिस्क्रिप्शन लिखते हैं, उनमें से हर 10 में से लगभग 4 दवाइयां भारतीय कंपनियाें की बनाई हाेती हैं.
 
एक रिपाेर्ट के मुताबिक, 2022 में अमेरिका के हेल्थकेयर सिस्टम के 219 अरब डाॅलर बचे थे. 2013 से 2022 के बीच यह बचत 1.3 ट्रिलियन थी.भारत की बड़ी फार्मा कंपनियां, जैसे डाॅ. रेड्डीज, सन फार्मा, ल्यूपिन सिर्फ जेनेरिक दवाएं ही नहीं बेचती, बल्कि कुछ पेटेंट वाली दवाएं भी बेचती हैं. यह वाे ओरिजिनल दवाई हाेती है जिसकी खाेज किसी फार्मा कंपनी ने बहुत रिसर्च और भारी-भरकम खर्च के बाद की हाेती है. इसे बनाने वाली कंपनी काे एक तय समय (आमताैर पर 20 साल) के लिए पेटेंट अधिकार मिल जाता है. इस दाैरान काेई भी दूसरी कंपनी उस फाॅर्मूले का इस्तेमाल करके वह दवाई नहीं बना सकती. रिसर्च और डेवलपमेंट पर हुए खर्च काे वसूलने के लिए इसकी कीमत बहुत ज़्यादा हाेती है. यह वाे दवाई हाेती है जाे ब्रांडेड दवाई का पेटेंट खत्म हाेने के बाद बाज़ार में आती है. यह ब्रांडेड दवाई के समान फाॅर्मूले का इस्तेमाल करके बनाई जाती है. इसका काेई नया पेटेंट नहीं हाेता, क्याेंकि यह पहले से माैजूद फाॅर्मूले की नकल हाेती है.